तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के बड़े भाई ग्यालो थोंडुप का 97 साल की उम्र में निधन

11 फरवरी को किया जाएगा अंतिम संस्कार , धर्म गुरु अभी दलाई लामा कर्नाटक में

 

– दलाई लामा ने उनके निधन के बाद उनके पुनर्जन्म की कामना

अशोक झा, सिलीगुड़ी: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के बड़े भाई ग्यालो थोंडुप का पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग में उनके आवास पर उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। वह 97 वर्ष के थे। अधिकारी ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से बीमार थोंडुप ने शनिवार दोपहर अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि इस मौके पर उनके बेटे और पोती मौजूद थी। उन्होंने बताया कि परिवार के अन्य सदस्यों के आने के बाद 11 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। दलाई लामा अभी कर्नाटक में हैं और उन्होंने बायलाकुप्पे कस्बे के एक मठ में थोंडुप की स्मृति में आयोजित प्रार्थना सत्र में भाग लिया। थोंडुप लंबे समय से भारत में ही रह रहे थे। वह तिब्बती सरकार के चेयरमैन रह चुके थे और उन्होंने चीन से भी कई चरणों की वार्ता की थी। तिब्बती मीडिया थोंडुप के बारे में लिखती है कि उन्होंने विदेशी समर्थन जुटाने और तिब्बत के संघर्ष में अमेरिका को शामिल करने का बड़ा काम किया था। दलाई लामा ने उनके निधन के बाद उनके पुनर्जन्म की कामना की। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लिए उनके संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता। दलाई लामा के 6 भाई बहनों में केवल थोंडुप ही ऐसे थे जो कि ग्रहस्थ जीवन में थे। वहीं 1952 से ही वह भारत मे रहने लगे थे। उन्होंने तिब्बत के लिए भारत औऱ अमेरिका का समर्थन हासिल किया।1957 में उन्होंने तिब्बती लड़ाकों की टुकड़ी तैयार की और उसे अमेरिका के ट्रेनिग कैंप भेजा। 1859 में जब दलाई लामा को भारत में शरण की जरूरत पड़ी तो उनके भाई ने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से बात की थी। थोंडुप ने 1979 में चीन के साथ वार्ता शुरू की। वह चाहते थे कि तिब्बत के लिए संघर्ष हो। 2010 तक कई चरणों में चीन के साथ वार्ता की गई। थोंडुप का कहना था कि भारत या अमेरिका इस मुद्दे का हल नहीं निकाल सकते। बीजिंग से आमने-सामने की बातचीत से ही कोई हल निकाला जा सकता है।

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