ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भाषण के दौरान ममता बनर्जी से पूछे गए तीखे सवाल
दर्शक के रूप में SFI-UK (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया - यूके) ने ली इसकी जिम्मेदारी

अशोक झा, कोलकाता: लंदन दौरे में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हाल ही में अपने एक सार्वजनिक भाषण के दौरान दर्शकों के हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा। कई प्रकार के तीखे सवाल पूछे गए। इसको लेकर बंगाल की राजनीति गरमा गई है। दरअसल अपने भाषण के दौरान ममता बनर्जी ने यह दावा किया कि बंगाल को हाल ही में लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, तो दर्शकों में से एक व्यक्ति ने उनसे कुछ विशेष निवेशों के नाम बताने को कहा। छात्रों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में ममता बनर्जी ने कहा, ‘यह मामला अदालत में है, यह केस केंद्र सरकार के पास है। यहां राजनीति मत करो, यह मंच राजनीति के लिए नहीं है। आप झूठ बोल रहे हैं, इसे राजनीतिक मंच मत बनाइए। आप बंगाल जाइए और अपनी पार्टी को और मजबूत कीजिए। इसी दौरान ममता बनर्जी ने भीड़ की तरफ एक फोटो दिखाते हुए कहा कि आप मेरी यह तस्वीर देखिए, मुझे मारने की कोशिश कैसे की गई थी।
दर्शकों के सवालों से घिरीं ममता: इसके अलावा, जब ममता बनर्जी ने दावा किया कि बंगाल में लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं, तो एक दर्शक ने उनसे विशेष निवेशों का नाम बताने को कहा। इस पर ममता ने जवाब दिया, ‘बहुत सारे हैं…’ इससे पहले कि वह विस्तार से बता पातीं, दूसरे लोगों ने उस व्यक्ति को चुप रहने के लिए कह दिया, यह तर्क देते हुए कि यह कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं है।’मुझे बोलने दें, संस्थान का अपमान न करें’: ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आप मुझे बोलने दें. आप मेरा नहीं, बल्कि अपने संस्थान का अपमान कर रहे हैं। ये लोग हर जगह ऐसा करते हैं, जहां भी मैं जाती हूं। मैं हर धर्म का समर्थन करती हूं. मैं हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी का सम्मान करती हूं
केवल एक जाति का नाम मत लीजिए, सभी का नाम लीजिए. आप लोग जो कर रहे हैं, वह सही नहीं है। मेरे अल्ट्रा लेफ्ट और सांप्रदायिक मित्रों, यह राजनीति मत करो। ‘मैं सिर्फ जनता के सामने सिर झुकाऊंगी’: जब कुछ दर्शकों ने ‘गो अवे’ के नारे लगाए, तो ममता बनर्जी ने आत्मविश्वास से कहा, ‘दीदी को कोई फर्क नहीं पड़ता। दीदी साल में दो बार आएगी और रॉयल बंगाल टाइगर की तरह लड़ेगी। इसके अलावा, उन्होंने कहा, ‘अगर आप कहें तो मैं आपके कपड़े धो दूंगी, आपके लिए खाना बना दूंगी। लेकिन अगर कोई मुझे झुकाने की कोशिश करेगा या मजबूर करेगा, तो मैं नहीं झुकूंगी. मैं केवल जनता के सामने सिर झुकाऊंगी। SFI-UK ने लिया प्रदर्शन की जिम्मेदारी: इस विरोध प्रदर्शन की जिम्मेदारी SFI-UK (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया – यूके) ने ली है। संगठन ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा, ‘हम पश्चिम बंगाल के छात्रों और श्रमिक वर्ग के समर्थन में ममता बनर्जी और टीएमसी के भ्रष्ट, अलोकतांत्रिक शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की राजनीति को सुर्खियों में ला दिया है, खासकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विदेश यात्राओं के दौरान हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
उन्होंने कहा कि उनका प्रशासनिक मॉडल किसी भी तरह के भेदभाव की अनुमति नहीं देता है और वह समाज के सभी वर्गों के कल्याण को प्राथमिकता देती हैं।’एकता ही हमारी ताकत’- ममता बनर्जी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन के दौरान ममता बनर्जी ने समावेशी विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज में विभाजन से नुकसान होता है और एकता हमारी ताकत है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उद्धरण देते हुए कहा कि एकता बनाए रखना मुश्किल है, लेकिन समाज को विभाजित करने में एक पल लगता है।मैं समाज को विभाजित नहीं कर सकती- ममता
सीएम ममता बनर्जी ने आगे कहा कि मेरे कार्यकाल में मैं समाज को विभाजित नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि मैं कमजोर वर्गों और गरीबों की देखभाल करती हूं। हमें हर धर्म, जाति और पंथ के लोगों के लिए मिलकर काम करना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए।
बंगाल की विविधिता पर दिया जोर: साथ ही सीएम ने पश्चिम बंगाल की विविधता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में लगभग 11 करोड़ लोग हैं, जिनमें 33 प्रतिशत से अधिक लोग अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, नेपाली और गोरखा शामिल हैं और सभी लोग बिना किसी भेदभाव के सभी त्योहार मिलकर मनाते हैं।
शासन में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की जरूरत पर दिया जोर
इसके साथ ही अंत में सीएम ममता बनर्जी ने शासन में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उनका मिशन यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों, महिलाओं, किसानों और श्रमिकों के साथ कोई भेदभाव न हो। ममता ने कहा कि सभी को इंसान समझकर काम करना चाहिए और अगर समाज में मानवता नहीं होगी, तो दुनिया नहीं चल सकती और नहीं टिक पाएगी।