भारत में कोरोना संक्रमण के वास्तविक मामले आधिकारिक मामलों से 17 गुना ज्यादा संभवः रिसर्च का दावा

वाराणसी: आधिकारिक आकंडों के अनुसार भारत में अब तक 4.5 करोड़ आबादी कोरोना से संक्रमित हुई है, हालांकि, बीएचयू वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में दावा किया गया है कि देश में वास्तविक कोरोना संक्रमण संभवतः 17 गुना अधिक रहा होगा। बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में देश भर के 34 शोध संस्थानों के 88 वैज्ञानिक शामिल थे। वैज्ञानिको की इस टीम ने सितंबर-दिसंबर 2020 के महीने के दौरान छह राज्यों के चौदह भारतीय जिलों के शहरी क्षेत्र में 2301 व्यक्तियों के बीच सेरोसर्वे (एंटीबॉडी परीक्षण) किया। इस अध्ययन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा कोविड संक्रमण के लिए एसिमप्टोमैटिक था और 26-35 आयु वर्ग में एसिमप्टोमैटिक लोगों की अधिकतम संख्या थी। यह अध्ययन प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इन्फेक्शस डीजीजेस (आईजेडआईडी) में प्रकाशित हुआ है।
किसी भी कोरोना लहर के बाद लोगो में एंटीबाडी की जांच वास्तविक संक्रमण का सटीक आंकलन करता है। इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए टीम ने चौदह भारतीय जिलों से शहरी इलाकों के रोजाना भीड़भाड़ में रहने वाले ऐसे लोग (स्ट्रीट वेंडर्स) जिन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, उनके सैंपल पर यह शोध किया। उन्हीं लोगों के नमूने लिए गए जिन्होंने स्वयं रिपोर्ट किया था कि उनमें कभी कोई कोविड लक्षण नहीं रहा या आरटी पीसीआर परीक्षण पॉज़ीटिव नहीं रहा था। छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में एंटीबॉडी-पॉजिटिव लोगों का न्यूनतम अनुपात देखा गया, जबकि एंटीबॉडी-पॉजिटिव व्यक्तियों का अधिकतम अनुपात उत्तर प्रदेश राज्य के गाजीपुर जिले में पाया गया।
शोध के अनुसार आधिकारिक आंकड़ों तथा संभावित वास्तविक आंकड़ों का अंतर एसिमप्टोमैटिक मामलों की अधिक संख्या होने के कारण थी। अध्ययन में गणितीय आंकलन की मदद से इस नतीजे पर पंहुचा गया है। प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि अध्ययन के नतीजों को सावधानीपूर्वक समझने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र पर ही आधारित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button