देश नए साल के जश्न की तैयारी में, पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में बदलाव की तैयारी

देश में किया जा सकता है राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी समाप्त

 

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल है। जहां एक ओर दुनिया नए साल का स्वागत करने की तैयारी कर रही है, वहीं बांग्लादेश में संविधान को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है।31 दिसंबर को बांग्लादेश के 1972 के संविधान को खत्म करने की घोषणा हो सकती है, जिसे शेख मुजीबुर रहमान के शासनकाल में बनाया गया था। इसके अलावा, देश में राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों को भी समाप्त किया जा सकता है। हालांकि इस बारे में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बांग्लादेश को इस्लामिक देश घोषित किया जाएगा या फिर इसे एक सेकुलर गणराज्य बनाया जाएगा। इस बदलाव के कारण भारत समेत अन्य देशों के लिए चिंता बढ़ सकती है, क्योंकि यह स्थिति बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना सकती है।
बांग्लादेश में आज छात्र समूह ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट : डिस्क्रिमिनेशन’ (SAD) नए गणराज्य की घोषणा कर सकते हैं। 31 दिसंबर को, यह समूह बांग्लादेश के 1972 के संविधान को समाप्त करने की बात कर रहा है, जिसे शेख मुजीबुर रहमान के शासनकाल में तैयार किया गया था। इसके साथ ही, राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के पद को भी खत्म करने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बांग्लादेश को इस्लामिक गणराज्य घोषित किया जाएगा या फिर इसे एक सेकुलर गणराज्य के रूप में बदला जाएगा, लेकिन यह घोषणा बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम हो सकती है। इस नई घोषणा के साथ बांग्लादेश में सत्ता की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है, जिसका असर देश की आंतरिक और बाहरी राजनीति पर पड़ेगा। भारत के लिए यह स्थिति चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि बांग्लादेश में ऐसे बदलावों से यह स्पष्ट नहीं होगा कि इस नए गणराज्य के साथ भविष्य में किसके साथ संवाद किया जाएगा। बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, जिनके कट्टरपंथी विचारों के समर्थन से भारत और अन्य देशों में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।SAD के नेता हसनत अब्दुल्ला ने 1972 के संविधान को ‘मुजीबवादी कानून’ करार देते हुए इसे समाप्त करने की बात की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को बांग्लादेश में दखल देने का मौका इसी संविधान की वजह से मिला था। 31 दिसंबर को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में इस महत्वपूर्ण घोषणा के साथ बांग्लादेश के भविष्य की दिशा के बारे में ऐलान किया जाएगा। वर्तमान में बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार की जगह एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। यूनुस ने अपने कार्यकाल में कट्टरपंथियों का समर्थन किया है, जिसके कारण भारत और अन्य देशों में चिंता पैदा हुई है। अमेरिका ने भी बांग्लादेश के राजनीतिक हालात को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। बांग्लादेश के छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने बांग्लादेश के संविधान को लेकर कहा कि यह “मुजीबवादी कानून” है, जिसे वह खत्म करेंगे और दफन करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने भारत के खिलाफ भी नकारात्मक बयान दिए, यह कहते हुए कि 1972 के संविधान के कारण ही भारत को बांग्लादेश में दखल देने का मौका मिला। हसनत ने कहा कि 31 दिसंबर को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में बांग्लादेश के भविष्य की दिशा के बारे में ऐलान किया जाएगा।

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