बांग्लादेश का नया नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ बांग्लास्तान रखने की हो रही साजिश
आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर का दबाव, भारत को घोषित करे शत्रु देश
बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश का नामों निशान मिटाने की साजिश हो रही है। इस बात को भले ही युनुस की सरकार ना समझे लेकिन पूरा विश्व समझ गया है। अमेरिका ने तो सीधे युनूस सरकार को चेतावनी दे डाली है।जबकि भारत बांग्लादेश में हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रख कार्य कर रहा है। बांग्लादेश अब पूरी तरह पाकिस्तान की तर्ज पर अपने को बदल रहा है. लगता है कि वहां अब उदारवादियों का नहीं कट्टर इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट का राज चलेगा। शायद अब बांग्लादेश अपनी भाषा, रीति-रिवाज और विशिष्टता को बदल देगा। जो हालात वहां हैं, वे इसी तरफ संकेत करते हैं। बांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़ी यादों को जिस तरह से नष्ट किया जा रहा है, उससे यही लगता है।अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने अपने देश के कट्टरपंथियों के आगे सरेंडर कर दिया है।वहां पर अब 20, 100, 500 और 1000 टका (बांग्लादेश की मुद्रा) के नए नोटों की छपाई हो रही है। नए नोटों में बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान का फोटो नहीं होगा। यही नहीं जॉय बांग्ला जैसे संबोधन अब नहीं बोले जाएंगे। कट्टरपंथियों को यह वाक्य हिंदू परंपराओं की गंध देता लगता है। इस तरह का भारत विरोध बांग्लादेश को कहां ले जाएगा!
बांग्लादेश में आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर हुआ अति सक्रिय:
बांग्लादेश में आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर ने यूनुस सरकार को एक खत भेजा है। जिसमें अपील की गई है कि यूनुस सरकार, भारत को शत्रु देश घोषित करे। दूसरी ओर बांग्लादेश के ही एक और कट्टरपंथी संगठन गण अधिकार परिषद ने बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की मांग की है। हिज्ब उत तहरीर की मांग है कि भारत को शत्रु देश घोषित कर उसके साथ सभी रिश्ते खत्म किए जाएं। जबकि गण अधिकार परिषद की मांग है कि बांग्लादेश का नया नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ बांग्लास्तान रखा जाए। आखिर भारत को शत्रु राष्ट्र घोषित करने की अपील क्यों की जा रही है. बांग्लादेश का नाम बदलने से क्या हासिल होगा और सबसे बड़ा सवाल क्या इन मांगों के पीछे सिर्फ कट्टरपंथी संगठन हैं या फिर कोई और किरदार? कट्टरपंथियों के जरिए कुठ लोग कैसे अपना नैरेटिव सेट करते हुए अपने प्लान को अंजाम तक पहुंचाते हैं।
पाकिस्तान परस्ती थी 5 अगस्त को शेख हसीना का तख्तापलट:
5 अगस्त को शेख हसीना के तख्तापलट से लेकर, हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और पाकिस्तान परस्ती तक। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है। उसके पीछे आपको एक ट्रेंड नजर आएगा।सबसे पहले कथित सिविल सोसाइटी और संगठन किसी भी साजिश पर मांग का पर्दा डालकर आवाज उठाते हैं। उसके बाद कट्टरपंथी और आतंकी उस मांग के लिए हिंसा शुरु कर देते हैं और आखिर में मोहम्मद यूनुस की सरकार और सिस्टम उस कथित मांग को पूरा करना शुरु कर देती है।
साजिश के पीछे मोहम्मद यूनुस के सलाहकारों का गैंग: ये ट्रेंड साफ साफ बताता है कि बांग्लादेश में हो रही हर साजिश के पीछे दरअसल मोहम्मद यूनुस और उनके कथित सलाहकारों का गैंग है. यही ट्रेंड एक बार फिर सामने आया है. मोहम्मद यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहती है। इसके लिए मोहम्मद यूनुस को भारत से दूरी बनानी होगी। इस दूरी को बनाने के लिए भारत को शत्रु राष्ट्र घोषित करने का एजेंडा सामने रख दिया गया है। इस एंटी इंडिया नैरेटिव की पहली तस्वीर उस वक्त सामने आ गई थी। जब खालिदा जिय़ा की पार्टी के नेताओं ने भारत में बने कपड़ों को जलाकर, भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की साजिश शुरु की थी। जमात ए इस्लामी ने अगरतला की घटना को लेकर ठाकुरगांव मार्च का ऐलान किया। अब हिज्ब उत तहरीर ने खत लिखकर भारत को शत्रु देश घोषित करने की मांग की है।
इस्लामिक अमीरात ऑफ बांग्लास्तान:इसी तरह आप बांग्लादेश का नाम बदलने की मांग को देखेंगे, तो आपको सरकार का हाथ साफ साफ नजर आएगा। दरअसल मोहम्मद यूनुस चाहते हैं कि बांग्लादेश से शेख हसीना का राजनीतिक वजूद खत्म कर दिया जाए। ताकि उनकी सत्ता को मिलने वाली चुनौती कम हो जाए।
इसी लिए सबसे पहले कथित छात्र क्रांति की आड़ में शेख मुजीब की मूर्तियां गिराई गईं। उनके नाम पर सरकारी छुट्टियों को रद्द कर दिया गया। फिर मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना पर भारत से दांव चलने का इल्जाम लगाया और अब इस्लामिक अमीरात ऑफ बांग्लास्तान का शिगूफा छेड़ा गया है। मोहम्मद यूनुस को पता है इस्लामिक अमीरात वो झुनझुना है। जिसे दिखाकर वो ना सिर्फ कट्टरपंथियों के बीच अपनी पैठ बढ़ा सकते हैं। कट्टरपंथियों को अपने इशारों पर नचा सकते हैं, बल्कि कट्टरपंथियों का इस्तेमाल शेख हसीना के समर्थकों के खिलाफ भी कर सकते हैं।ऐसी साजिशों के जरिए मोहम्मद यूनुस एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। पहला वो ये संदेश देंगे कि जनता की मांग पर भारत से अलग हुए और पाकिस्तान का हाथ पकड़ा और दूसरा वो प्रोजेक्ट करेंगे कि बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा के पीछे कट्टरपंथी हैं ना कि उनका सिस्टम। दोहरी साजिश : एक तरफ एंटी इंडिया नैरेटिव को हवा दी जा रही है तो दूसरी तरफ हिंदुओं पर अत्याचार का सिलसिला बढ़ रहा है। अब आरोप लग रहे हैं कि बांग्लादेश में जोर जबर्दस्ती से हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। यानी हिंदुओं का वजूद मिटाने की जो आशंका पहले जाहिर की जा रही थी। अब बांग्लादेशी कट्टरपंथी उसे हकीकत की शक्ल देना चाहते हैं। चटगांव में हिंदू बस्ती में आगजनी। सुमनगंज में हिंदुओं पर हमला। यूनिवर्सिटी से हिंदू प्रोफेसर हटाए गए। हिंदू त्योहारों पर हिंसा का एक-एक एपिसोड सब स्क्रिप्टेड है। बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ संगठित हिंसा की ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही हैं।अब हिंदुओं के वजूद को निशाना बनाने वाली साजिश को लेकर दावा सामने आया है, जिसमें ये कहा गया है कि ताकत के जोर पर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करना। उन्हें मुसलमान बनाना। ये शुरु से ही बांग्लादेश के कट्टरपंथियों और उनके सर परस्त मोहम्मद यूनुस का प्लान था। जिसके लिए सिलसिलेवार तरीके से साजिशों के तार बुने गए थे।
पहले हिंदू त्योहारों पर हिंसा हुई। फिर हिंदुओं के कारखानों-दुकानों को निशाना बनाया। हिंदुओं के लिए आवाज उठाने वाले चिन्मय कृष्ण दास को जेल भेजा फिर हथियारों के जोर पर हिंदुओंं के धर्म परिवर्तन की खबर सामने आई। मोहम्मद यूनुस की सरकार के लिए हिंदू दोहरी परेशानी हैं। एक तो बांग्लादेशी हिंदुओं का भारत से पुराना सांस्कृतिक रिश्ता रहा है। और पारंपरिक तौर पर हिंदू शेख हसीना के वोटबैंक रहे हैं। अगर सामाजिक और राजनीतिक तौर पर हिंदुओं को तोड़ दिया जाता है, तो मोहम्मद यूनुस की दोनों चुनौतियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। बांग्लादेश ने हाल ही में पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों में छूट दी है। बांग्लादेश ने सुरक्षा मंजूरी की जरूरत को भी खत्म कर दिया है। जाहिर है बांग्लादेश के इस फैसले के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट्स की बांग्लादेश आवाजाही बढ़ेगी। इससे पाकिस्तान का प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ेगा। यह भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है. जाहिर है भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध खराब नहीं है, लेकिन शेख हसीना के शासनकाल में जैसे संबंध थे वैसा आज नहीं है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं। इधर, भारत में भी इसके खिलाफ कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसी दौरान अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग पर तथाकथित हमले से बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में हल्की तल्खी जरूर आई है।ऐसे में अगर पाकिस्तान के साथ उसकी नजदीकियां बढ़ती है तो ये भारत के हित में नहीं हैं।
सीडीपीएचआर की रिपोर्ट चौंकाने वाली : 20 अगस्त तक सामने आईं घटनाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई, जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के कुल 2,010 मामले, 69 मंदिरों को अपवित्र करने और 157 परिवारों पर हमलों की घटनाएं शामिल हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान: सीडीपीएचआर की अध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन विभाग की निदेशक प्रेरणा मल्होत्रा ने स्थिति को ‘‘सभ्यतागत त्रासदी’’ बताया और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान किया. रिपोर्ट में भारत के लिए व्यापक भू-राजनीतिक निहितार्थों की पड़ताल की गई है, जिसमें इतिहासकार कपिल कुमार ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में कट्टरवाद में वृद्धि पड़ोसी भारत के लिए संभावित सुरक्षा खतरा पैदा करती है. इसमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कई सिफारिश भी शामिल हैं। ‘चरमपंथी समूहों के खिलाफ हो कार्रवाई’: रिपोर्ट में अत्याचारों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित आयोग की स्थापना, शांति सेना की तैनाती और हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ लक्षित प्रतिबंधों की मांग की गई है। रिपोर्ट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने, अल्पसंख्यक अधिकारों को बहाल करने और चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। इसमें यह भी अनुशंसा की गई है कि पश्चिमी देशों और भारत सहित अंतरराष्ट्रीय निकाय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक और आर्थिक दबाव लागू करें।