24 घंटे में उत्तर बंगाल में मृत पाया गया दो जंगली हाथी, वन्य पर्यावरण प्रेमी चिंतित

24 घंटे में उत्तर बंगाल में मृत पाया गया दो जंगली हाथी, वन्य पर्यावरण प्रेमी चिंतित
सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल में दो दिन में दो हाथियों की मौत से वन विभाग समेत वन्य पर्यावरण प्रेमियों में सनसनी फैल गई है। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है। शनिवार को फालाकाटा ब्लॉक के देवगांव ग्राम पंचायत के सियालडांगा में और रविवार को कुमारग्राम के कार्तिका इलाके से हाथी के शव को बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों ने सुबह तुरतुरी नदी के तट पर एक हाथी का शव को पड़ा देखा। वन विभाग को इसकी सूचना दी। सूचना पाकर वन कर्मचारी और बक्सा टाइगर प्रोजेक्ट के अधिकारी पर पहुंचे और हाथी का शव बरामद किया। यह खबर फैलते ही इलाके में सनसनी फैल गई। वन विभाग का प्राथमिक अनुमान है कि हाथी की मौत स्वभाविक रूप से हुई है। फिर भी मौत की असली वजह पोस्टमार्टम के बाद साफ़ हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि शनिवार को फालाकाटा ब्लॉक के देवगांव ग्राम पंचायत के सियालडांगा इलाके से भी एक हाथी का शव बरामद किया गया था। देश में हाथियों पर लगातार संकट मंडरा रहा है। पहले भी वन्यजीव अभ्यारण्य में बिजली गिरने से कम से कम पाँच हाथियों की मौत हो गई। ऐसी आशंका है कि हाथी जब नदी का पानी पीने आये थे तभी बिजली गिरने से उनकी मौत हो गई थी। यह बक्सा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत अलीपुरद्वार क्षेत्र में न्यू लैंड्स टी एस्टेट के पास एक नदी में घटी थी। हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन
के संयोजक अनिमेष बोस ने कहा कि इस प्रकार हाथियों की मौत चिंता का विषय है। वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) के शक्ति रंजन बनर्जी का कहना है कि उत्तर बंगाल में वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर और जोड़ देना होगा। इसके लिए जरूरी है पर्यावरण का संरक्षण किया जाए।पिछले दो वर्षों में, डुआर्स रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाओं में या पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में अवैध शिकार और बिजली के झटके से कम से कम 12 हाथियों की मौत हो गई। बंगाल के वन मंत्री ने हाथियों की मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वन विभाग को अप्राकृतिक मौतों की जांच करनी चाहिए।
बंगाल में 600 स्थानीय युवाओं को गजमित्रों की होगी नियुक्ति:
मानव-हाथी संघर्ष (एचईसी) की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल ने गजमित्र (हाथियों के मित्र) नाम से एक अनूठी पहल शुरू की है। इस योजना के तहत, राज्य के वन विभाग ने उत्तर बंगाल के साथ-साथ दक्षिण बंगाल में 600 स्थानीय युवाओं को गजमित्रों के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बंगाल के वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक के मुताबिक, भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, एक बार भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, चयनित युवाओं को विशेष रूप से विकसित गजमित्र ऐप के साथ एंड्रॉइड सेट प्रदान किए जाएंगे। मंत्री ने कहा कि चयनित युवा हाथी के झुंड की आवाजाही के बारे में अग्रिम जानकारी प्राप्त करेंगे, वन विभाग और स्थानीय लोगों को सतर्क करेंगे ताकि संघर्ष से बचने के लिए निवारक उपाय किए जा सकें।
यह पता चला है कि 200 ऐसे गजमित्रों को दक्षिण बंगाल में प्रतिनियुक्त किया जाएगा, जबकि 400 उत्तर बंगाल के लिए होंगे। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, उत्तरी बंगाल के मामले में यह संख्या दोगुनी है क्योंकि उत्तर बंगाल में संघर्ष की घटनाएं दक्षिण बंगाल की तुलना में काफी ज्यादा हैं।
गजमित्र योजना के तहत आने वाले दक्षिण बंगाल के जिलों में पश्चिम मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया शामिल हैं। उत्तर बंगाल में इसके दायरे में आने वाले जिले दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार हैं। अधिकारी ने कहा, उत्तर बंगाल में संघर्ष जिलों की संख्या कम होने के बावजूद, इन मामलों में घटनाएं बहुत अधिक हैं।
यह देखते हुए कि उत्तर बंगाल में संघर्ष की घटनाएं अधिक हैं, रेलवे के सहयोग से वन विभाग ने इस क्षेत्र में इस गिनती पर एक और परियोजना निर्धारित की है। यह परियोजना उत्तर बंगाल में तराई और दुआर क्षेत्र के जंगलों के माध्यम से चलने वाली रेलवे पटरियों के साथ एक संवेदनशील सेंसर अलार्म सिस्टम की स्थापना है, ताकि तेज रफ्तार ट्रेनों से टकराने के बाद हाथियों की मौत को रोका जा सके।अधिकारी ने कहा, यह पहल इस बात पर विचार कर रही है कि इन रेलवे पटरियों का एक बड़ा हिस्सा जंगलों से होकर गुजरता है, जहां कई महत्वपूर्ण हाथी गलियारे हैं। यह सेंसर अलार्म सिस्टम कैसे काम करेगा, इस बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि रेल की पटरियों के पास हाथियों के झुंड के आने पर सिस्टम नजदीकी रेलवे स्टेशन के साथ-साथ नजदीकी वन रेंज कार्यालय को अलर्ट भेजेगा।
अलर्ट मिलने पर निकटतम रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र में चलने वाली ट्रेनों के चालकों को अलर्ट भेजेगा, ताकि वे धीमे हो जाएं और हाथियों से टकराने से बच सकें। दूसरी ओर, वनकर्मी अलार्म प्राप्त करने पर रेलवे ट्रैक से हाथियों के झुंड को सुरक्षित दूर ले जाने के लिए पास के रेंज कार्यालय में एहतियाती कदम उठाएंगे।
14 साल में देश के विभिन्न राज्यों में 1,357 हाथियों की मौत:
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि पिछले 14 साल में देश के विभिन्न राज्यों में 1,357 हाथियों की मौत हुई है। इसमें करंट से 898, ट्रेन से कटकर 228, शिकारियों द्वारा 191 हाथी मारे गए हैं। 40 हाथियों को जहर खिलाकर मौत के घाट उतारा गया है। पिछले 13 साल में 898 हाथियों की करंट लगने से मौत हुई है. हाथियों की मौत का दूसरा बड़ा कारण ट्रेन से कटकर मौत होना बताया गया है. ट्रेन से कटकर 228 हाथियों ने जान गंवाई है। ट्रेन से कटकर उत्तराखंड में 27 हाथी मारे जा चुके हैं. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार देश में हाथियों की अनुमानित संख्या में नार्थ ईस्ट के अरुणाचल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, वेस्ट बंगाल, मणिपुर और मिज़ोरम में मिलाकर 10,139 हाथी हैं। हाल में ही भारत सरकार ने । लगातार वन्यजीव संरक्षण की दिशा में काम कर रही है। सरकार ने 62 नए एलिफेंट कॉरिडोर को मंजूरी दी है। इससे न केवल हाथियों की रक्षा-सुरक्षा होगी, बल्कि अन्य जीव-जन्तु भी इन गलियारों का लाभ उठा पाएंगे।
बंगाल में सबसे ज्यादा 77 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है रेल
भारत सरकार हाथियों की सुरक्ष-संरक्षा की दिशा में कदम उठाते हुए एलिफेंट रिजर्व से गुजरने वाले 110 रेल खंड की पहचान की है। बंगाल में सबसे ज्यादा 77 करोड़ रुपए रेल खर्च कर रहा है। जहां हाथियों के आवागमन के लिए अंडरपास बनेंगे। रेल चालक दल को पटरी पर ज्यादा दिखाई दे, इसके लिए हाथियों के आवागमन वाले इलाके में पेड़ों की छँटाई कराने की योजना पर काम करने के साथ ही चालकों को और संवेदनशील बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए हैं। अक्सर हाथियों की रेल दुर्घटना में मौत की जानकारी सामने आती है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने रेल मंत्रालय के साथ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। @रिपोर्ट अशोक झा