सिलीगुड़ी इस्कॉन में जन्माष्टमी की तैयारी जोरों पर , वीएचपी ने निकाली नगर कीर्तन शोभायात्रा


अशोक झा, सिलीगुड़ी: वीएचपी अपने 60वें स्थापना दिवस के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव शोभायात्रा निकाल भ्रष्टाचार और दुराचारी रूपी कंश के खात्मा के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। इस मौके पर नगर शोभायात्रा में बड़ी संख्या में लोग नाचते गाते देखे गए।चित्रांकन प्रतियोगिता और दही हांडी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी इस्कान मंदिर में भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोर शोर से चल रही है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और दुनिया भर में भक्तों द्वारा धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के त्यौहार में केवल कुछ ही घंटे बाकी इस साल जन्माष्टमी का जश्न 26 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा जन्माष्टमी को लेकर हर राज्य में अलग ही खुशहाली देखने को मिली, तैयारियाँ जोरो-शोरो से की जा रही हैं। मंदिर को देश विदेश के फूलों से सजाया गया है। आपको बता दे इसी दिन विष्णु के अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था । इस दिन बाल गोपाल की सिर्फ पूजा ही नहीं की जाती है, बल्कि उनका मनमोहक श्रृंगार भी किया जाता है। वैसे तो कृष्णा के श्रृंगार में कई सारी वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मोर मंख और बांसुरी इसमें बेहद खास होती है। हालांकि यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि कृष्णा को बांसुरी किसने दी थी। आइए इसके पीछे की रोचक कहानी के बारे में जानते हैं।इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से भक्तों को मनचाहे फल प्राप्त होने की मान्यता है। इस साल, 2024 में, कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि 26 अगस्त को रात 3 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 27 अगस्त को रात 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, 26 अगस्त 2024 को व्रत किया जाएगा, जबकि गोकुल और वृंदावन में कृष्ण जन्मोत्सव 27 अगस्त को मनाया जाएगा। वही इस दिन भगवान को उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को कौन-कौन सी चीजें भोग में अर्पित करना शुभ माना जाता है।प्रिय भोग माखन मिश्री का भोग: जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को माखन मिश्री का भोग अर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण को बाल्यावस्था में माखन और मिश्री बहुत प्रिय थी। वे गोपियों के घर से माखन मिश्री चुरा कर खाते थे। माखन मिश्री का भोग लगाने से भगवान भक्तों के जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाते हैं।
धनिया की पंजीरी: पूजा में धनिया की पंजीरी को भी शामिल करना चाहिए। धनिया को धन-धान्य का प्रतीक माना जाता है और इसे अर्पित करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। यह भोग धन से जुड़ी परेशानियों को दूर करता है। साथ ही, भगवान श्रीकृष्ण को चरणामृत अर्पित करना भी आवश्यक होता है, क्योंकि इसके बिना भोग अधूरा रहता है।
भोग लगाते समय मंत्र : जब आप भगवान श्रीकृष्ण को भोग अर्पित करें, तो निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।अर्थात, “हे प्रभु, जो भी वस्तु मेरे पास है, वह आपकी ही दी हुई है। मैं इसे पूरी श्रद्धा के साथ आपके समर्पित कर रहा हूँ। कृपया इसे स्वीकार करें।”इस मंत्र के साथ भोग अर्पित करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आपकी पूजा पूर्ण होती है।
क्यों पसंद है बांसुरी::ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक श्रीकृष्ण की बांसुरी को बेहद ही पवित्र और शुभ माना गया है साथ ही बांसुरी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि बंसी के बिना गोपाल अधूरे माने जाते हैं। माना जाता है कि इसकी मधुर धुन सुनकर सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि मवेशी भी मंत्रमुग्ध होकर नृत्य करने लगते थे। कृष्णा को किसने दी थी बांसुरी क्या है इसके पीछे की कहानी?पौराणिक कथा के मुताबिक द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। उनके जन्म के बाद भगवान श्रीकृष्ण को देखने के लिए सभी देवी-देवता धरती पर आए। इस दौरान भगवान शिव श्रीकृष्ण को उपहार में कुछ देने के लिए मंथन करने लगे। तब शिवजी ने ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी को घिसकर बांसुरी का निर्माण किया और गोकुल पहुंचे। शिवजी ने उस बांसुरी को बाल गोपाल को भेंट किया। कहा जाता है कि तभी से कृष्णा के पास बांसुरी है।

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