माकपा नेता सीताराम येचुरी की बिगड़ी तबीयत, दिल्ली के एम्स में कराया गया भर्ती

अशोक झा, कोलकाता: सीपीएम के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी की सोमवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया है। उन्हें लंग्स इन्फेक्शन की समस्या है। तबीयत बिगड़ने के बाद सीताराम येचुरी को एम्स के इमरजेंसी में लाया गया था, जहां से अब आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। इस खबर मिलने के बाद माकपा के नेताओ और समर्थकों में सनसनी फ़ैल गई है।
फिलहाल उनकी हालत स्थिर है और वो डॉक्टरों की निगरानी में हैं। सीताराम येचुरी भारतीय राजनीति का एक जाना-माना चेहरा हैं। वे भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव हैं। राज्यसभा सांसद रहते हुए येचुरी को 2016 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला था. सीताराम येचुरी एक तमिल ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हुए थे. इसके एक साल बाद वो भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बन गए।जेएनयू को वामपंथ का गढ़ बनाने में अहम भूमिका: सीताराम येचुरी और प्रकाश करात ने मिलकर जेएनयू को वामपंथ का गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने जेएनयू से अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया है। उन्होंने इसमें पीएचडी में दाखिला लिया था. लेकिन आपातकाल के दौरान गिरफ्तार हो जाने की वजह से वो पीएचडी की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे. कुछ साल पहले ही कोविड में इनके बड़े बेटे का 35 साल की उम्र में निधन हो गया था. आशीष कोरोना वायरस से संक्रमित थे।राजनीतिक करियर: 2005 में वह पहली बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य बने. वह राज्यसभा में 18 अगस्त 2017 तक रहे. इस दौरान संसद में उन्होंने जनहित के कई मुद्दे उठाए. सीताराम येचुरी राजनेता के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री और पत्रकार और लेखक भी हैं. राजनीतिक दस्तावेज तैयार करने में इनकी राय को अहम माना जाता है। ये काफी लंबे समय से कई अखबारों में कॉलम लिखते आए हैं। इन्होंने कई किताबें लिखी है. इसमें ‘यह हिन्दू राष्ट्र क्या है’, ‘घृणा की राजनीति’, ’21वीं सदी का समाजवाद’ जैसी किताबें अहम हैं।

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