भाजपा सांसद का दावा जेएमएम के पास नहीं है पूर्ण बहुमत

रांची: निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि JMM के 48-49 MLA हैं, किन्तु वो केवल 42-43 विधायकों का ही सिग्नेचर ले पाए हैं। सीता सोरेन, रामदास सोरेन बैठक में नहीं थे। कांग्रेस के कई नेता बैठक में नहीं थे। मुझे लगता है कि इनके पास MLA नहीं है चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है। अभी तक मिली सूचना के अनुसार बीते शाम ईडी अधिकारियों की निगरानी में राजभवन गये हेमंत सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राज्यपाल द्वारा स्वीकार कर लिया गया है लेकिन राज्यपाल की ओर से शासन की कोई नई वैकल्पिक व्यवस्था पर मुहर नहीं लगाई गई है, इस कारण से हेमंत सोरेन कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने हुए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन वाली सरकार ने हेमंक सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन का नाम नये मुख्यमंत्री के लिए मंजूर किया है लेकिन उसे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा नहीं स्वीकार किया गया है और चूंकि सूबे में राष्ट्रपति शासन भी नहीं लगा है। इस कारण से ईडी के शिकंजे में होते हुए भी हेमंत सोरेन राज्य के कार्यवाहक मुख्यमत्री बने हुए हैं। इसलिए फिलहाल ईडी की दफ्तर में रात गुजारने वाले हेमंत सोरने ही झारखंड में सरकार के प्रमुख हैं और यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक कि राज्यपाल राधाकृष्णन झामुमो गठबंधन की ओर से प्रस्तावित चंपई सोरेन के नाम पर अपनी मुहर नहीं लगाते हैं। बताया जा रहा है कि चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश किया है। झामुमो का कहना है कि चंपई सोरेन के पास 43 विधायकों का समर्थन है और चूंकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा भी पेश किया है, इस नाते राज्यपाल को सीएम पद की शपथ लेने के लिए उन्हें आमंत्रित करना चाहिए लेकिन बावजूद झामूमो के इस दावे के अभी तक राज्यपाल ने चंपई सोरेन को राजभवन आने का निमंत्रण नहीं दिया है। इस सबंध में झामुमो को समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी की दीपिका पांडे सिंह ने राजभवन पर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों का अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि जब गठबंधन के पास बहुमत की संख्या से अधिक विधायक हैं तो राज्यपाल को कोई हक नहीं की वो चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए आमंत्रित न करें। उन्होंने कहा कि राजभवन से गठबंधन के विधायकों को बुलाया भी गया लेकिन जब विधायक राज्यपाल से मिलने के लिए पहुंचे, तो विधायकों को राजभवन में प्रवेश नहीं करने दिया गया। ऐसा लगता है कि झारखंड का राजभवन भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा है। मालूम हो कि बीते बुधवार को ईडी के अधिकारी हेमंत सोरेन से रांची स्थित आवास पर पूछताछ कर रहे थे। लंबी पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और इस्तीफा दे दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने कथित भूमि धोखाधड़ी मामले में 20 जनवरी को सोरेन से रांची में उनके आधिकारिक आवास पर पूछताछ की थी और उन्हें इस सप्ताह पूछताछ के लिए नया समन जारी किया था। ईडी द्वारा की गई यह जांच झारखंड में माफिया द्वारा भूमि के स्वामित्व में अवैध परिवर्तन से जुड़े एक बड़े गिरोह से संबंधित है। ईडी ने इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी छवि रंजन भी शामिल हैं। वह राज्य के समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे। वहीं JMM के साथ सरकार बनाने को लेकर निशिकांत दुबे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर कभी सरकार नहीं बनाएगी। JMM का हाथ पूरी तरीके से भ्रष्टाचार में सना हुआ है। हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं एवं हम चुनाव के लिए जाएंगे। उन्होंने कहा, मोदी जी कहते हैं ना खाऊंगा-ना खाने दूंगा। मोदी जी आज देश में नहीं पूरी दुनिया में भी लोकप्रिय नेता हैं। आज यदि चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में 400 के पार सीटें पाएगी। झामुमो का समूल नास कैसे हो हम उसके लिए काम करते रहेंगे। निशिकांत दुबे ने कहा कि हेमंत सोरेन आदिवासी कार्ड क्या खेलेंगे। आज यदि डीलिमिटेशन हो जाए तो वहां की सीट कम हो जाएंगी। क्या बाबूलाल मरांडी आदिवासी नहीं है अर्जुन मुंडा भी आदिवासी हैं। क्या आदिवासी का ठेका हेमंत सोरेन ने ले रखा है। हमारे आदिवासियों पर इस वक़्त बांग्लादेशियों के द्वारा हमला किया जा रहा है। वहां कोई आदिवासी बच नहीं रहा है। हेमंत सोरेन विक्टिम कार्ड नहीं खेल सकते हैं। @रिपोर्ट अशोक झा

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