मणिपुर में आदिवासी संगठनों का बंद से जन जीवन अस्त व्यस्त

बंगाल बिहार सीमांत के लोग जा रहे दूसरे प्रांतों में

सिलीगुड़ी: मणिपुर में एक बार फिर हालात नाजुक बनते नजर आ रहे हैं। चूराचांदपुर जिले में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने महिलाओं सहित चार कुकी-ज़ो लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार से आदिवासी बहुल जिले में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस क्षेत्र में रहने वाले बंगाल बिहार सीमांत के लोग दूसरे राज्य में पलायन कर रहे है। कारण, दो छात्रों के अपहरण और हत्या के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। राज्य सरकार का कहना है कि आऱोपियों को अधिकतम सजा सुनिश्चित की जाएगी। पाओमिनलुन हाओकिप, मालसावन हाओकिप, लिंग्नेइचोंग बाइट और तिन्नीखोल को रविवार को सीबीआई ने एक ऐसी गिरफ्तारी में गिरफ्तार किया, जो “सर्जिकल स्ट्राइक” जैसी थी।।मणिपुर पुलिस ने 2 अगस्त की अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक जातीय संघर्ष को देखते हुए इंफाल पुलिस के लिए चुरचांदपुर की पहाड़ियों में जांच के लिए जाना असंभव होगा।
‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा ऑपरेशन था, स्‍थानीय लोगों कर सकते थे बवाल
मणिपुर पुलिस और भारतीय सेना की एक संयुक्त टीम ने हेंगलेप से आरोपी को पकड़ने के लिए सीबीआई को सहयोग किया। यहां ऑपरेशन रविवार तड़के शुरू हुआ, लेकिन पुलिस को डर था कि एक संदिग्‍ध जिसकी दो नाबालिग बेटियां हैं। अगर उन्‍हें पीछे छोड़ दिया गया तो स्‍थानीय लोग हंगामा कर देंगे। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्हें अपने माता-पिता के साथ गुवाहाटी जाने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। जैसे ही स्थानीय लोग विरोध करने के लिए इकट्ठा होने लगे, दो नाबालिगों सहित छह लोगों के समूह को चुरचांदपुर की पहाड़ियों से इम्फाल ले जाया गया। इस बीच इनकी गिरफ्तारी के विरोध में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) समेत अन्य आदिवासी संगठनों ने चुराचांदपुर जिले में सोमवार 1 अक्टूबर सुबह 10 बजे से पूर्ण बंद का आह्वान किया है। वहीं स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर लगे बैन को 6 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का कहना है कि दो युवा छात्राओं की हत्या के चार संदिग्धों को सीबीआई और अन्य सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्‍होंने बताया था कि सीबीआई, सेना, असम राइफल्स और राज्य सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम ने दो युवा छात्राओं की हत्या के मामले में चुराचांदपुर जिले से चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इस जघन्य मामले में यह बड़ी सफलता है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद मणिपुर में आदिवासियों के शीर्ष संगठन आईटीएलएफ ने रविवार रात चुराचांदपुर जिले में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया। आईटीएलएफ ने 48 घंटों के भीतर चार लोगों को रिहा करने की मांग की है और कहा है कि ऐसा नहीं होने पर मणिपुर के सभी पहाड़ी जिलों में और अधिक तीव्र आंदोलन किया जाएगा। आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा, मैतेई बहुल क्षेत्रों वाले सभी सीमा क्षेत्रों को सील किया जा रहा है। किसी को भी बफर जोन में प्रवेश करने या छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी सरकारी कार्यालय आज (सोमवार) से बंद हैं। पुलिस ने कहा कि सार्वजनिक वाहन सड़क से नदारद रहने के कारण सभी वाणिज्यिक और व्यावसायिक गतिविधियां रुकी हुई हैं। चुराचांदपुर जिले में बंद के मद्देनजर सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय और वित्तीय संस्थान बंद रहे। आईटीएलएफ ने सीबीआई की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने स्थानीय अधिकारियों की जानकारी के बिना चार लोगों को गिरफ्तार किया था और वहां कोई महिला पुलिस अधिकारी और कोई किशोर पुलिस इकाई नहीं थी, जैसा कि कानून के अनुसार जरूरी था। यह मामला दो मैतेई छात्राओं के लापता होने से संबंधित है। संगठन की ओर से कहा गया की, “गिरफ्तारी उन तस्वीरों के सामने आने के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद हुई, जिनमें दो छात्रों के शव दिखाई दे रहे हैं। यदि सीबीआई इतनी तत्परता से कार्रवाई कर सकती है, तो उसने इंफाल में दो आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या, 7 वर्षीय आदिवासी लड़के को उसकी मां और चाची के साथ जिंदा जला देने जैसे जघन्य मामलों में किसी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया। एक आदिवासी युवक पर अत्याचार और उसका सिर कलम करना और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं का क्या? और उन हजारों हथियारों और लाखों गोला-बारूद का क्या जो इंफाल घाटी में लूटे गए ?”
आदिवासी निकाय ने कहा, “क्या केंद्र सरकार सोचती है कि इन हथियारों की पुनर्प्राप्ति के बिना हिंसा और गोलीबारी रुक सकती है? मुख्यमंत्री ने अविश्‍वसनीय रूप से रविवार को सार्वजनिक तौर पर कहा था कि छात्रों की हत्या के मामले में “मुख्य दोषियों” को पूछताछ (मुकदमे के बारे में भूल जाओ) से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है। ऐसा लगता है कि आदिवासी तब तक दोषी हैं, जब तक निर्दोष साबित न हो जाएं। मणिपुर में 17 वर्षीय छात्रा हिजाम लिनथोइंगंबी और 20 वर्षीय फिजाम हेमजीत की हत्या के विरोध में पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर छात्रों का आंदोलन देखा गया। दोनों छात्र बिष्णुपुर जिले की थीं और जातीय हिंसा के चरम पर पहुंचने के दौरान 6 जुलाई को लापता हो गए थे। इंटरनेट से प्रतिबंध हटने के बाद उनकी तस्वीरें 25 सितंबर को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की गई थीं। छात्रों की हत्या के खिलाफ आंदोलन के दौरान लड़कियों सहित कम से कम 100 छात्र सुरक्षा बलों के साथ झड़प में घायल हो गए। झड़प तब हुई, छात्रों को मुख्यमंत्री के बंगले की ओर मार्च करने से रोका गया था। @ रिपोर्ट अशोक झा

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