पुरखों को खोजते नीदरलैंड से बस्ती पहुंचे तीसरी पीढ़ी का परिवार

पुरखों को खोजते नीदरलैंड से बस्ती पहुंचे तीसरी पीढ़ी का परिवार

उप्र बस्ती जिले में पुरखों की माटी से लगाव ने 113 साल बाद एक परिवार को विक्रमजोत के नियामतपुर गांव में ले आया। ग्रामीणों का स्नेह देखकर पूरा परिवार गदगद हो गया। यह परिवार है भाष्कर रेवती का भाई-बहन के अलावा उनकी पत्नी भी सा‌थ में हैं। नियामतपुर में भाष्कर रेवती अपनी दादी सुखना देवी की याद संजोने पहुंचे हैं।

गांव में प्रवासी परिवार की जानकारी के बाद प्रधान संतोष गुप्ता ने पुरखों के बारे में जानकारी ली। भाष्कर के मुताबिक 113 साल पहले अंग्रेेजी शासन में दादी सुखना 21 वर्ष की उम्र में परिवार छोड़ अकेले ही कोलकाता के रास्ते दक्षिणी अमेरिका के सूरीनाम देश में जा बसीं। प्रधान ने बताया कि प्रवासी विदेशी परिवार के भाष्कर रेवती का कहना है कि अंग्रेंजी शासन काल के दौरान गांव निवासी सुखना पुत्री भिखारी 21वर्ष की उम्र पर 25 मार्च 1909 को कलकत्ता के रास्ते अकेले ही दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम चली गयी थी । बताया कि दादी अम्मा की 1965 में मौत के बाद में इनका परिवार पिता के साथ नीदरलैंड के हालैंड में जाकर बस गया। वर्तमान में पूरा परिवार सूरीनाम में रहते हैं। बताया कि उनके साथ उनकी पत्नी व भाई बहन सहित परिवार दादी अम्मा का गांव देखने भारत पहुंचे है।

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