डोकलाम के बहाने चीन पहुंचना चाहता है सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा की साजिश

सिलीगुड़ी: दशकों से दुनिया ने भारत और भूटान की यारी देखी है। लेकिन बीते कुछ वक्त से चीन ने भूटान को रिझाने के लिए सारे हथकंडे अपनाए हैं। भूटान भी लगातार चीन के करीब जाता नजर आ रहा है।भूटान भले ही साइज में छोटा हो, लेकिन सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम पड़ोसी है। भूटान का डोकलाम वो जगह है, जिस पर चीन नजरें गड़ाए बैठा है। जबकि भारत किसी हाल में नहीं चाहता कि चीन का उस पर कब्जा हो जाए। इसी को देखते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा आज से 31 जनवरी तक भूटान के दौरे पर गए हैं। क्वात्रा भूटान के किंग के अलावा प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, विदेश सचिव और पड़ोसी देश के कई बड़े अधिकारियों भी मिलेंगे। कहा तो यह जा रहा है कि दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता की परंपरा को जारी रखते हुए विदेश सचिव भूटान गए हैं। लेकिन इस दौरे के पीछे एक इनसाइड स्टोरी है, जिस पर भारत टेंशन में है। आइए समझते हैं।
चीन-भूटान सुलझाना चाहते हैं सीमा विवाद: दरअसल चीन की ओर भूटान के लगातार बढ़ते झुकाव ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है। पिछले साल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में भूटान के विदेश मंत्री ने चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी। दोनों देशों के बीच बीजिंग में सीमा विवाद के 25वें दौर की वार्ता हुई थी, जिसमें परिसीमन और सीमांकन को लेकर जॉइंट टेक्निकल टीम (जेटीटी) की जिम्मेदारियों और कामों पर चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को खत्म करने पर सहमति बनी थी। भूटान चीन के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि वह वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है। इसका मतलब है कि वह चीन और ताइवान को एक ही मानता है. चीन और भूटान के बीच राजयनिक संबंध नहीं हैं। लेकिन बावजूद इसके दोनों के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। दोनों के बीच सीमा विवाद पर वार्ता 7 साल के अंतराल के बाद हुई थी। 1980 से चल रहा विवाद
दोनों देशों के बीच 477 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है, जिस पर 1980 से सीमा विवाद चल रहा था। चीन और भूटान के बीच जिन दो इलाकों पर सबसे अधिक विवाद है, वे हैं 495 वर्ग किमी की जकारलुंग और पासमलुंग घाटी और 296 वर्ग किलोमीटर का डोकलाम.
डोकलाम वही इलाका है, जहां भारत और चीन की सेनाएं दो महीने के लिए आमने-सामने आ गई थीं। दरअसल चीन ने सामरिक रूप से अहम जम्फेरीरिज लाइन तक सड़क बिछाने का काम शुरू किया था, जिसके बाद भारतीय सेना ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। भारत डोकलाम को भूटान का हिस्सा मानता है, जबकि चीन की घोषित स्थिति यह है कि यह सिक्किम और भूटान के बीच स्थित यह उसकी चुम्बी घाटी का विस्तार है।
डोकलाम पर लंबे वक्त से चीन की नजर
भूटान के डोकलाम पर चीन की नजर लंबे समय से है। यह एक ट्राई-जंक्शन है, जो ठीक भूटान, चीन और भारत की सीमा पर है। पहाड़ी इलाका होने के बावजूद भूटान और चीन दोनों ही इस पर दावा करते हैं। सुरक्षा के नजरिए से डोकलाम बेहद अहम है। अगर चीन का इस इलाके पर कंट्रोल हो गया तो भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर के लिए यह बड़ा खतरा है। 22 किलोमीटर का यह कॉरिडोर भारत को नॉर्थ ईस्ट से जोड़ता है। नक्शे में यह मुर्गी की गर्दन जैसा दिखता है, जिसे आम तौर पर चिकन नेक कहा जाता है. यह भारत को तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से जोड़ता है। अगर चीन और भूटान के बीच डोकलाम को लेकर कोई अंदरूनी डील हुई तो यह भारत के लिए चिंता का सबब बन जाएगा। चीन की सेना की पहुंच सिलिगुड़ी कॉरिडोर तक हो जाएगी। भारत-भूटान के बीच ऐसे हैं रिश्ते?
दोनों देशों के बीच शुरुआत से अच्छे संबंध रहे हैं। भूटान की ज्यादातर जरूरत भारत ही पूरी करता है. भूटान का 95 परसेंट निर्यात और 75 प्रतिशत आयात भारत से होता है। इतना ही नहीं, अगर भूटान को चीन के साथ कोई समझौता करना है तो वह अकेले नहीं कर पाएगा। दरअसल 1949 में दोनों के बीच एक डील हुई थी, जिसमें लिखा है कि भूटान विदेश, रक्षा से जुड़े मसलों के लिए भारत पर ही निर्भर है। 2007 में दोबारा एक डील हुई, जिसमें भूटान को थोड़ी ढील दी गई। लेकिन भारत का साथ उसको तब भी चाहिए। देखना होगा कि विदेश सचिव के भूटान दौरे से भारत के लिए क्या सामने आता है।रिपोर्ट अशोक झा

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