सिविल सेवा में 37वीं रैंक पाकर आईएएस बने चैतन्य अवस्थी,जिले का नाम किया रोशन,पहली बार मे हासिल की सफलता,पिता के सपनों को किया साकार
औरैया:पिता से आईएएस बनने वायदा कर बेटे ने पहली बार मे ही सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर ली। आईएएस बनकर चैतन्य अवस्थी ने अपने गांव का ही नही बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है। उनके घर पर उन्हें बधाई देने का तांता लग गया है।
जिले के गांव बेल्हूपुर के रहने वाले संत शरण अवस्थी दैनिक जागरण में नेशनल सम्पादक रहे है। वह अपने बेटे चैतन्य अवस्थी को आईएएस बनाना चाहते थे। कोरोना काल में संत शरण अवस्थी जी का देहावसान हो गया। लेकिन पिता से किए उस वायदे को चैतन्य ने याद रखा। ग्रेजुएशन करने के बाद कोलकाता के नेशनल कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद कानपुर में घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ाई की और पहली बार मे ही आईएएस की परीक्षा पास कर ली। चैतन्य को इस उपलब्धि पर। पूरे गांव के साथ जिले भर में खुशी की लहर है। घर पर बधाइयां देने का तांता लगा है। चैतन्य अवस्थी का कहना है की लगन और जुनून से इरादा बनाया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। बताते हैं कि उन्होंने 10 घण्टे का अलग अलग टाइम टेबिल बनाया था,जिसके बाद उन्हें सफलता मिली। चैतन्य की इस उपलब्धि पर जिले के डीएम प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव समेत जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बधाई दी है।चैतन्य अवस्थी के चाचा नई दुनिया के एमपी व छत्तीसगढ़ के राज्य संपादक है और दूसरे चाचा रमाशरण अवस्थी दैनिक जागरण में अयोध्या मण्डल के प्रभारी है। चैतन्य अपनी सफलता का श्रेय अपने चाचा के कुशल मार्गदर्शन को भी देते हैं।