बांग्लादेश में स्थिति में सुधार, सीमा पर बढ़ी चौकसी कैदियों की तलाश तेज

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के हिंसक रुख अख्तियार कर लेने से वहां की सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। वहां के युवा न तो पुलिस-प्रशासन की बात सुनने को तैयार हैं और न प्रधानमंत्री शेख हसीना के अनुरोध और दलील का उन पर कोई असर हो रहा है।प्रदर्शन के दौरान हिंसा से अब तक सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि पूरे देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा और उग्र प्रदर्शनकारियों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश दे दिए गए हैं। पीएम हसीना ने लॉ एंड ऑर्डर में भारी गिरावट के बाद कर्फ्यू लगा दिया है. सोशल मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि शुक्रवार को गाजीपुर के मेयर पर हमला किया गया और उनके बॉडिगार्ड की हत्या कर दी गई; प्रदर्शनकारियों ने मध्य बांग्लादेश के नरसिंगडी में एक जेल पर हमला किया। यहां 500 कैदी भाग गए और लगभग 4000 प्रदर्शनकारियों ने रंगपुर में एक पुलिस अड्डे पर हमला किया।ऐसे में वहां रह रहे भारत, नेपाल और भूटान समेत अन्य देशों के लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुतबिक, बांग्लादेश में करीब पंद्रह हजार भारतीयों के होने का अनुमान है। इनमें लगभग साढ़े आठ हजार विद्यार्थी हैं। अब तक एक हजार से अधिक भारतीय विद्यार्थी स्वदेश लौट आए हैं। केंद्र सरकार की ओर से बाकी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास जारी हैं। इस बीच, बांग्लादेश-भारत सीमा पर सतर्कता बढ़ाने की मांग भी उठने लगी है।

 

बांग्‍लादेश में आरक्षण के खिलाफ जारी ह‍िंसक विरोध-प्रदर्शन से सिर्फ पड़ोसी देश ही प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि इसका असर भारत पर भी पड़ने लगा है। सैकड़ों की तादाद में भारतीय स्‍वदेश आने लगे हैं। इससे भारत-बांग्‍लादेश बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी गई है। BSF के साथ ही अन्‍य अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवान अत‍िरिक्‍त चौकसी कर रहे हैं। वहीं, बॉर्डर के जरिये होने वाले व्‍यापार -व्‍यवसाय पर भी बुरा असर पड़ा है। सीमा पर सैकड़ों की तादाद में ट्रकें खड़ी हैं। इनमें से बहुत में ऐसे माल लोड हैं, जिनके जल्‍द खराब होने का अंदेशा है। ऐसे में व्‍यापारियों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, बांग्‍लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन को कम किया है।ऐसे में उम्‍मीद जताई जा रही है कि आनेवाले दिनों में आरक्षण को लेकर उठा बवाल शांत हो जाए.l।बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में जारी विरोध प्रदर्शनों के कारण मालवाहक ट्रकों की आवाजाही नहीं हो पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस कारण भारत और बांग्लादेश के बीच लैंड पोर्ट के जरिए कारोबार रविवार को ठप हो गया. उन्होंने कहा कि पेट्रापोल लैंड पोर्ट का बांग्लादेश वाला हिस्सा अभी भी बंद है. भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि आधारित व्यापार का लगभग एक तिहाई हिस्सा पेट्रापोल के जरिए होता है. पश्चिम बंगाल एक्‍सपोर्ट कोऑर्डिनेशन कमेटी के सचिव उज्ज्वल साहा ने कहा, ‘अशांति के कारण सरकार द्वारा आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अवकाश की घोषणा के बाद पेट्रापोल, गोजाडांगा, फुलबारी और महादिपुर सहित बांग्लादेश के अन्य लैंड पोर्ट से भी व्यापार ठप हो गया है. दरअसल, बांग्लादेशी कस्‍टम डिपार्टमेंट ने रविवार से दो दिन की छुट्टी की घोषणा की है.’

सीमापार गए ट्रक नहीं लौटे वापस
उज्‍ज्‍वल साहा ने बताया कि शनिवार को मालदा के महादीपुर बंदरगाह से बांग्लादेश पहुंचे मालवाहक ट्रक अभी तक वापस नहीं लौटे हैं. हालांकि, उन्‍होंने बताया कि वे सभीसुरक्षित हैं। लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (पेट्रापोल) के MD सैनी ने कहा, ‘रविवार सुबह से पेट्रापोल सीमा पर ट्रकों (आयात और निर्यात) की आवाजाही नहीं हो रही है। हमारी लैंड बॉर्डरखुली हुई है, लेकिन बेनापोल के कारण व्यापार प्रभावित हुआ है।’ उन्होंने बताया कि शनिवार को 110 ट्रक बांग्लादेश से भारत आए, जबकि 48 ट्रक बांग्लादेश गए. सैनी ने बताया कि सामान्य सामान से लदे करीब 700 ट्रक पार्किंग में फंसे हुए हैं और बांग्लादेश जाने का इंतजार कर रहे हैं. अफसरों ने बताया कि औसतन 400-450 ट्रक माल लेकर भारत से पेट्रापोल लैंड पोर्ट से गुजरते हैं, जबकि 150-200 ट्रक प्रतिदिन बांग्लादेश से भारत आते हैं।
BSF की बढ़ी सिरदर्दी: ।सैनी ने आगे बताया कि यात्रियों की आवाजाही जारी है, जिनमें से ज़्यादातर छात्र हैं. ये सभी सुरक्षा चिंताओं के कारण लौट रहे हैं. दूसरी तरफ, बांग्‍लादेश में हिंसक विरोध प्रदेर्शन ने BSF की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. BSF के प्रवक्ता ने कहा कि हिंसा प्रभावित बांग्लादेश से भारतीयों को निकाला जा रहा है. बीएसएफ ने अब तक 572 भारतीय, 133 नेपाली और चार भूटानी छात्रों की वापसी में सहायता की है. दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लैंड पोर्ट पेट्रापोल कोलकाता से लगभग 82 किमी दूर उत्तर 24 परगना जिले के बोनगांव में स्थित है।

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