बंगाली समाज में सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी के बाद मनाई जाती है शीतला षष्ठी
सिलीगुड़ी: देवी मां सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है। सरस्वती पूजन के दिन खासकर पूरे भारतवर्ष में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होती है। वहीं बंगाली समाज में सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी के बाद शीतला षष्ठी मनाई जाती है। इस दिन बंगाली परिवार में 6 प्रकार की सब्जियों को एक साथ उबालकर खाने का नियम है। शीतला षष्ठी के लिए सरस्वती पूजा यानी बसंत पंचमी के दिन इस खाने को पकाया जाता है, इसके बाद अगले दिन इसके ठंडा करके बासी खाया जाता है। जानिए इस पुरानी परंपरा के पीछे क्या वजह है। शीतला षष्ठी पूजा ?
बता दें कि षष्ठी माता की पूजा बंगाली माताएं विशेष रूप से अपनी संतानों के लिए बच्चों और प्रसव की रक्षा करने वाली देवी मां षष्ठी का आशीर्वाद मांगने के लिए करती हैं। इस दिन घरों में गर्म भोजन का सेवन नहीं किया जाता है। इस दिन एक रात पहले तैयार किए गए विशिष्ट प्रकार के ठंडे व्यंजनों का ही सेवन किया जाता है। चूल्हा नहीं जलता :जानकारी के मुताबिक ज्यादातर बंगाली परिवारों में उस दिन चूल्हा तक नहीं जलता है। यहां तक कि सिलबट्टा पर भी कोई चीज पीसी नहीं जाती है। इस दिन सुबह विधि-विधान के साथ घरों में सील लोढ़ा (सिलबट्टे) और चूल्हे की भी पूजा की जाती है। मान्यताओं के मुताबिक चूंकि यह शीतल षष्ठी होती है, इसलिए गर्म भोजन नहीं बल्कि एक दिन पहले पका हुआ ठंडा भोजन ग्रहण करने का नियम है। वहीं 6 प्रकार की मौसमी सब्जियों को एक साथ उबालकर खाया जाता है। इसे बंगाली भाषा में गोटा सेढ़ा कहा जाता है। परिवार में जो भी कोई व्रत रखता है, वो सीजानो बनाता है। इसके अलावा कई घरों में 9 प्रकार के दाल व सब्जी का मिश्रण (सीजानो) और ठंडा भात माता माता शीतल षष्ठी को अर्पण किया जाता है। उसके बाद पूरा परिवार इस भोजन को ग्रहण करता है। इस पर्व में सीजानो खाने और खिलाने की परंपरा है। बंगाली क्यों सरस्वती पूजन से पहले नहीं खाते हैं बेर, जानें इसके पीछे की वजह
वैज्ञानिक कारण: बासी खाना खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. इस मौसम के दौरान चेचक, संक्रमण और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां होती हैं, इसलिए शरीर को ठंडा रखने के लिए इसे पूरा उबालकर खाया जाता है। डॉक्टर इस भोजन को आरामदायक भोजन भी कहते हैं। बता दें कि क्षेत्र विशेष पर सीजानो मनाने का तरीका अलग-अलग है। कुछ लोग सीजानो में मछली बनाते हैं, जबकि कुछ लोग इस पूजा में शाकाहारी खाना बनाते हैं।।जैसे मूल रूप से लोग आलू, सेम, बैंगन, पालक, कुल्थी और कच्ची मूंग दाल को एक साथ मिलाकर उबालते हैं।
रिपोर्ट अशोक झा