छांगुर पीर उर्फ जमालुद्दीन जैसे लोग इस्लाम को करते है बदनाम

पड़ोसी मुल्क नेपाल में बैठे है आका, धर्मांतरण के लिए आया 300 करोड़ की फंडिंग

 

अशोक झा: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में रहने वाला छांगुर पीर उर्फ जमालुद्दीन को यूपी एटीएस और एसटीएफ ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए उसे और उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया है।इसमें से अभी बस 200 करोड़ की ही पुष्टि हो सकी है। धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा से यूपी एटीएस ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं. जिसमें पता चला है कि छांगुर बाबा कोडवर्ड का प्रयोग करता था. वहीं यूपी एटीएस की पूछताछ में छांगुर के कोडवर्ड डिकोड हो गए हैं, जिसमें लड़कियां को प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता था।सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार शेष 300 करोड़ रुपये का लेनदेन नेपाल के माध्यम से हुआ है।फंडिंग के लिए काठमांडू सहित नेपाल के सीमावर्ती जिलों नवलपरासी, रुपनदेही व बांके में 100 बैंक खाते खुलवाए गए। उन्हीं में धर्म परिवर्तन कराने के लिए पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब व तुर्किए से पैसे भेजे गए। एजेंट चार से पांच प्रतिशत कमीशन पर नेपाल के बैंक खातों से पैसे निकालकर सीधे छांगुर तक पहुंचा देते थे। इसमें कैश डिपॉजिट मशीन (सीडीएम) की भी मदद ली जाती थी। रायबरेली में पकड़े गए साइबर अपराधियों को भी इसी कड़ी का एक हिस्सा बताया जा रहा है, जिनके तार पाकिस्तान और दुबई से भी जुड़े हैं। इस गिरोह ने करीब 700 करोड़ रुपये का लेनदेन किया है। इन्होंने अयोध्या के साथ ही लखनऊ, बलरामपुर व गोंडा में भी करोड़ों रुपये भेजे हैं।धर्मांतरण सिंडिकेट के मुख्य किरदारों में तीन नाम सबसे अहम हैं- जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और नीतू रोहरा उर्फ नसरीन. इन तीनों ने मिलकर इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित उतरौला कस्बे को अपने ऑपरेशन का केंद्र बनाया. यहीं से धर्मांतरण का पूरा नेटवर्क तैयार किया।सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क में करोड़ों की विदेशी फंडिंग की गई, जिससे पुणे से लेकर बलरामपुर तक महंगी प्रॉपर्टी खरीदी गई।चौंकाने वाली बात यह है कि इन तीनों की शैक्षणिक योग्यता महज सातवीं कक्षा तक है. यह जानकारी आजतक को मिली पासपोर्ट डिटेल्स से सामने आई है.
पासपोर्ट पर दर्ज डिटेल के अनुसार, नीतू रोहरा उर्फ नसरीन 11 अगस्त 1982 को जन्मी है. शैक्षणिक योग्यता- सातवीं पास है. इस पासपोर्ट में वैधता 30 जून 2024 लिखी है. इसी तरह नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन की जन्म तिथि 8 जून 1979 दर्ज है. उसकी शैक्षणिक योग्यता भी सिर्फ सातवीं कक्षा तक है. नवीन रोहरा के पासपोर्ट की वैधता 30 जुलाई 2026 है. नीतू और नवीन की नाबालिग बेटी, जिसका धर्म परिवर्तन के बाद नाम सबीहा रखा गया है, वह भी सातवीं तक पढ़ी है. इस पासपोर्ट की वैधता 17 जनवरी 2028 तक है।
सूत्रों के अनुसार, न सिर्फ बलरामपुर में बल्कि राज्य के अन्य जिलों और नेपाल सीमा के आसपास भी इस नेटवर्क की जड़ें फैली हैं. छांगुर बाबा को इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जा रहा है, उसने भी सिर्फ सातवीं तक पढ़ाई की थी. STF की जांच में खुलासा हुआ कि वह आखिरी बार साल 2018 में दुबई गया था, लेकिन उसका पासपोर्ट अब तक बरामद नहीं हुआ है और न ही उसका पासपोर्ट नंबर सामने आ सका है. एटीएस और एसटीएफ की टीमें इस पूरे सिंडिकेट की जांच में लगी हैं
कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद छांगुर बाबा और रोहरा परिवार ने जिस तरीके से विदेशों से फंड जुटाकर धर्मांतरण का जाल तैयार किया, वह बेहद गंभीर मामला है. अब सवाल है कि आखिर इन लोगों को विदेशों से इतनी भारी मदद कैसे और किन माध्यमों से मिल रही थी? इसकी जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गई है। यह नेपाली करेंसी को भारत में बदलवाते थे: सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार छांगुर के नेटवर्क से जुड़े लोग पहले विदेश से नेपाल के अलग-अलग बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करते थे। वहां से नेपाली करेंसी में रकम निकालकर भारत पहुंचाते थे। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी और महराजगंज में बैठे मनी एक्सचेंजर से भारतीय मुद्रा में बदलवाते थे। इसके साथ ही छांगुर को बड़ी मात्रा में फंडिंग हुंडी के माध्यम से भी हुई है, जिसका विवरण न एटीएस के पास है और न ही दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के पास। नेपाल से रकम लाने में बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णिया, किशनगंज, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सुपौल निवासी एजेंट भी छांगुर की टीम की मदद करते थे।अयोध्या में खर्च हुई सर्वाधिक रकम: हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने और देश विरोधी गतिविधियों के लिए छांगुर की टीम ने सर्वाधिक खर्च अयोध्या जिले में किया है। 2023 में बिहार में पकड़े गए एक एजेंट ने भी इसका इनपुट दिया था, लेकिन जिम्मेदारों ने तब गंभीरता नहीं दिखाई थी।
छांगुर के गिरोह का अर्थशास्त्र: -जमालुद्दीन बने नवीन रोहरा के कुल छह बैंक खाते हैं। इनमें 34.22 करोड़ रुपये जमा हुए, जिन्हें एटीएस संदिग्ध मा न रही है।-नीतू से नसरीन बनी छांगुर की सबसे विश्वासपात्र है। उसके आठ बैंक खाते हैं, जिनमें 24 फरवरी से 28 जून 2021 तक कुल 13.90 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।-छांगुर के स्थानीय स्तर पर अब तक छह बैंक खाते मिले हैं। एसबीआई के खाते में छह लाख रुपये विदेश से जमा हुए हैं। इसके अतिरिक्त उसके सऊदी अरब के शारजाह, यूएई, दुबई के मशरेक शहर में खोले गए बैंक खातों का रिकॉर्ड जांच एजेंसियों को नहीं मिल सका है।15 साल से अवैध धर्मांतरण करा रहा था छांगुर, ईडी ने भी तेज की जांच: छांगुर बीते 15 वर्षो से हिंदुओं का गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कर रहा था। बृहस्पतिवार को एटीएस ने छांगुर और उसकी करीबी नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ जेल से रिमांड पर लेने के बाद पूछताछ शुरू की, जिसमें उसने यह खुलासा किया है। उन्हें जल्द बलरामपुर ले जाकर अवैध धर्मांतरण से जुड़े दस्तावेज बरामद करने की कोशिश है। एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश ने बताया कि रिमांड के दौरान छांगुर से उसके गिरोह के बाकी सदस्यों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही, उसकी संपत्तियों और विदेशी खातों से होने वाली फंडिंग का भी पता लगाया जा रहा है। छांगुर के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जानकारी ईडी को भी भेजी गई है। इस मामले में पुणे निवासी मोहम्मद अहमद की भूमिका की जांच भी की जा रही है। वहीं दूसरी ओर ईडी ने भी छांगुर और उसके सहयोगियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने छांगुर और उसके करीबियों के 40 बैंक खातों की जानकारी जुटाने के बाद आयकर विभाग से संचालकों के बीते 10 वर्ष के आयकर रिटर्न का ब्योरा मांगा है।उनके वालंटियरों को पैसे देकर कमजोर वर्गों का ब्योरा लेता था और फिर चिह्नित परिवारों को आर्थिक रूप से मदद कर प्रभाव में लेकर धर्म परिवर्तन कराता था। धर्मांतरण में होने वाले खर्च का पूरा हिसाब नसरीन ही रखती थी। नवीन से जलालुद्दीन बना नीतू का पति पुलिस और स्थानीय प्रशासन को मैनेज करता था।सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार देवीपाटन मंडल में मिशनरियों ने हर वर्ग के अनुसार प्रचारक नियुक्त किया है, जिससे परिवारों को समझाने और धर्मांतरण के लिए राजी करने में आसानी होती है। इसकी पूरी चेन है। प्रचार, पास्टर और पादरी अहम कड़ियां हैं। इनके पास चुनिंदा क्षेत्रों के दलित, वंचित, गंभीर रूप से बीमार व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का पूरा ब्योरा होता है, जिसे छांगुर समय-समय पर पैसे और प्रभाव का उपयोग कर धर्मांतरण के लिए हासिल करता था।हिंदू परिवारों को प्रभावित करने के लिए वह नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जमालुद्दीन का उदाहरण देता था। बताता था कि दोनों पहले सिंधी थे। इस्लाम स्वीकार करने के बाद जिंदगी बदल गई। आज इनके पास पैसे हैं…आलीशान कोठी है…महंगी गाड़ी है…। इस्लाम स्वीकारते ही तुम्हारी भी जिंदगी बदल जाएगी।भारत-नेपाल बॉर्डर पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि छांगुर पीर मिशन आबाद की अहम कड़ी है। हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन के बदले उसे विदेश से फंडिंग भी होती थी। इसकी रिपोर्ट भी बनी और गृह मंत्रालय को भेजी भी गई। देर से ही सही, लेकिन अब कार्रवाई पुख्ता हो रही है।तो आईएसआई से नजदीकी बढ़ाने काठमांडू भी गया था छांगुर
बीते दिनों नेपाली सेना के पूर्व सैनिकों का एक सम्मेलन राजधानी काठमांडू स्थित पाकिस्तान दूतावास में आयोजित हुआ था, जिसमें पाकिस्तान की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (एडीयू) का प्रतिनिधिमंडल मौजूद था। पाकिस्तान दूतावास के सैन्य सलाहकार कर्नल मुहम्मद अली अल्वी भी थे। दुनिया को दिखाने के लिए भले ही यह एक्सचेंज प्रोग्राम था, लेकिन इस कार्यक्रम के बाद पाकिस्तानी दल ने भारत सीमा का दौरा किया था, जिसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी भी थे। तब नेपाल के सीमावर्ती जिले दांग के एक कद्दावर धार्मिक नेता के साथ छांगुर आईएसआई से नजदीकी बढ़ाने काठमांडू तक भी पहुंचा था।

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