शांति की राह पर धीरे धीरे बढ़ने लगा अशांत मणिपुर
बड़ी मात्रा में लूटे गए हथियार को किया सलेंडर, बातचीत की पहल की शुरुआत

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: मणिपुर में लंबे समय से चल रही हिंसा के बीच मैतेई ग्रुप ने बड़ा कदम उठाया है. यहां अरामबाई टेंगगोल के सदस्यों ने गुरुवार को राज्य सरकार को 104 हथियार सरेंडर कर दिए। यह सरेंडर उस समय सीमा के खत्म होने से पहले किया गया, जो राज्यपाल अजय भल्ला ने तय की थी।इंफाल पश्चिम में प्रथम एमआर कॉम्प्लेक्स में समूह ने 246 हथियारों का आत्मसमर्पण किया। यह अब तक राज्य में अवैध रूप से रखे गए हथियारों का सबसे बड़ा समर्पण है। दो दिन पहले ही समूह के सदस्यों ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी, जिसके बाद यह पहल सामने आई। राज्यपाल ने 20 फरवरी को सभी समुदायों से सात दिनों के भीतर हथियार सरेंडर करने की अपील की थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि इस अवधि के भीतर हथियार जमा करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।जानकारी के अनुसार, मैतेई ग्रुप ने न केवल अवैध हथियार बल्कि सुरक्षाबलों के हेलमेट, जूते, वर्दी और प्रोटेक्शन जैकेट भी सरेंडर किए. बता दें कि राज्यपाल अजय भल्ला ने सभी समुदायों से अपील की थी कि मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए 7 दिनों के भीतर लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सरेंडर किया जाए. इस अपील के बाद कई गुटों से हथियार जमा करवाने की उम्मीद जताई गई थी, जिसमें अरामबाई टेंगगोल ग्रुप ने सबसे पहले आगे बढ़कर अपने हथियार सौंपे हैं.
हिंसा के बाद बड़ी मात्रा में लूटे गए थे हथियार: आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई 2023 को भड़की हिंसा के बाद बड़ी संख्या में हथियारबंद लोग देखे गए थे. जिन्होंने बिष्णुपुर और चुराचांदपुर की सीमा पर अत्याधुनिक असॉल्ट राइफलों के साथ प्रदर्शन किया था. इसी दौरान पुलिस स्टेशनों, चौकियों और अन्य सुरक्षात्मक ठिकानों से 6,000 से अधिक हथियार लूटे गए थे. अब तक इनमें से 2,500 हथियार बरामद किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी हजारों हथियार लापता हैं. ऐसे में राज्यपाल की इस अपील के बाद उम्मीद की जा रही है कि अन्य समूह भी आगे आकर अपने हथियार सरेंडर करेंगे, जिससे मणिपुर में शांति और स्थिरता बहाल की जा सके।राज्य में मई 2023 से जारी हिंसा के दौरान विभिन्न शस्त्रागारों से करीब 6,000 हथियार लूटे गए थे, जिनमें से अब तक केवल 1,200 हथियार ही सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किए गए थे।
हथियार आत्मसमर्पण की बढ़ती संख्या: मणिपुर पुलिस के अनुसार, गुरुवार को अरम्बाई टेंगोल द्वारा आत्मसमर्पण किए गए हथियारों के अलावा, राज्य के अन्य हिस्सों में 61 और हथियार सरेंडर किए गए। वहीं, सेना द्वारा की गई एक विशेष संयुक्त कार्रवाई में चुराचांदपुर, कांगपोकपी, फेरजावल और जिरीबाम जिलों में 110 हथियार सरेंडर हुए, जबकि घाटी में इसी तरह के प्रयासों से 40 हथियार पुलिस को सौंपे गए। इसके अलावा, कुछ लोगों ने व्यक्तिगत रूप से पुलिस के पास जाकर भी अपने हथियार जमा कराए। मणिपुर पुलिस ने अपने बयान में कहा, “स्वेच्छा से हथियार सरेंडर करने से राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी। सभी युवाओं और संबंधित व्यक्तियों से अपील है कि वे आगे आएं और अवैध हथियार सौंपें।”राजनीतिक समीकरण और विरोध: पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे और राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हथियारों की वापसी का यह पहला बड़ा प्रयास है। इससे पहले बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हथियार लौटाने की अपील की थी, लेकिन यह पहली बार है जब इसका असर देखने को मिला है।हालांकि, इस पहल का विरोध भी हो रहा है। कुकी-ज़ो समूहों ITLF और COTU ने अरम्बाई टेंगोल द्वारा हथियार सरेंडर को “छवि सुधारने की कोशिश” बताया। उनके अनुसार, 6,000 लूटे गए हथियारों में से मात्र 300 लौटाना एक दिखावा है। समूहों ने राज्यपाल द्वारा अरम्बाई टेंगोल से मुलाकात की भी निंदा की और इसे “न्याय के साथ विश्वासघात” करार दिया।मणिपुर में हथियार आत्मसमर्पण की यह पहल शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसका असर कितना कारगर होगा, यह आने वाले समय में साफ होगा।