19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा
19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा
भगवान शिव का प्रिय महीना होने से इस माह आने वाले सोमवार का महत्व भी बढ़ जाता है। इस महीने कई भक्त कावड़ यात्रा भी निकालते हैं। साथ ही हर प्रकार से भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
श्रावण महीने से जुड़ी पौराणिक कथा
इस बार सावन की शुरुआत 22 जुलाई, सोमवार से होने के कारण यह बहुत ही शुभ माना जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन का महीना भगवान शिव को इतना प्रिय क्यों है। आज हम आपको इसके पीछे की एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन का महीना पांचवा महीना होता है। हिंदू महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को विशेष नक्षत्र में देखते हुए रखे गए हैं। जब हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना शुरू होता है, तो चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में विराजमान हो जाते हैं। इसी कारण इस महीने को श्रावण मास कहा जाता है।
इस कारण भगवान शिव को प्रिय है सावन
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती ने शपथ ली थी कि जब भी वह जन्म लेंगी, तो भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करेंगी। इसके लिए उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर अपना शरीर त्याग दिया और हिमालय राज के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया।
कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप बाद में उनका विवाह भगवान शिव से हुआ। ऐसे में भगवान शिव को सावन का महीना बेहद पसंद है।
सावन में अपने ससुराल आए थे शिव
एक अन्य मान्यता के अनुसार, सावन के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पिया था। सावन के महीने में ही पहली बार भगवान शिव धरती पर अपने ससुराल आए थे, जहां उनका शानदार स्वागत किया गया।
कहा जाता है कि हर साल सावन के महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और सभी को आशीर्वाद देते हैं। इसी महीने में मर कंडु ऋषि के पुत्र मार्कंडेय ने कठोर तपस्या की थी और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
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