लोकसभा में बाहुबली पप्पू यादव तो अब रूपौली से उपचुनाव में बाहुबली शंकर सिंह ने मारी बाजी
सीमांचल में एक बार फिर शुरू हुई अगड़ी पिछड़े की राजनीति
पटना: बिहार के सीमांचल में एक बार फिर अगड़ी ओर पिछड़ी की राजनीति के बाहुबलियों को लोगों ने गले गलाया है। पूर्णिया के रुपौली विधानसभा सीट पर उलटफेर
निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह 8211 वोट से जीते, जेडीयू को 59568, RJD को 30108 मत मिले तोनिर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह 67779 मत मिला है। बिहार की सियासत में बाहुबलियों का दबदबा रहा है, यह अकसर चर्चाओं का विषय बना रहता है। बिहार के पूर्णिया ज़िले में अब अलग ही सियासी हवा बहने लगी है। प्रदेश में बन रहे सियासी समीकरणों के विपरीत पूर्णिया जिले में नया समीकरण बना है। यह समीकरण कोशी कमिश्नरेट में रंग लाएगा। लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बाहुबली पप्पू यादव ने जीत दर्ज की। वहीं अब पूर्णिया के रुपौली विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार बाहुबली शंकर सिंह ने जीत दर्ज की है। वहीं रुपौली से पूर्व विधायक रहीं बीमा भारती के पति अवधेश मंडल भी बाहुबली हैं, उन पर कई मुकदमें दर्ज हैं। रुपौली विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रही बीमा भारती को जिताने में अवधेश मंडल के बाहुबल का ही योगदान रहा है। इस बार उपचुनाव में बाहुबल की लड़ाई में बाहुबली शंकर सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकी और जीत दर्ज कर ली है। रुपौली विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय ताल ठोक कर शंकर सिंह ने मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया। जदयू ने गंगोता समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कलाधर मंडल पर भरोसा जताया था। वहीं राजद ने बीमा भारती पर भरोसा किया। लेकिन जीत का सेहरा निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह के सिर सजा। शंकर सिंह कथित तौर पर लिबरेशन आर्मी नाम का एक गिरोह का संचालन किया करते थे।शंकर सिंह कथित तौर पर उत्तर बिहार मुक्ति सेना के कमांडर हैं। कहा जाता है कि साल 2000 में बूटन सिंह की हत्या के बाद शंकर सिंह ने लिबरेशन आर्मी की कमान संभाली। शंकर सिंह की पत्नी का नाम प्रतिमा कुमारी है।शंकर सिंह ने वर्ष 2000 में राजनीति में एंट्री की. लोजपा की तरफ से उन्होंने टिकट हासिल करके रूपौली में उन्होंने पहले चुनाव लड़ा है. वो 2005 में रूपौली के विधायक बने. लेकिन सूबे में हुई सियासी उठापटक के कारण शंकर सिंह महज कुछ ही दिनों तक विधायक रह सके थे. वहीं 2010,2015 और 2020 के चुनाव में शंकर सिंह यहां दूसरे नंबर पर रहे. उपचुनाव में जब एनडीए में सीट जदयू के पास गयी तो शंकर सिंह ने लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मैदान में कूदे थे। बाहुबली नेता की छवि शंकर सिंह रुपौली क्षेत्र में अगड़ी समुदाय के लिए रॉबिन हुड माने जाते हैं। अवधेश मंडल (पूर्व विधायक बीमा भारती के पति) कथित तौर पर फैजान गिरोह के संचालक हैं। शंकर सिंह के साथ काफी लंब वक्त तक खूनी संघर्ष चला था, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। 90 का दशक था जब फैजान गिरोह और लिबरेशन आर्मी के बीच वर्चस्व की लड़ाई होती थी। अवधेश मंडल पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए तो वहीं शंकर सिंह लिबरेशन आर्मी के लिए खूनी जंग लड़ते थे। शंकर सिंह को अगड़ी जाति का सपोर्ट था, तो वही अवधेष मंडल को पिछड़ों और अति पिछड़ों का समर्थन हासिल था। बहरहाल एक बार फिर शंकर सिंह ने बीमा भारती को सियासी मात देते हुए, अवधेश मंडल के किले को ढा दिया है। वन इंडिया हिंदी से बात करते हुए शंकर सिंह ने कहा कि इस बार पूर्णिया की जनता ने बिहार में बन रहे नए राजनीतिक समीकरण का आगाज़ किया है। रिपोर्ट अशोक झा