दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र : भाजपा के लिए चौका लगाने की तैयारी में राजू बिष्ट

अपने लक्ष्य को भेदने को विकास की पिच पर पूरी तरह कार्यकर्ताओं के बीच हिट और फिट

सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल के 42 लोकसभा सीटों में से एक है। यहां से वर्तमान सांसद राजू बिष्ट एक बार फिर भाजपा के लिए चौका लगाने के लिए मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पूरी तरह हिट और फिट दिखाई दे रहे है। 2019 में 4 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज करने वाले बिष्ट ने भाजपा के लिए हैट्रिक लगाया था। इस बार भी मौका का इंतजार है वे अपने विकासरूपी वाण से अपने लक्ष्य को भेदने को तैयार है। पीएम मोदी और अमित शाह के विश्वास पर खड़े उतर कर आज भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव पर काम कर रहे है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के सानिध्य में उन्होंने ने दार्जिलिंग पहाड़ के ज्वलंत समस्या, चाय बागान के श्रमिको , राजवंशियो का शोषण, आदिवासी समाज के साथ भेदभाव, उत्तर बंगाल की राज्य सरकार की ओर से उपेक्षा, कोरोना महामारी में केंद से राज्य के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते रहे। सिलीगुड़ी जो इस लोकसभा का केंद्र बिंदु है उसकी सबसे बड़ी समस्या जाम से मुक्ति, पड़ोसी सिक्किम के लाइफ लाइन को दुरुस्त करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग का 7000 करोड़ से ज्यादा की राशि से निर्माण कार्य, रेलवे और हवाई अड्डा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन, युवाओं में रोजी रोजगार के प्रयास, प्राकृतिक आपदा में लगातार एक जिम्मेदार अभिभावक के तरह मजबूती से खड़े है। वह सड़क से संसद तक क्षेत्र की आवाज बन गए है।
कौन है सांसद राजू बिष्ट : मणिपुर में एक गाँव के स्कूल शिक्षक के बेटे के रूप में अपनी साधारण शुरुआत से लेकर 5000 करोड़ की कंपनी के प्रबंध निदेशक बनने और अब सांसद के रूप में दार्जिलिंग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है। राजू बिष्ट की यात्रा कड़ी मेहनत, दृढ़ता और अटूट समर्पण की कहानी रही है। 1986 में
एक गोरखा परिवार में जन्में राजू बिष्ट बचपन से ही एक अनुशासित संघ के स्वंय सेवक रहे है। अपने संगठन कौशल और विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं का नेतृत्व करने के लिए जाने जाते हैं। उनके बचपन के दोस्त आज भी गांव स्तर के क्रिकेट और फुटबॉल टूर्नामेंटों को याद करते हैं जो राजू सप्ताहांत में आयोजित करते थे। एक कर्तव्यनिष्ठ बेटे के रूप में, सभी ने उन्हें बहुत कम उम्र में गाँव में सब्जी की दुकान चलाने में अपनी माँ की मदद करते देखा गया है। यही कारण है कि उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में कालिंगपोग को छोड़ सभी विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराया था।
कटमनी परम्परा पर लगाया लगाम:
दार्जिलिंग शब्द की उत्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ ‘बज्रका स्थान’ है। दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की चाय के लिए प्रसिद्ध है। चाय की खेती यहां वर्ष 1800 के मध्य से शुरू हुई थी। इस क्षेत्र को 1999 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। दार्जिलिंग में ब्रिटिश शैली के निजी विद्यालय भी हैं, जो भारत और नेपाल से बहुत से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। सक्या मठ, माकडोग मठ, जापानी मंदिर (पीस पैगोडा), टाइगर हिल यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग की दूरी 76 किलोमीटर है। संसदीय क्षेत्र है जहां साक्षरता दर 76.35% के करीब है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 16.91% के लगभग है और अनुसूचित जनजाति 19.04% के करीब है। वर्ष 2009 में जसवंत सिंह, वर्ष 2014 में एसएस अहलूवालिया और वर्ष 2019 में राजू बिष्ट की जीत के साथ इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा अपनी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। ममता बनर्जी के शासनकाल में पूरे राज्य की तरह यहां भी कटमनी की प्रथा थी। उन्होंंने अपने मुखर विरोध से इसपर लगभग अंकुश लगाने का काम किया। अब आगे 2024 में नतीजा कुछ और भी हो सकता है। क्योंकि, अब समीकरण भाजपा मय बना हुआ है।
अहम है दार्जिलिंग लोकसभा सीट:
दार्जिलिंग लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल राज्य ही नहीं बल्कि पूरे भारत की एक बहुत ही अहम लोकसभा सीट है। इसलिए कि यहीं विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग है। यहां यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की ट्वॉय ट्रेन चलती है तो वहीं हसीन वादियों में उगने वाली दार्जिलिंग चाय का पूरी दुनिया में अपना ही जलवा है। देश-दुनिया से हमेशा लाखों की तादाद में सैलानियों का दार्जिलिंग आने-जाने का सिलसिला लगा रहता है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर भारत का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी शहर भी दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र में ही आता है जो कि पूरे उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी है। वहीं, दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि इसके गोरखा बहुल पहाड़ी क्षेत्र में 110 बरस से अधिक समय से अलग राज्य ‘गोरखालैंड’ की मांग होती आ रही है। भौगोलिक दृष्टि से भी न सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे भारत के लिए दार्जिलिंग क्षेत्र का अपना अलग महत्व है। पूर्वी हिमालय में स्थित दार्जिलिंग क्षेत्र के पश्चिम में नेपाल का सबसे पूर्वी प्रांत, पूर्व में भूटान, उत्तर में भारतीय राज्य सिक्किम और सुदूर उत्तर में चीन का तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र स्थित है। वहीं, दार्जिलिंग जिले के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में बांग्लादेश स्थित है।
राज्य से जिला तक पार्टी नेताओ की पहली पसंद है बिष्ट : राजू बिष्ट को फिर से दार्जिलिंग से चुनाव लड़ना होगा। भाजपा की दार्जिलिंग हिल शाखा और सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी ने केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर ऐसी मांग की है। नेतृत्व का आरोप है कि उम्मीदवार की घोषणा से पहले जिस तरह से पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला पहाड़ी स्तर पर जनसंपर्क कर रहे हैं। उससे पार्टी में भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है। हालांकि श्रृंगला ने कहा, ‘मैं बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जनसंपर्क कर रहा हूं, ये किसने कहा? मैं कहीं भी राजनीति को बढ़ावा नहीं दे रहा हूं। मैं दार्जिलिंग वेलफेयर सोसायटी के लिए समाज सेवा का काम कर रहा हूं। ठीक उसके विपरीत राजू बिष्ट के कुशल दिशा निर्देश में
बूथ स्तर तक कमेटी का गठन कर मजबूती प्रदान की जा रही है। सांसद राजू बिष्ट का कहना है कि बूथ जीत के साथ चुनाव भी जीत जायेंगे। रिपोर्ट अशोक झा

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