बीएचयू के इतिहास विभाग में राष्ट्रीय संगोष्ठी और पुरातन छात्र समागम का आयोजन

बीएचयू के इतिहास विभाग में राष्ट्रीय संगोष्ठी और पुरातन छात्र समागम का आयोजन
वाराणसी। आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं पुरातन छात्र समागम का आयोजन किया गया । काशी:पुनर्विचार, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विमर्श विषय पर आयोजित कार्यक्रम के प्रथम दिन काशी की महत्ता पर विभिन्न विद्वानों का भाषण और पुरातन छात्रों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। दो सत्रो में विभाजित कार्यक्रम के पहले सत्र में मुख्य अतिथि अगरतल्ला के महाराजा बीर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यदेव पोद्दार ने अपने संबोधन में काशी को लेकर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सामाजिक,धार्मिक और सांस्कृतिक विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए समकालीन शोध पर जोर देने की वकालत की।वैज्ञानिक शोध प्रविधि के जरिये काशी के इतिहास को नया आयाम देने की बात कही। उन्होंने प्राचीन काशी की महत्ता को उजागर करते हुए वर्तमान पीढ़ी को काशी की गरिमा को बरकरार रखने का आग्रह किया। काशी की बदलती स्थिति से प्रभावित होकर उन्होंने कहा कि आजाद भारत में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही काशी पर पुनर्विचार किया और विभिन्न प्रयासों से काशी का कायाकल्प किया।
वहीं मुख्य वक्ता मारूति नंदन तिवारी ने अपने भाषण में काशी और गंगा घाटों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि काशी वैश्विक सामाजिक मूल्यों को अभिव्यक्त करता है। यहां के घाट नहीं हैं, बल्कि अपने आप में संस्कृति हैं।काशी की महत्ता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि काशी धर्म और संस्कृति के मामले में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करती है।काशी सबका और सबको जोड़ने वाला संगम स्थल है। काशी में समग्रता का भाव समाहित है।काशी को सांस्कृतिक ईकाई के रूप में देखना चाहिए।उन्होंने इतिहास के अध्येता एवं शोधार्थियों को इतिहास पढ़ने के साथ-साथ ऐतिहासिक मूर्तियों के संरक्षण के लिए भी आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि काशी की संस्कृति में दूसरों को श्रेष्ठ समझा जाता है। आज जरूरत इस बात की है कि ‘मैं’ की जगह ‘हम’ की भावना पर विशेष बल दिया जाए।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय से जुड़े पुरातन छात्रों का सम्मान किया गया। पुरातन छात्रों ने विश्वविद्यालय में बिताये गये विभिन्न पलों का याद किया और उसे सबों से साझा किया।
वहीं इतिहास विभाग के पूर्व प्रोफेसर राकेश पाण्डे ने अपने वक्तव्य में स्वाधीनता संग्राम में काशी की भूमिका और बीएचयू के नवनिर्माण विषय पर व्याख्यान दिया।उन्होंने सेंट्रल हिंदू स्कूल और बीएचयू की स्थापना से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख किया।मालवीय जी के प्रयासों को याद करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय निर्माण में आने वाली बाधाओं और मालवीय जी के संकल्प के द्वारा विश्वविद्यालय निर्माण के साकार होने के संघर्ष का स्मरण किया।
इस कार्यक्रम के संयोजक डा० अशोक कुमार सोनकर सहायक प्रोफेसर इतिहास विभाग सामाजिक विज्ञान संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और डा० सत्यपाल यादव थे। मंच संचालन डा० सीमा मिश्रा ने किया। स्वागत भाषण इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. घन श्याम ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा० अशोक कुमार सोनकर ने किया। इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकाय की प्रमुख प्रो. बिंदा परांजपे, पूर्व डीन प्रो० अरविंद कुमार जोशी, आर०पी० पाठक, प्रो० रंजना शील, प्रो० ताबीर कलाम, प्रो० आशुतोष कुमार, प्रो० सुतापा दास, डा० राजीव कुमार श्रीवास्तव, डा० अर्चना श्रीवास्तव, सुधांशु सिंह आदि लोग उपस्थित थे।