गोरखपुर के केन्द्रीय विद्यालय (एयर फोर्स स्टेशन) में डी.जे. के पूर्ण बहिष्कार हेतु विद्यार्थियों ने ली शपथ

पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय नंबर 1, एयर फोर्स स्टेशन, गोरखपुर में आयोजित हुआ ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम

गोरखपुर !

ध्वनि प्रदूषण को लेकर बेशक कानून की किताब में बहुत कड़े प्रावधान हों, मगर धर्म और परम्परा का नाम लेकर कुछ लोगों ने इतना अधिक तांडव मचाया हुआ है कि आये दिन तेज आवाज के कारण कानून व्यवस्था को गंभीर चुनौती मिल रही है। कहीं डीजे की तेज आवाज में हत्या हो जा रही है तो कहीं डीजे की तेज आवाज के कारण हार्ट अटैक से लोग मर जा रहे हैं। इसी सब को लेकर आज बुधवार को गोरखपुर के एयर फ़ोर्स स्टेशन स्थित केन्द्रीय विद्यालय नंबर 1 में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ वर्ष 2008 से संघर्षरत राष्ट्रीय संस्था, ‘सत्या फाउण्डेशन की तरफ से “ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम” का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों को ढेर सारी जानकारी मिली तथा सभी ने शपथ ली कि किसी भी धार्मिक या वैवाहिक कार्यक्रम में डी.जे. का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करेंगे और यह भी संकल्प लिया कि साइलेंस जोन यानी कि अस्पताल, उपासना स्थल, कोर्ट और स्कूल कालेज के पास हार्न, डी.जे. और पटाखे का एकदम इस्तेमाल नहीं करेंगे। यह भी संकल्प लिया कि शोर को सहने की बजाय शोर के खिलाफ शोर मचायेंगे और पुलिस की सहायता से दिन में साउंड को कम (Control) और रात 10 से सुबह 6 के बीच स्विच ऑफ कराएंगे। साथ ही अपने मोहल्ले या गाँव में स्थित धर्म स्थल के मौलवी जी / पंडित जी से मिलकर रात 10 से सुबह 6 के बीच साउंड को नियमानुसार, पूरी तरह से स्विच ऑफ रखने के नियम के बारे में बतायेंगे।

विद्यालय के लगभग 3500 विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सक्रिय राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि साउंड को नापने की इकाई का नाम है – डेसीबल। गूगल प्ले स्टोर पर जाकर “साउंड लेवल मीटर” को डाऊनलोड करने के बाद एंड्रॉयड मोबाइल ही डेसीबल मीटर का कार्य करने लगता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए 40 से 50 डेसीबल की ध्वनि उचित होती है। 70 डेसीबल से ऊपर की ध्वनि स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं मानी जाती और कानून भी इससे अधिक की अनुमति नहीं देता। हर व्यक्ति और हर नेता को समझना चाहिए कि दुनिया का कोई भी डी.जे. 70 डेसीबल में नहीं बजाया जा सकता और कानून के मुताबिक़, दिन में भी साउंड प्रूफ हाल के अलावा कहीं पर भी डी.जे. बजाना गैर कानूनी है। इस तथ्य की अवहेलना करने से समाज में लगातार हिंसा और वैमनस्य बढ़ रहा है। चेतन उपाध्याय ने कहा कि हाल के वर्षों में, अपने दुश्मनों को मजा चखाने के लिए तो कभी सताने और हत्या करने के लिए तेज पटाखा और डी.जे. के इस्तेमाल का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पुलिस को शिकायत करने के बाद, पुलिस के आने में 10-15 मिनट तो लग ही जाता है जबकि 2 मिनट के हाई डेसीबल शोर में हार्ट अटैक होना सामान्य बात है लिहाजा कई बार लोग आत्मरक्षार्थ, तेज शोर को रोकने के चक्कर में , डी.जे. बजाने वाले आयोजकों पर लाठी और पत्थर तो कभी बंदूक से हमला कर दे रहे हैं और इसी कारण डी.जे. पर प्रभावी प्रतिबंध बहुत अधिक आवश्यक हो गया है क्योंकि घटना होने के बाद मुकदमा और करोड़ रुपये का मुआवजा बाँटने से भी खोई हुई जान वापस नहीं आ सकती। इसलिए बीमारी का इलाज करने की बजाय बीमारी को नहीं होने देना ज्यादा बेहतर होता है और इस सिद्धांत का अनुपालन करते हुए हमारी सरकार को जानलेवा डी.जे. पर पूर्ण प्रतिबंध की दिशा में काम करना चाहिए।

साइलेंस जोन में डी.जे., पटाखे और अन्य शोर पर रोक से ही लगेगी हिंसा-प्रतिहिंसा पर रोक:-
‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने देश के कानून की बड़ी सरल और सटीक शब्दों में व्याख्या करते हुए आगे बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम- 1986 के मुताबिक, दिन हो या रात- स्कूल-कॉलेज-विश्वविद्यालय, अस्पताल, कोर्ट और मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा-गिरजाघर के पास डी.जे., बैंड-बाजा, पटाखा और यहाँ तक कि स्कूटर का हॉर्न बजाना भी जुर्म है। इसी तरह रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच साउंड को पूरी तरह से स्विच ऑफ और दिन के दौरान ध्वनि को कम (Control) करने का नियम है। दोषी को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ₹1,00,000 तक का जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है। चेतन उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह आवश्यक है कि हम ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए सतत जागरूक हों और घर बैठे ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराने के लिए गूगल प्ले स्टोर से UPCOP नामक एप को डाउनलोड करें।

भारत की हवा, युद्धरत देशों से भी ज्यादा जहरीली:
कार्यक्रम के दौरान यह बात भी उठी कि युद्धरत इजराइल और यूक्रेन में एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 60 तक है जबकि हमारे देश भारत में कई शहरों का ए.क्यू.आई. 150 से ऊपर है। लिहाजा स्थिति बहुत विस्फोटक हो चुकी है और हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा और सरकारों को भी ठोस एक्शन प्लान लाना पड़ेगा।

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य बैरिस्टर पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

 

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