बंगाल में लोकसभा में हिंदुत्व के पिच और मुस्लिम उपेक्षा के हिट विकेट पर क्या ममता बनर्जी होगी बोल्ड
कोलकाता: 2024 के आम चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहे हैं, बंगाल में भाजपा ने खेल को और ऊंचा उठा दिया है। हिंदुत्व के पिच और मुस्लिम उपेक्षा के हिट विकेट पर ममता बनर्जी को भाजपा ने बोल्ड करने का प्लान तैयार किया है। यह फूलप्रूफ प्लान किसी और का नहीं बल्कि गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह का है। भाजपा का मंसूबा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद राज्य भर में रथ निकालने का भी है। भाजपा ने तय किया है कि ममता के राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होने के निर्णय को वह राज्य भर में मुद्दा बनाएगी। इससे इतना तो साफ हो गया है कि कम्युनिस्ट सेकुलर राजनीति का गढ़ कहे जानेवाले पश्चिम बंगाल में अब हिन्दुत्व मुद्दा बनता जा रहा है। अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के लिए चर्चित ममता बनर्जी भी अब हिन्दू विरोधी नहीं दिखना चाहतीं। 70-30 के धार्मिक विभाजन वाले बंगाल में अगर 50 प्रतिशत हिन्दू भी हिन्दुत्व के नाम पर वोट करना शुरु कर देते हैं तो यह बंगाल में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होगा।भाजपा बंगाल के 13 मुस्लिम बाहुल निर्वाचन क्षेत्र में मोदी मित्र अभियान और मुस्लिम स्नेह सम्मेलन 5 जनवरी से शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोकसभा चुनाव तक बंगाल के 2 करोड़ हिन्दुओं को अयोध्या दर्शन कराने की रणनीति पर भी काम कर रही है। भाजपा ‘हर घर राम’ योजना के तहत बंगाल के हर हिन्दू परिवार के यहां राम की मूर्ति और राम मंदिर का प्रसाद पहुंचाने की तैयारी में है। भाजपा का एजेण्डा साफ है बंगाल में वोटों का ध्रुवीकरण ही ममता को हराने का एकमात्र रास्ता है। गृहमंत्री अमित शाह का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को घेरने की रणनीति बनाने पर था। शाम को पांच राज्यों की जीत पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करने भाजपा मुख्यालय पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह से हसंकर पूछा आगे क्या प्लान है? शाह ने भी मुस्कराकर जवाब दिया था बंगाल का प्लान है। इसी बंगाल प्लान की रणनीति बनाने और गति देने के लिए अमित शाह और जेपी नड्डा 26 दिंसबर को बंगाल के दौर पर थे। बंगाल में पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने साफ कहा कि लोकसभा चुनाव में बंगाल से 35 सीटों से कम कुछ भी मंजूर नहीं। हमे हर हाल में 35 सीटें जीतना है और ममता बनर्जी को सबक सिखाना है। अमित शाह ने साफ कहा कि तृणमूल कांग्रेस, कम्युनिस्ट और कांग्रेस मिलकर भी मोदी को बंगाल में 35 सीटें जीतने से नहीं रोक सकते।।अमित शाह ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए बंगाल में चुनाव प्रबंधन समिति का गठन किया है। इस समिति में अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष नड्डा, बंगाल प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, दिलीप घोष, सुभेंदु अधिकारी, राहुल सिन्हा, अभिताभ चक्रवर्ती, सतीश ढाढ़, मंगल पांडे, आशा लाकड़ा शामिल होंगे। अमित शाह ने कलकत्ता में भाजपा संगठन के पदाधिकारियों से कहा कि बंगाल बदलाव के लिए आकुल है। ममता के मुस्लिम तुष्टिकरण का जमकर जवाब देना होगा। गौरतलब है कि 2023 के मार्च में हावड़ा और हुगली जिलों में रामनवमी समारोह के दौरान हिंसा के बाद भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया था और हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था।।ममता बनर्जी उसके बाद से लगातार भाजपा पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोप लगा रही हैं। भाजपा जानती है कि ममता किसी भी स्थिति में बंगाल की 27.5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को कांग्रेस और वामपंथियों के पास वापस नहीं जाने देना चाहतीं और अपने मुस्लिम वोट के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। अमित शाह ने अपने बंगाल दौर पर साफ कहा कि सीएए किसी भी हालत में लागू होगा, वहीं ममता भी कह रही हैं कि बंगाल में वह एनआरसी लागू नहीं होने देंगी।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद होने वाले मोदीमय और राममय माहौल से बंगाल को बचाना चाहती हैं। ममता की कोशिश किसी भी स्थिति मे वोटों का ध्रुवीकरण रोकना है। अमित शाह बंगाल में बोल रहे है कि ममता सिर्फ मुसलमानों की है। ममता इस टैग से उबरने की भरसक कोशिश कर रही हैं लेकिन अमित शाह ममता पर मुसलमानों के तुष्टिकरण की राजनीति करने का लेबल लगाना चाहते हैं।।पिछले कुछ चुनावों का डाटा बताता है कि बंगाल में मुसलमान ममता के पीछे एकजुट खड़ा है। 2016 के विधानसभा चुनाव में जब बंगाल में भाजपा कोई फैैक्टर नहीं थी, उस समय भी टीएमसी को कुल मुस्लिम वोटों का 51 फीसदी मत हासिल हुआ था। वहीं 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनाव में हिन्दुत्व का झंडा बुलंद करने वाली मजबूत और आक्रामक भाजपा के साथ मुकाबला होने पर टीएमसी को क्रमश: 70 और 75 प्रतिशत मुसलमान वोट मिले थे। मुसलमानों का वोट रिेकार्ड यह बताता है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक उस पार्टी की ओर जाते हैं जो भाजपा के राष्ट्रवाद के खिलाफ खड़ा नजर आता है। ममता बंगाल में इसकी गांरटी देने में कामयाब रही हैं।मुस्लिम वोटों पर एक छत्र राज के बाद भी ममता को 61 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले मुर्शिदाबाद जिले की सागरदीघी सीट पर हुए उपचुनाव में टीएमसी की हार और वाम समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस की और खिसकने के डर ने और कर्नाटक, तेलंगाना में कांग्रेस को मिले मुस्लिम वोट ने ममता को थोड़ा बैकफुट पर किया है।यही कारण है कि ममता 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और वामपंथियों को साथ लेकर लड़ने पर सहमत हो गई है। पश्चिम बंगाल के 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 2.93 प्रतिशत और सीपीएम को 4.73 प्रतिशत वोट मिले थे। ममता इन दोनों के मिलाकर 7 प्रतिशत वोट बैक को अपने खिलाफ इस्तेमाल होने नहीें देना चाहती इसलिए कांग्रेस और लेफ्ट को साथ लेकर लड़ने पर मन बना रही है। ममता का डर बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के उस बयान में भी झलकता है जिसमें कहा गया था ‘बंगाल के मुसलमानों को कांग्रेस से टूटकर बनी तृणमूल कांग्रेस के अलावा असली कांग्रेस पर भी विचार करना चाहिए।’ इस बार भाजपा की कोशिश ममता को मिले 22 फीसदी हिन्दू मतों मे से पांच प्रतिशत हिस्सा अपनी ओर डायवर्ट करने की है। इसलिए भाजपा लगातार ममता को मुस्लिम चेहरे के रूप में बताने की कोशिश कर रही है। ममता को इस बात का भी डर सता रहा है कि मोदी सरकार द्वार अल्पसंख्यकों के लिए किए कामों को देखते हुए बंगाल के राष्ट्रवादी और प्रोग्रेसिव मुसलमान 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद बंगाल विधानसभा चुनाव में कहीं भाजपा को वोट न कर दें। इसलिए ममता मुसलमानों को साधने के साथ साथ हिन्दुत्व की शरण भी ले रही हैं। हालांकि उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अयोध्या नहीं जाएगी। लेकिन अपने प्रदेश में मंदिरों का निर्माण जारी रखेगी। उनकी कोशिश है कि लोकसभा चुनाव से पहले 500 करोड़ की लागत से बने जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन वो स्वयं करें। ममता के चंडी श्लोक का जाप करने और खुद को ‘कट्टर ब्राह्मण” पृष्ठभूमि का बताने से लेकर बंगाल में जगन्नाथ और वैष्णों देवी मंदिरों की प्रतिकृतियां बनाने और हुगली के किनारे वाराणसी की गंगा आरती के आयोजन के फैसलों तक तृणमूल हिंदुओं को रिझाने की अपनी बेताब कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।।भाजपा अपने बलशाली हिंदुत्व के दम पर बंगाल में ताकत जुटाने पर जुटी है, वहीं टीएमसी इसका मुकाबला करने के लिए बंगाल की महान उदार, पंथनिरपेक्ष और सुधारवादी परंपरा को गले लगाकर भाजपा को जवाब देना चाहती है। ममता ने 2019 में हिंदू पुरोहितों को मासिक भत्ता देने का वादा किया और अब इसे पूरा भी कर दिया है। पहली बार ममता ने मुसलमानों से यह अपील भी की है कि “दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए खुलेआम गायों का वध न करें।” देखना यह होगा कि भाजपा ममता को उसके गढ़ में कैसे चारों खाने चित करने में सफल होती है। रिपोर्ट अशोक झा
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