तीन माह बाद 16 सितंबर से पर्यटकों के लिए खुल जाएंगे वन्यजीव अभयारण्य

अशोक झा, सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल देश विशेष पर्यटकों का आकर्षक और पसंदीदा क्षेत्र है। इस क्षेत्र से 5 जिला और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सीमा जुड़े है। दुर्गा पूजा के समय से ही यहां बढ़ी संख्या में पर्यटक आने लगते है। पर्यटक व पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के लिए खुशी की खबर है कि तीन महीने तक पर्यटकों के लिए बंद रहने के बाद डुआर्स के विभिन्न जंगल 16 सितंबर से फिर से खुल रहे हैं। हर साल 16 जून से 3 महीने के लिए गरूमारा, चपरामारी समेत विभिन्न जंगल पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। मुख्यतः वर्षा ऋतु जंगली जानवरों का प्रजनन काल है और उस समय इन तीन महीनों तक जंगल को बंद रखा जाता है ताकि कोई भी जंगल में घुसकर उन्हें परेशान न कर सके। पर्यटक आखिरकार कल यानी शनिवार से जंगल सफारी का मजा ले सकेंगे। जंगल के प्रवेश द्वार से पर्यटकों की हुड वाली जिप्सी गाड़ियाँ विभिन्न नज़र मीनारों तक दौड़ेंगी। तीन महीने तक जंगल बंद रहने के कारण डुआर्स में कारोबार में कुछ मंदी है। होटल रिसॉर्ट व्यवसायियों के साथ-साथ जंगल सफारी वाहन चालक गाइडों की भी इन तीन महीनों में आय कम है। हालाँकि, डुआर्स के विभिन्न होटल रिसॉर्ट्स को पर्यटक बुकिंग मिलनी शुरू हो गई है। पर्यटन कारोबारियों को इस सीजन में अच्छे कारोबार की उम्मीद है। सितंबर-
अक्टूबर के महीने में आप देश के कुछ अद्भुत यात्रा स्थलों की खोज करके अपनी यात्रा का भरपूर आनंद ले सकते हैं। अक्टूबर में जैसे ही मौसम ठंडा होता है, कई स्थानों पर पर्यटकों की भीड़ हो जाती है। जिसके कारण आपको यात्रा के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हम आपको अक्टूबर में घूमने की कुछ शानदार जगहों के नाम बताने जा रहे हैं, जहां ट्रिप प्लान करके आप अपने सफर को हमेशा के लिए यादगार बना सकते हैं।

भारत में अधिकांश स्थानों का मौसम यात्रा के लिए अनुकूल होता है क्योंकि इस महीने में न तो बारिश होती है, न अत्यधिक गर्मी और न ही ठंड। मतलब आप आराम से दर्शनीय स्थलों की यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
डुवार्स, पश्चिम बंगाल:
अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो आप पश्चिम बंगाल के डुवार्स की यात्रा का प्लान बना सकते हैं। डुवार्स एक बेहद खूबसूरत जगह है खासकर उन लोगों के लिए जो शांतिपूर्ण माहौल पसंद करते हैं और प्रकृति से प्यार करते हैं। यह स्थान अपनी समृद्ध जैव विविधता और वन्य जीवन संपदा के लिए जाना जाता है। गोरुमारा नेशनल पार्क, बक्सा टाइगर रिजर्व, जलदापारा वन्यजीव अभयारण्य यहां घूमने के लिए अच्छी जगहें हैं।
लाचेन, सिक्किम
अगर आपने अभी तक सिक्किम एक्सप्लोर नहीं किया है तो आप इस महीने यहां का भी प्लान बना सकते हैं। एडवेंचर प्रेमियों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है। बर्फ से घिरे पहाड़ों और उनके बीच विभिन्न गतिविधियों को देखना एक बहुत ही अलग अनुभव है। जब आप सिक्किम आएं तो थांगू घाटी, चोपता घाटी, लाचेन मठ, गुरुडोंगमार झील और शिंगबा रोडोडेंड्रोन अभयारण्य जैसी जगहों को देखना न भूलें। पर्यटक और ज्यादा घूमना चाहते है तो उत्तर बंगाल के जयगांव से सटे भूटान एक ऐसा पड़ोसी देश है जो पूरी तरह से प्रकृति की गोद में डूबा हुआ है। भूटान एक ऐसा देश है जो पूर्वी हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे स्वच्छ देशों में से एक है। भूटान को “लैंड ऑफ़ द थंडर ड्रैगन” के नाम से भी जाना जाता है। जहां आप हर कोने में अविश्वसनीय प्राकृतिक सुंदरता देख सकते हैं। जब आप यहां पहुंचेंगे तो आसपास का माहौल आपका मन मोह लेगा और आप यहां से जाने का मन ही नहीं करेंगे। हम विशेष रूप से पारो हिल स्टेशन पर चर्चा करेंगे, जो एक अवश्य देखने योग्य स्थान है।
पारो हिल स्टेशन
17वीं शताब्दी की आश्चर्यजनक वास्तुकला से बना यह हिल स्टेशन एक अनोखा आकर्षण है। जो चीज़ इसे अलग करती है वह यह है कि आपको पूरे निर्माण में एक भी कील नहीं दिखेगी; यह पूरी तरह से लकड़ी और पत्थर से बना है। पारो सप्ताहांत बाज़ार आपकी यात्रा का एक और अनिवार्य हिस्सा है। खरीदारी के शौकीनों के लिए यह घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। यह कहना सुरक्षित है कि यह बाज़ार भूटान की सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है, जो पारो को भूटान के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाता है।
पा छू नदी: आपको भूटान में पा छू ( नदी) को देखने के लिए भी समय निकालना चाहिए। नदी के शांत पानी के ऊपर उड़ते पक्षियों को देखना एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव है। प्रकृति के बीच अपने जीवनसाथी के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए यह जगह सबसे अच्छे हनीमून स्थलों में से एक है।पारो तक कैसे पहुंच सकते है: भूटान जाने के लिए आपको अलग से वीजा लेने की जरूरत नहीं है। भारतीय नागरिक सिर्फ अपने पासपोर्ट के साथ भूटान का भ्रमण कर सकते हैं। भूटान का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पारो में स्थित है। यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो पारो ही एकमात्र विकल्प है। यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो आप पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती शहर जयगांव के माध्यम से भूटान पहुंच सकते हैं, जहां से आप परमिट प्राप्त कर सकते हैं और कार या बाइक द्वारा पारो तक अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।

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