जूनियर डाक्टरों का लगातार आंदोलन जारी, फिर मुख्यसचिव से बातचीत का भेजा ईमेल
अशोक झा, कोलकोता: जूनियर डॉक्टर लगातार आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के स्वास्थ्य भवन के पास विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को भी अपना काम बंद रखा। वह दिन-रात न देखते हुए बस न्याय दिलाने के अपने संकल्प पर अडिग हैं। साथ ही वह स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग कर रहे हैं। नौ सितंबर के बाद से धरना जारी: घटना के बाद देशभर के डॉक्टर सड़कों पर उतर आए थे। इससे मरीजों को दिक्कत होने लगी। इस पर नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर काम से लगातार गायब रहे, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। हालांकि, फिर भी जूनियर डॉक्टर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। 40 दिन से काम बंद: डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के बाहर अपना धरना जारी रखा। काम बंद किए आज 40 दिन हो गए। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह धरना जारी रखेंगे। दरअसल, यह लोग स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम को हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने कहा, ‘ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के पुनर्निर्माण के लिए स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम को हटाना तथा सरकारी अस्पतालों में खतरे की संस्कृति को समाप्त करना महत्वपूर्ण है। हमने मुख्यमंत्री के साथ एक और बैठक का अनुरोध किया है।’
पांच मागों में से यह सबसे प्रमुख: स्वास्थ्य सचिव को हटाया जाना उनकी पांच सूत्री मांगों में प्रमुख बिंदुओं में से एक है। मंगलवार शाम करीब साढ़े छह बजे शुरू हुई और आधी रात तक चली आम सभा की बैठक के बाद प्रदर्शनकारियों ने राज्य के प्रशासनिक उपायों को अपने आंदोलन की ‘केवल आंशिक जीत’ बताया। ये मांगे भी रखीं: डॉक्टरों ने कहा कि वे मुख्य सचिव मनोज पंत को एक ईमेल भेजेंगे, जिसमें एक और बैठक के लिए मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा जाएगा। उन्होंने अस्पताल परिसर के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा पर चर्चा करने और इस बात पर गहन जानकारी देने की भी मांग की कि सरकार सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवंटित 100 करोड़ रुपये कैसे खर्च करना चाहती है।
डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेजों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले कार्य बल की तत्काल अधिसूचना की मांग की, जिसका वादा सोमवार को बनर्जी के आवास पर बैठक में किया गया था। उन्होंने यह भी मांग की कि छात्र निकाय चुनाव कराए जाएं।
इन लोगों को पद से हटाया गया: एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच, मंगलवार को राज्य सरकार ने विनीत गोयल की जगह मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता पुलिस का नया आयुक्त नियुक्त किया। बनर्जी द्वारा किए गए वादे के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा निदेशक देबाशीष हलदर, चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) कौस्तव नायक और कोलकाता पुलिस के उत्तरी डिवीजन के उपायुक्त अभिषेक गुप्ता को भी पद से हटा दिया गया। कोलकाता पुलिस के डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी जिन्होंने डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम जिन्होंने संदीप घोष को तत्काल मेडिकल कॉलेज में नियुक्त किया था और उनकी भूमिका संदिग्ध रही है, उनके खिलाफ भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है। पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने घोषणा की है कि उनकी मांगे पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी ओर से बातचीत के रास्ते हमेशा खुले हैं और जितनी जल्दी इस मामले का समाधान हो सके, वह इसके लिए तैयार हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी मांगें पूरी तरह से न्यायसंगत हैं। जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होंगी, वे धरने पर बने रहेंगे।
छात्र संघ चुनाव की भी मांग: जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में से एक है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और छात्रसंघ का गठन हो। इस संबंध में डॉक्टरों की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से चर्चा भी हुई, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। डॉक्टरों का कहना है कि इस चुनाव के जरिए प्रतिनिधियों का चयन लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए ताकि भविष्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज जैसी घटनाओं को रोका जा सके।
राज्य सरकार को फिर भेजा जाएगा पत्र: आंदोलनकारी डॉक्टरों ने मंगलवार देररात बताया कि उनकी चौथी और पांचवीं मांगों के साथ ही स्वास्थ्य सचिव से संबंधित मुद्दों पर और चर्चा की आवश्यकता है। बुधवार सुबह तक राज्य सरकार को एक लिखित ज्ञापन भेजा जाएगा। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि वे जल्द से जल्द इस गतिरोध को समाप्त कर काम पर लौटना चाहते हैं और इसके लिए तेजी से हल ढूंढने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से संतुष्ट : आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टर देबदूत भद्र ने कहा कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई संतोषजनक रही। उनके वकील ने उनकी समस्याओं को सही ढंग से अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आरजी कर में जिन सुरक्षा उपायों की बात कही गई थी, वह अब तक पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं। वहां अभी भी पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी और सुरक्षा गार्ड्स की कमी है, और डॉक्टर चाहते हैं कि इन उपायों को जल्द से जल्द लागू किया जाए।