अलीपुरद्वार क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले की जांच में उत्तर बंगाल पहुंची सीबीआई की टीम

कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने अलीपुरद्वार क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले की जांच शुरू कर दी है। इससे पहले सीआईडी मामले की जांच कर रही थी। पिछले 3 साल से सीआईडी मामले की जांच करते हुए किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची थी। इसके बाद ही कोलकाता हाई कोर्ट ने सीआईडी को फटकार लगाते हुए सीबीआई को जांच सुपुर्द कर दिया।
उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में सीबीआई शनिवार की सुबह से सहकारी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। अलीपुरद्वार क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के करीब 50 करोड़ रूपये के वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने शहर व्यापी अभियान चलाया। सहकारी संस्था के प्रबंधक तृप्तिकाना चौधरी समेत सूर्य नगर इलाके के कुछ घरों में तलाशी अभियान चल रहा है। सीबीआई के अधिकारी कई टीमों में बंट गए और अलग-अलग इलाकों में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। मालूम हो कि जांचकर्ता सुबह करीब छह बजे डीआरएम कार्यालय से सटे इलाके में गये थे। वहां से वे कई समूहों में बंट गए और इस दिन सीबीआई अधिकारियों ने सहकारिता से जुड़े कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी और मैराथन पूछताछ शुरू कर दी। इस मामले में सीबीआई अधिकारियों ने ठगे गए लोगों से भी बात की है। संयोग से, शिकायतकर्ताओं ने जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में एक मामला दायर कर कलकत्ता उच्च न्यायालय की सीबीआई-ईडी के हस्तक्षेप की मांग की थी। उनका आरोप है कि महिला क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी में करीब 21 हजार 163 लोगों ने निवेश किया था। एक वादी ने दावा किया कि कुल 50 करोड़ रूपये रखे हुए थे। बाद में एसोसिएशन के सदस्यों को पता चला कि एसोसिएशन “ऑफ’ हो चुकी है। हालांकि बताया गया कि महिलाओं से पैसे लेकर बाजार में लौटा दिए जाएंगे। उस मामले में 25 अगस्त को सीआईडी ​​द्वारा जांच बंद करने के बाद जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीबीआई और ईडी को तुरंत जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया था। लेकिन तीन साल की जांच के बावजूद सीआईडी ​​यह पता नहीं लगा सकी कि कर्ज के तौर पर पैसा किसे दिया गया था। इसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। बाद में दो केंद्रीय एजेंसियों, सीबीआई और ईडी को मामले की जांच सौंपी गई। इसके मुताबिक, अलीपुरद्वार सहकारी समिति में 50 करोड़ के वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले की जांच सीबीआई और ईडी एक साथ कर रही है।अलीपुरद्वार को ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला एक ऐसा घोटाला था, जिसमें गरीब जनता को कुछ बड़े लोगों ने ठगा था तथा उनकी निवेश की रकम को हड़प लिया था। इस मामले पर खूब राजनीति होती रही और अंततः राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए सीआईडी को नियुक्त किया। अलीपुरद्वार महिला कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी की वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए सीबीआई अलीपुरद्वार पहुंची तो इस घोटाले से जुड़े लोगों में हड़कंप मच गया।सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के दल में तीन अधिकारी शामिल है। अलीपुरद्वार पहुंचते ही सीबीआई की टीम के लोग अलीपुरद्वार के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर सुरीद मजूमदार के पास पहुंचे और मामले की सारी जानकारी ली। उन्होंने मजूमदार से घंटो पूछताछ की। 24 अगस्त को कोलकाता हाई कोर्ट ने कोऑपरेटिव घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। 2019 में अलीपुरद्वार में यह घटना सामने आया था। सोसाइटी के प्रभारी कई नेताओं के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ केस दायर किया गया था। इस समिति में लगभग 21000 लोग अपनी कमाई जमा करते थे. उनकी कमाई समिति के अधिकारियों द्वारा हड़प लिए जाने का आरोप लगा। बाद में सोसाइटी में जमा करने वालों ने पुलिस में समिति के खिलाफ रपट दर्ज करवाई। इस रिपोर्ट के आधार पर महिला समिति की अध्यक्षा उपासना सेनगुप्ता समेत पांच अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। लेकिन जब सीआईडी द्वारा मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई, तब जमा कर्ताओं ने कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी और सीबीआई जांच की मांग की।सीबीआई और ईडी को सभी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए हाई कोर्ट की ओर से 12 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। सीबीआई अधिकारियों के अलीपुर द्वार पहुंचते ही कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के आरोपियों समेत संस्था के अधिकारियों की नींद उड़ गई है। इसमें बड़े-बड़े लोग शामिल हैं। कई
नेता भी हैं। उन्हें लगता है कि जिस तरह से बंगाल में सीबीआई और ईडी अपना काम कर रही है, ऐसे में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी लोगों के पकड़े जाने की संभावना बढ़ गई है। सीबीआई के अधिकारी छानबीन के क्रम में कई प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले सकते हैं। इससे पूरे क्षेत्र के सफेद पोश लोगों में भय व्याप्त है। @रिपोर्ट अशोक झा

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