बंगाल में ममता मोदी नहीं संदेशखाली महिला उत्पीडन और लक्ष्मी भंडार के बीच खड़ी महिला मतदाता
अंतिम चरण में ममता के गढ़ में सेंध लगाने में क्या सफल होगी भाजपा
कोलकाता: लोकसभा चुनावों के सातवें और आखिरी चरण में पश्चिम बंगाल की 9 संसदीय सीटों पर भी वोट डाले जाने हैं। राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा दोनों ही पार्टियों ने आखिरी चरण को लेकर अपना जोर लगा दिया है।भाजपा जहां संदेशखाली में महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है औऱ महिला मतदाताओं के अपने पाले में लामबंद करने की कोशिश कर रही है, वहीं राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी को अपनी लोकप्रिय नकद योजना ‘लक्ष्मीर भंडार’ की कामयाबी पर भरोसा है। इस बीच, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने संदेशखाली में ईडी टीम पर हमला करने के मामले में आरोप पत्र दायर किया है। सीबीआई ने इस मामले में तृणमूल नेता शेखजहां और उसके छह साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। सीबीआई इसी नेता के खिलाफ संदेशखाली में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न और कृषि भूमि कब्जाने समेत अन्य मामले की भी जांच कर रही है। ऐसी परिस्थितियों में दोनों ही पार्टियों को अपने-अपने दांव पर भरोसा है। भाजपा को उम्मीद है कि टीएमसी के कथित भ्रष्टाचार और उसके नेताओं के द्वारा किए गए महिला उत्पीड़न और जबरन वसूली के खिलाफ लोग लामबंद होकर भाजपा को वोट करेंगे, जबकि टीएमसी को उम्मीद है कि ममता बनर्जी के लोक कल्याणकारी योजनाओं की लाभान्वित महिलाएं उनकी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट करेंगी। वही भाजपा को उम्मीद है कि अगर भाजपा को इस चुनाव में 30 से अधिक सीटें आ जाती है तो बंगाल की सरकार का गिरना तय है। बंगाल में भाजपा की सरकार बनते ही मध्यप्रदेश की तरह लाड़ली बहना स्कीम के साथ महिलाओं को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराया जाएगा जो अबतक बंगाल में नहीं मिलता रहा है। सातवें चरण में 1 जून को जिन सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं लेकिन राज्य के दक्षिणी इलाके के तीन संसदीय सीटों पर महिलाओं के ध्रुवीकरण की जोर आजमाइश हो रही है। बशीरहाट संसदीय क्षेत्र के ही तहत संदेशखाली विधानसभा क्षेत्र आता है। बशीरहाट में टीएमसी के हाजी नूरुल इस्लाम, बीजेपी की रेखा पात्रा और सीपीआईएम के निरपदा सरदार के बीच मुकाबला है। लक्ष्मीर भंडार योजना क्या:
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने फरवरी 2021 में लक्ष्मीर भंडार योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इसके तहत 25 से 60 साल आयु वर्ग की महिलाओं को सशक्त बनाया जाता है और ‘स्वास्थ्य साथी’ में नामांकित महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये और अन्य परिवारों की महिलाओं को 500 रुपये दिए जाते हैं। चूंकि बंगाल के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक अर्थव्यवस्था चुनावों को प्रभावित करते रहे हैं, इसलिए ममता की लक्ष्मीर भंडार नकद योजना के मुकाबले भाजपा ने महिलाओं के सम्मान की मुद्दा उठाया है और उस कड़ी में संदेशखाली प्रकरण को भुनाने की कोशिश की है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संदेशखाली की महिलाओं का गुणगान करते हुए उन्हें प्रणाम किया है और कहा है कि उन्होंने व्यक्तिगत सम्मान की चिंता किए बिना इतने बड़े शोषण को उजागर किया है। हालांकि, कई विशल्षकों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में ममता बनर्जी की वित्तीय योजना अभी भी मतदाताओं पर अपनी पकड़ बनाए हुए है। रिपोर्ट के मुताबिक कई महिलाओं ने इस बात की शिकायत की कि उन्हें अभी तक चक्रवात अम्फान की राहत सहायता राशि नहीं मिल सकी है लेकिन लक्ष्मीर भंडार की किस्त हर महीने समय पर मिल रही है। बता दें कि यह योजना महिलाओं को सीधे नकद उपलब्ध कराती है।पीएम नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि इस बार बीजेपी पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी जीत हासिल करेगी. वहीं, टीएमसी का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस को रिकॉर्ड संख्या में सीट मिलेगी।
1 जून को राज्य की नौ लोकसभा सीटों पर अंतिम चरण में मतदान है। जिन सीटों पर 1 जून को मतदान हैं, वे हैं-बारासात, बशीरहाट, डॉयमंड हार्बर, दमदम, जयनगर, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर और मथुरापुर।।इन सभी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है और ये लोकसभा सीटें तृणमूल कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं। कुल मिलाकर कर पश्चिम बंगाल का अंतिम चरण का चुनाव टीएमसी के गढ़ में होने वाला है. पीएम नरेंद्र मोदी और सभी बीजेपी नेता चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा रहे हैं। पीएम नरेंद्र ने पहली बार कोलकाता में रोड शो किया है. वहीं ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी की लगातार सभाएं हो रही हैं। ऐसे में यह सवाल है कि क्या बीजेपी तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में इस बार सेंध लगा पाएगी? पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 लोकसभा सीटों में से अप्रत्याशित 18 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, टीएमसी को 22 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस को मात्र दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा था, जबकि कभी बंगाल में शासन करने वाली माकपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. पश्चिम बंगाल में जहां बीजेपी के कभी केवल दो सांसद हुआ करते थे, वहां सांसदों की संख्या बढ़कर 18 हो गई थी और इसे ममता बनर्जी के शासन के लिए बड़ी चुनौती माना गया था।सभी नौ सीटों पर है टीएमसी का कब्जा: साल 2021 के विधासनभा चुनाव में साल 2019 के परिणाम को आधार बनाकर बीजेपी ने ममता बनर्जी की सरकार को कड़ी चुनौती दी, हालांकि बीजेपी के विधायकों संख्या तीन से बढ़कर 70 हो गई, लेकिन ममता बनर्जी तीसरी बार फिर से बंगाल में सरकार बनाने में कामयाब रहीं थीं. बंगाल में जीत के बाद ममता बनर्जी और टीएमसी ने दावा किया था कि उनसे बीजेपी के विजय रथ को बंगाल में रोक दिया है। पश्चिम बंगाल 2021 के विधासनभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में आसनसोल लोकसभा उपचुनाव हुए. इसके अतिरिक्त बालीगंज सहित कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए। केवल सागरदिघी के विधानसभा उपचुनाव को छोड़कर टीएमसी ने सभी पर जीत हासिल की. पंचायत चुनाव और नगपालिका चुनाव में भी बंगाल में ममता बनर्जी का ही परचम लहाराया, हालांकि बीजेपी के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है।
अभिषेक बनर्जी की साख दांव पर: पश्चिम बंगाल में अगले और अंतिम चरण में जिन नौ सीटों पर मतदान हैं. उनमें डायमंड हार्बर की लोकसभा सीट हैं. जिनसे ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं। साल 2009 से यह सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है। 2014 से अभिषेक बनर्जी इस सीट पर जीत हासिल कर रहे हैं और इस बार तीसरी पर हैट्रिक जीत का दावा कर रहे हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ बॉबी कुमार दास को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट हाइ प्रोफाइल सीट मानी जाती है।
ममता के गढ़ में मतदान: उसी तरह से सातवें चरण में दक्षिण कोलकाता की सीट पर मतदान है. दक्षिण कोलकाता की सीट खुद ममता बनर्जी का घर है। ममता बनर्जी इस सीट से खुद छह बार सांसद रह चुकी हैं और पिछले नौ चुनाव से टीएमसी के उम्मीदवार विजयी हो रहे हैं। दक्षिण कोलकाता के अंतर्गत भवानीपुर विधानसभा सीट से ममता बनर्जी तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुई हैं और सीएम बनी हैं। इस बार तृणमूल कांग्रेस ने सांसद माला रॉय को फिर से उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री देवश्री चौधरी और माकपा ने सायरा साह हलीम को उतारा है. ये सीट भी ममता बनर्जी की प्रतिष्ठा की सीट मानी जाती है. उसी तरह से कोलकाता उत्तर में साल 2009 से सुदीप बनर्जी सांसद हैं और पार्टी ने फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने उनके खिलाफ टीएमसी से बीजेपी में आए तापस रॉय को टिकट दिया है।टीएमसी फहराती रही है परचम: इसी तरह से मथुरापुर लोकसभा सीट से टीएमसी के सांसद और पूर्व मंत्री चौधरी मोहन जटुआ लगातार 2009 से सांसद निर्वाचित होते रहे थे. इस साल 2024 में टीएमसी ने उनकी जगह बापी हाल्दार को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने अशोक पुरकैत और माकपा ने डॉ सरद चंद्र हाल्दार को उतारा है. ये सीट भी तृणमूल का गढ़ मानी जाती रही है. इसी तरह से दमदम लोकसभा सीट से सौगत रॉय साल 2009 से टीएमसी के सांसद हैं और फिर से पार्टी के उम्मीदवार हैं। बीजेपी ने शीलभद्र दत्ता और माकपा ने सुजन चक्रवर्ती को उनके खिलाफ उतारा है। वहीं, बारासात लोकसभा सीट पर टीएमसी का 1998 से कब्जा है। 2009 से टीएमसी की नेता काकुली घोषदस्तीदार इस सीट से जीत हासिल कर रही है और फिर से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने उनके खिलाफ स्वपन मजूमदार और फॉरवर्ड ब्लॉक ने संजीव चटर्जी को उम्मीदवार बनाया है. जयनगर लोकसभा सीट पर 2014 से टीएमसी की प्रतिमा मंडल जीतती रही हैं। पार्टी ने फिर से उन्हें उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने उनके खिलाफ अशोक कंडारी और आरएसपी ने समरेंद्र नाथ मंडल को उतारा है।संदेशखाली को बीजेपी ने बनाया मुद्दा: वहीं, बशीरहाट लोकसभा सीट पर 2009 से तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है. हालांकि बशीरहाट लोकसभा सीट के अधीन संदेशखाली विधानसभा सीट इस साल सुर्खियों में रही है. संदेशखाली में महिलाओं पर उत्पीड़न और जबरन जमीन हड़पने का आरोप, ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद टीएमसी के पूर्व नेता शेख शाहजहां सहित कई टीएमसी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. टीएमसी ने नूसरत जहां की जगह यहां से विधायक हाजी नुरूल इस्लाम को उम्मीदवार बनाया है, तो बीजेपी ने संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा को मैदान में उतारा है. इस लोकसभा चुनाव में संदेशखाली एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। इस चुनाव में बीजेपी के लिए यह चुनौती है कि क्या वह टीएमसी के गढ़ में सेंध लगा पाएगी. हालांकि कोलकाता में पीएम मोदी ने दावा किया था कि तृणमूल इस समय बंगाल में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में बंगाल की जनता ने हमें 3 से 80 तक पहुंचाया था. इस बार भी पूरे देश में बीजेपी को सबसे बड़ी सफलता पश्चिम बंगाल से मिलेगी। पिछले चुनावों से अलग है 2024 का इलेक्शन: वहीं, तृणमूल नेता कुणाल घोष ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 200 सीटों के लक्ष्य की याद दिलाते हुए तंज कसा है कि साल 2021 में आपकी बार 200 पार के समय भी ऐसी बातें होती थीं. वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं. उनका दावा है कि केंद्र में बीजेपी सरकार वापस नहीं आयेगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि जब भी वोटिंग होती है तो प्रधानमंत्री ऐसे ही भाषण देते हैं. इससे प्रभावित होने का कोई कारण नहीं है. सीपीएम के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि 2021 के चुनाव के बाद बीजेपी यहां खत्म हो गई है. इस बार बंगाल में बीजेपी का सबसे बुरा प्रदर्शन होगा. चुनाव को लेकर राजनीतिक बयानबाजी चल रही है। राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय कहते हैं कि कुछ भी हो. इस बार बंगाल का चुनाव अलग है. पूर्व चुनावों की तरह इस चुनाव में कोई हिंसा नहीं हुई है। कोई भी राजनीतिक दल मतदान में धांधली या हिंसा का आरोप नहीं रहा है और देश के अन्य राज्यों की तुलना में वोट प्रतिशत भी ज्यादा है. यदि वोट पड़े हैं, तो उसका परिणाम भी दिखेगा. क्या वह निःशब्द विप्लव या फिर ममता का समर्थन। यह चुनाव परिणाम के बाद भी साफ होगा और इसके लिए 4 जून का इंतजार करना होगा।