राम के आगमन में सजने लगा है सिलीगुड़ी शहर, हर और दिख रहा राम की भक्ति और उनकी शक्ति

सिलीगुड़ी: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव को लेकर सिलीगुड़ी के मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। सिलीगुड़ी के सभी प्रमुख बाजारों और सभी घर रंग-बिरंगी लाइटों से सजे मंदिर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। शहर के मंदिरों में कई स्थानों में विशेष अनुष्ठान होंगे। मंदिर को इस उत्सव के लिए भव्य रूप दिया गया है। इस उत्सव को लेकर 21 जनवरी को भव्य शोभायात्रा और 22 जनवरी को दीपोत्सव के साथ ही श्रीरामचरितमानस पाठ होगा। भाजपा ने 20 जनवरी को श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर निकाली जाने वाली शोभायात्रा की तैयारी तेज कर दी है। शोभायात्रा में विभिन्न झांकिया आकर्षण का केंद्र रहेगी। भाजपा की ओर से सांसद की मौजूदगी में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर सिलीगुड़ी हिंदी हाई स्कूल में भव्य और दिव्य कार्यक्रम हो रहा है। प्रभु श्रीराम की पद शोभायात्रा में सभी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होंगे। कालीनाथ रोड से जुड़े व्यापारिक संगठन और डालमीया प्रीमियम आटा निर्माता सीताराम डालमीया ने लोगों से आह्वान किया है की वे घर को सजाए और दीपक जलाए।आज एक राष्ट्र के रूप में भारतवर्ष पर मानवता का कल्याण करने हेतु सर्वे भवन्तु सुखिनः को साकार करने का दायित्व है। जिसकी प्राप्ति सांस्कृतिक नायकों की पुनर्प्रतिष्ठा से ही संभव है। यदि भारत की संस्कृति और भारत को समझना है तो राम को समझना होगा। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्ववेत्ता अमित शुक्ला ने राममंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की बात सामने रखी। रामचरित मानस की चौपाइयों से वातावरण को रसमय बना दिया। इसके पश्चात् डॉ. प्रीति अग्रवाल ने राम कथा से जुड़े रोचक प्रसंग सामने रखे। डॉ. धीरेंद्र कौशल ने अपने मुक्तकों से समा बांध दिया। डॉ. सुधांशु बाजपेयी ने कहा कि भौगोलिक, सांस्कृतिक रूप से भिन्न होते हुए भी राम मन्दिर को लेकर जन मानस में उत्साह है। संगीता पाल ने राम भजन प्रस्तुत किया।कुंडली में शुभ ग्रहों के मजबूत होने से व्यक्ति के कदमों में सफलता होती है। दूसरी तरफ अगर ग्रह कमजोर हो जाएं जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पूरे देश में राम मंदिर को लेकर धूम मची हुई है। 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. आज हम इस लेख में प्रभु राम ने किस नक्षत्र में जन्म लिया था और उनकी कुंडली क्या कहती है इसके बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं।
कब हुआ था प्रभु राम का जन्म?: हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस के अनुसार बालकांड की एक चौपाई में राम जी के जन्म के बारे में कहा गया है. वो चौपाई है
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
इससे पता चलता है कि प्रभु राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। वहीं प्रभु राम के नक्षत्र इससे पता चलते हैं।ततो य्रूो समाप्ते तु ऋतुना षट् समत्युय:।
ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे नावमिके तिथौ॥नक्षत्रेsदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पंचसु।ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥प्रोद्यमाने जनन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम् ।कौसल्याजयद् रामं दिव्यलक्षसंयुतम् ।। इससे पता चलता है कि प्रभु राम का जन्म कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था. जिसका अर्थ है कि भगवान श्रीराम ने पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लिया था।पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म: ज्योतिष शास्त्र की मानें तो पुनर्वसु नक्षत्र में जन्में लोगों का स्वभाव काफी सौम्य और सुशील होता है. इन लोगों के मन में भरपूर भक्ति की भावना होती है. ऐसे लोग ईश्वर द्वारा मिली चीजों से खुश रहते हैं और इनका दिल बहुत बड़ा होता है। कहा जा सकता है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोगों में भगवान राम जैसे गुण होते हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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