बंगाल के स्वंय को असुरक्षित महसूस करते है राज्यपाल
सभी पुलिस वाले खाली करे राजभवन, मचा है राजनीतिक घमासान
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सिलीगुड़ी: किसी भी राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते है राज्यपाल। लेकिन बंगाल के राज्यपाल ने कहा है कि वह यहां सुरक्षित नहीं है। इसको लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार सुबह राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस के जवानों को प्रभारी अधिकारी सहित तुरंत परिसर खाली करने का आदेश दिया है। राज्यपाल का कहना है कि पुलिस उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रही है और वे उनके आस-पास सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।बताया जा रहा है कि राजभवन के उत्तरी गेट पर स्थित पुलिस चौकी को राज्यपाल जन मंच में बदलने की योजना बना रहे हैं।यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब कोलकाता पुलिस ने राज्यपाल से मिलने पहुंचे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को राजभवन में प्रवेश देने से रोक दिया था, जबकि राज्यपाल इसके बारे में पहले ही आदेश दे चुके थे।ऐसे में सवाल उठता है कि कोलकाता में राजभवन की सुरक्षा अब किसके जिम्मे होगी? इसी बहाने आइए जान लेते हैं कि राज्यपाल की सुरक्षा आखिर करता कौन है? राज्यपाल का होता है अपना सचिवालय: किसी भी राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के तहत की जाती है. वह राज्य में राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं और राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं। राज्यपाल ही राज्य और केंद्र सरकार के बीच कड़ी के रूप में काम करते हैं। राज्यों में राज्यपाल के कामकाज और राजभवन की भूमिका के निर्वहन के लिए उनका अपना सचिवालय होता है। इसमें राज्य सरकार की ओर से प्रमुख सचिव और अन्य अफसरों-कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. इसके अलावा राज्यपाल के कामकाज के लिए ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) की नियुक्ति भी की जाती है।
सहायता के लिए नियुक्त किए जाते दो एडीसी: इसके अलावा आमतौर पर राज्यपालों के दो एडीसी होते हैं। इनमें से एक एडीसी सेना से और दूसरे भारतीय पुलिस सेवा से होते हैं। एडीसी के रूप में नियुक्त अफसरों का काम आमतौर पर प्रोटोकॉल ऑफिसर का होता है, जो प्रोटोकाल को लागू कराते हैं और राज्यपाल के एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के रूप में काम करते हैं।
एडीसी के रूप में नियुक्त किए जाने वाले सेना के अफसर के पास तीनों सशस्त्र बलों में से किसी एक में पांच से सात साल काम करने का अनुभव होना चाहिए। वहीं, सामान्य तौर पर राज्य में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के नए अफसर को राज्यपाल के एडीसी के रूप में तैनात किया जाता है। राज्यपाल के दोनों ही एडीसी अमूमन हर मौके पर उनके साथ होते हैं और अगल-बगल ही रहते हैं। एक और व्यक्ति बेहद अहम होता है, जो हर मौके पर राज्यपाल के साथ दिखाई देता है। वह महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है अर्दली। राज्यपाल का अर्दली आमतौर पर सफेद कपड़ों में हमेशा उनके पीछे दिखाई देता है। उसके सिर पर एक खास आकार की टोपी भी होती है।राज्यपाल का अर्दली आमतौर पर सफेद कपड़ों में हमेशा उनके पीछे दिखाई देता है।
राज्य सरकार के जिम्मे होती है राज्यपाल की सुरक्षा: आमतौर पर राज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा संबंधित राज्य के जिम्मे ही होता है। यानी जिस राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है, वहां के प्रोटोकॉल के हिसाब से राज्य सरकार के निर्देश पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन राज्यपाल और राजभवन की सुरक्षा में तैनात किए जाते हैं। हालांकि, समय-समय पर केंद्रीय गृह मंत्रालय देशभर में वीआईपी की सुरक्षा की समीक्षा करता है। अगर किसी प्रदेश के राज्यपाल को लेकर केंद्र सरकार के पास कोई इनपुट आता है, तो उसके आधार पर केंद्र सरकार अलग से सुरक्षा की व्यवस्था कर सकती है। इसके लिए वह अलग-अलग कैटेगरी में सुरक्षा की व्यवस्था करती है। इसमें वाई कैटेगरी से लेकर जेड प्लस तक की सुरक्षा हो सकती है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के पास जेड प्लस सिक्योरिटी है। ऐसे ही केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी जेड प्लस सिक्योरिटी मिली हुई है
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को मिली हुई है जेड प्लस सिक्योरिटी। जनवरी 2023 में ही वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की सुरक्षा कड़ी की जा चुकी है। उन्हें जेड प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान तैनात किए गए हैं। फिलहाल वह देश के किसी भी हिस्से में जाएं, प्रोटोकॉल के हिसाब से उनकी सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 25 से 30 सशस्त्र जवान हर वक्त तैनात रहते हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी केंद्र सरकार की ओर से जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई थी।
1977 बैच के आईएएस अफसर रहे हैं राज्यपाल: सेंट्रल सिक्योरिटी और इंटेलीजेंस एजेंसियों की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के राज्यपाल को यह सुरक्षा मुहैया कराई है। 1977 बैच के केरल कैडर के आईएएस ऑफिसर डॉ. सीवी आनंद बोस को नवंबर 2022 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. राज्यपाल बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए बनाई गई कमेटी में भी शामिल थे। अब चूंकि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कोलकाता पुलिस को राजभवन खाली करने का आदेश दे दिया है तो संभव है कि केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा व्यवस्था की एक बार फिर समीक्षा करे, क्योंकि राज्यपाल की व्यक्तिगत सुरक्षा का जिम्मा तो केंद्रीय बल के पास है पर राजभवन परिसर की सुरक्षा कोलकाता पुलिस के पास ही थी।वही, राजभवन के उत्तरी गेट से आने-जाने वाले लोगों का हिसाब रखती थी। नए घटनाक्रम के बाद केंद्रीय बलों में से किसी एक को राजभवन की सुरक्षा का भी जिम्मा दिया जा सकता है। रिपोर्ट अशोक झा