नई पहल: बीएचयू के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में शुरु हुए MICS ऑपरेशन

सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने हृदय के जन्मजात छिद्र का किया बिना किसी बड़ी चीरफाड़ के ऑपरेशन

वाराणसी: जनसाधारण को उत्तम, किफायती तथा आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सर सुन्दरलाल चिकित्सालय निरन्तर प्रयासरत है। इस ओर एक क़दम और बढ़ाते हुए चिकित्सालय के सीटीवीएस विभाग में Minimally Invasive Cardiac Surgery (MICS) की शुरुआत की गई है। सामान्य भाषा में इसे Key Hole Cardiac Surgery भी कहते हैं। पूर्वांचल क्षेत्र में पहली बार इस प्रकार की सर्जरी करते हुए विभाग के शल्य चिकित्सकों प्रमुखतः डॉ. अरविंद पाण्डेय तथा डॉ. नरेन्द्र नाथ दास ने एक 25 वर्षीय महिला के हृदय में जन्मजात छिद्र का इलाज किया है। एनेस्थीसिया विभाग से प्रो. आर. बी. सिंह, डॉ. स्मिता तथा डॉ. शेखर, चिकित्सकीय सहयोगी दिनेश मैती, तथा नर्सिंग टीम के सदस्यों विकास, सुतापा एवं चितरंजन के सहयोग से ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। मरीज़ पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। इस तरह की समस्या के लिए आमतौर पर छाती को काट कर ऑपरेशन किया जाता है, जिस से ठीक होने में काफी समय तो लगता ही है, मरीज़ को काफी समय तक दर्द भी झेलना पड़ता है। इसके अलावा मरीज़ को अपनी निय़मित दिनचर्या फिर आरंभ करने के लिए कम से कम 4 से 6 हफ्ते का समय लग जाता है। Minimally Invasive Cardiac Surgery (MICS) विधि से ऑपरेशन इन सभी समस्याओं का निराकरण करता है। इस विधि में शल्य केन्द्रित जगह के पास छोटा कट लगाकर मरीज़ का इलाज़ किया जाता है। अन्य विधि की तुलना में इस तरीके में दर्द भी काफी कम होता है और मरीज़ की रिकवरी भी जल्दी होती है। इसके अलावा मरीज़ 7-10 दिन के भीतर अपने नियमित कामकाज शुरु कर सकते हैं।

गौरतलब है कि सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में ओपन हार्ट सर्जरी बाईपास सर्जरी, वाल्व प्रत्यारोपण, हृदय के जन्मजात रोगों ASD, VSD, TOF, redo ओपन हार्ट सर्जरी, रक्त वाहिकाओं की सर्जरी, महाधमनी की सर्जरी आदि नियमित रूप से की जाती हैं। विभाग जल्दी ही MICS वाल्व सर्जरी तथा MICS CABG (Coronary Artery Bypass Surgery) भी आरंभ करने जा रहा है।
इस नई पहल के तहत शल्य क्रिया को क्रियान्वित करने में चिकित्साल प्रशासन विशेष रूप से कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला तथा चिकित्सा अधीक्षक प्रो. के. के. गुप्ता का सहयोग उल्लेखनीय रहा।

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