बांग्लादेश का प्रशासन चरमपंथी, कट्टरपंथी और मानवता विरोधी और तालिबानी : शुभेंदु अधिकारी
कहा, सैन्य हस्तक्षेप का सुझाव देते हुए भारत सरकार को कड़ा रुख अपनाना होगा
बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बांग्लादेश की सरकार और मौजूदा शासन पर तीखा हमला किया। उन्होंने बांग्लादेश के प्रशासन को चरमपंथी, कट्टरपंथी और मानवता विरोधी बताते हुए इसकी तुलना तालिबान से की। अधिकारी के इस बयान ने भारत-बांग्लादेश संबंधों और क्षेत्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर सख्त रुख: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ कथित दुर्व्यवहार और धार्मिक उत्पीड़न को लेकर सुवेंदु अधिकारी ने सैन्य हस्तक्षेप का सुझाव देते हुए कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारत को केवल दो राफेल लड़ाकू विमानों की आवश्यकता होगी। यह बयान बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए कथित अत्याचारों और मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाओं के मद्देनजर आया है।घोजाडांगा सीमा पर विरोध प्रदर्शन: भाजपा और विभिन्न हिंदू संगठनों ने उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास घोजाडांगा में एक विशाल विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व स्वयं सुवेंदु अधिकारी ने किया। जिन्होंने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित अन्याय और अत्याचारों पर कड़ा विरोध जताया।अधिकारी ने विरोध प्रदर्शन के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच आर्थिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश की बुनियादी जरूरतें भारत पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि हम बांग्लादेश पर निर्भर नहीं हैं। बांग्लादेश हम पर निर्भर है। यदि हम 97 उत्पाद नहीं भेजते तो बांग्लादेश में चावल और कपड़े उपलब्ध नहीं होंगे। अगर झारखंड से बिजली आपूर्ति बंद हो जाए तो 80 प्रतिशत गांव अंधेरे में डूब जाएंगे।सैन्य कार्रवाई की धमकी: सुवेंदु अधिकारी ने हासीमारा में तैनात 40 राफेल विमानों का उल्लेख करते हुए कहा कि केवल दो विमानों की तैनाती बांग्लादेश में स्थिति बदलने के लिए पर्याप्त होगी। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो भारत सैन्य कार्रवाई करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 16 दिसंबर को एक बड़ी सभा आयोजित की जाएगी। जिसमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और मंदिरों में तोड़फोड़ के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा और भारत की चिंता: बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की गई हिंसा की घटनाओं ने भारत में गहरी चिंता पैदा की है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद अल्पसंख्यकों की स्थिति और खराब हो गई है। बांग्लादेश सरकार के अनुसार सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाओं में 70 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं।भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेशी नेतृत्व के साथ बैठकों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने भारत की गहरी चिंताओं को व्यक्त करते हुए इन घटनाओं की कूटनीतिक संवेदनशीलता को रेखांकित किया।क्षेत्रीय राजनीति और कूटनीति पर असर: सुवेंदु अधिकारी के बयान और विरोध प्रदर्शनों ने भारत-बांग्लादेश संबंधों के जटिल पहलुओं को उजागर किया है। यह घटनाक्रम न केवल धार्मिक तनाव को दर्शाता है। बल्कि क्षेत्रीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के जटिल संबंधों को भी सामने लाता है। भाजपा नेता के बयानों और विरोध प्रदर्शनों के बीच यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत और बांग्लादेश इन परिस्थितियों को कैसे संभालते हैं। यह मुद्दा क्षेत्रीय स्थिरता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।