नहाय खाय के साथ आज से चैती छठ पूजा का शुभारंभ

सिलीगुड़ी: हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण महापर्व छठ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को हर साल बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इसके अलावा ये पर्व दूसरी बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लोक आस्था का महापूर्व छठ पूजा को उत्तर भारत के लोगों को लिए यह एक त्योहार नहीं बल्कि एक इमोशन है। बिहार के लोग छठ पूजा को लेकर काफी उत्साहित होते हैं। इसे चैती छठ पूजा भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह छठ पर्व मैथिल,मगही और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा पर्व है। सूर्य देव की उपासना के लिए छठ पर्व प्रमुख रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व बिहार या पूरे भारत का एक मात्र ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और अब तो यह बिहार की परंपरा बन चुका है। राजधानी पटना से लेकर पूरे राज्यभर में सभी छठ घाटों में साफ-सफाई शुरू हो चुकी है। पंचांग के अनुसार, चैती छठ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि चैती छठ का पर्व चैत्र माह में कब से शुरू हो रहा है। साथ ही नहाय खाय और खरना की शुभ तिथि क्या है। आइए इन सभी के बारे में विस्तार से जानते हैं।चैती छठ पर्व की शुभ तिथि: वैदिक पंचांग के अनुसार, चैती छठ का महापर्व 12 अप्रैल 2024 से लेकर 15 अप्रैल के बीच मनाया जाएगा। बता दें कि छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होगी।12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को नहाय-खाय, 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को खरना, 14 अप्रैल 2024 दिन रविवार को संध्या अर्घ्य और 15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को सुबह का अर्घ्य और पारण है।नहाय-खाय पूजा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नहाय खाय चैती छठ पर्व का पहला दिन है। इस दिन से चैती छठ पर्व की शुरुआत हो जाती है। इस दिन महिलाएं स्नान करके भगवान सूर्य देव की पूजा करती हैं। साथ ही शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती हैं।खरना क्या है: खरना छठ पर्व का दूसरा दिन है। इस दिन से महिलाएं 36 घंटे बिना कुछ खाए छठ पर्व का व्रत आरंभ करती हैं। बता दें कि इस दिन सूर्य को भोग आदि लगाया जाता है और प्रसाद तैयार किया जाता है। साथ ही शाम के समय में पीतल या मिट्टी के बर्तन में गुड़ की खीर, ठेकुआ आदि बनाया जाता है। छठ का पर्व बहुत ही पवित्र माना गया है इसलिए इस दिन नए चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्य देव को भोग लगाती हैं और अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। साथ ही डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।उगते हुए सूर्य को अर्घ्य: माना जाता है कि छठ महापर्व का हर एक दिन का महत्व होता है। छठ पर्व का अंतिम दिन उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। मान्यता है कि जो लोग विधि-विधान से छठ पर्व का व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं उनके जीवन में खुशियां भरी रहती हैं। साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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