बंगाल में अगर ढंग से जांच हुई तो डेमोग्राफी बदलने की बड़ी साजिश आएगी सामने
बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा विधानसभा में होगा सबसे बड़ा मुद्दा
अशोक झा, रांची: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह झारखंड के दौरे पर शनिवार को जा रहे है। इसी बीच झारखंड के पाकुड़ जिले में मारपीट का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी शेयर किया है। वीडियो शेयर करते हुए मरांडी ने पोस्ट में आरोप लगाया है कि बंग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा प्रदेश के आदिवासियों को धमकी दी जा रही है। यह खुलासा झारखंड भाजपा ने एक रिपोर्ट में किया है। वोटर बढ़ने वाले अधिकांश वह इलाके हैं जो संताल परगना में आते हैं। इन इलाकों में भारी बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ की बात लगातार सामने आई है। भाजपा ने इस रिपोर्ट के आधार पर झारखंड चुनाव आयोग से जाँच की माँग की है। भाजपा ने कहा कि अगर ढंग से जाँच हुई तो डेमोग्राफी बदलने की बड़ी साजिश सामने आएगी। भाजपा की यह रिपोर्ट एक तीन सदस्यीय समिति ने तैयार की है, इस समिति के मुखिया प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश कुमार हैं। यह पूरी रिपोर्ट ऑपइंडिया के पास मौजूद है। भाजपा की रिपोर्ट में क्या सामने आया: भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची और 2024 की मतदाता सूची का अध्ययन किया है। भाजपा ने पाया है कि झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कुछ बूथ पर (विशेष कर मुस्लिम आबादी वाले बूथ) पर वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि पाँच वर्षों में हुई है। भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में यह अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है। भाजपा ने कहा है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।
डेमोग्राफी बदलने की साजिश: भाजपा की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस इन भी बूथ की जाँच हो तो डेमोग्राफी बदलने की एक साजिश सामने आएगी। भाजपा ने आरोप लगाया है कि विदेशी घुसपैठियों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपना नाम वोटरों की सूची में दर्ज करवाया गया है, जिसके लिए अवैध रूप से कागज बनवाए गए हैं। भाजपा ने माँग की है कि इस मतदाता सूची में फर्जी पाए जाने जाने वाले वोटरों पर जनप्रितिनिधि कानून के तहत कार्रवाई हो। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि कई बूथों पर सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से बहुसंख्यक आबादी के नाम काट दिए गए हैं। इस कारण से यह 2024 लोकसभा चुनाव में वोट डाल नहीं पाए। भाजपा ने इस संबंध में झारखंड चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी है और जाँच की माँग की है। राजमहल विधायक ने भी की थी जाँच की माँग: जहाँ अब झारखंड की 10 विधानसभा सीटों पर अप्रत्याशित रूप से मतदाता बढ़ने की बात सामने आई है, वहीं इससे पहले राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने भी इस संबंध में शिकायत की थी। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया था कि उनकी विधानसभा के 187 नंबर बूथ पर 2019 में 672 वोट थे। 2024 में यह बढ़ कर 1461 हो गए। यानी इसमें लगभग 117% की वृद्धि हुई। इसी के साथ सरकारी मदरसा बूथ पर 754 वोट बढ़ कर 1189 हो गए। ऐसे कम से कम 73 बूथ इस विधानसभा के भीतर हैं जहाँ की वोटर वृद्धि असामान्य है। विधायक अनंत ओझा ने बताया था कि यह सभी बूथ मुस्लिम आबादी के बीच स्थित हैं। इसी इलाके में हिन्दू आबादी वाले 17 बूथ पर इसी दौरान आबादी कम हो गई है। उन्होंने इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग से भी शिकायत की थी। राज्य चुनाव आयोग ने इस मामले में एक टीम बनाकर एक्शन लेने की बात कही थी। घुसपैठ की समस्या पर बाबूलाल मरांडी ने लिखा पत्र: भाजपा झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी इस मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण यहाँ की आदिवासी जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि घुसपैठिए यहाँ तेजी से बढ़ रहे है जिससे आदिवासी जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि घुसपैठिए यहाँ महिलाओं से विवाह कर जमीनें कब्जा रहे हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि आने वाले समय में यहाँ आदिवासी अल्पसंख्यक हो जाएँगे। उन्होंने इसके समर्थन में कुछ आँकड़े भी दिए हैं। मरांडी के दिए आँकड़ों में बताया गया है कि 1951 में संताल परगना में 41% आदिवासी आबादी थी जो कि 2011 में 28% ही बची है। उन्होंने अपने पत्र में बताया है कि इस बीच मुस्लिमों की आबादी 9.4% से 22% पहुँच चुकी है। झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने भी इस मामले को उठाया है। कितनी गंभीर है घुसपैठ की समस्या: मार्च, 2024 में आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि यहाँ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए, पश्चिम बंगाल के रास्ते आते हैं। इसके बाद वह बस जाते हैं। इनमें से कुछ आदिवासियों की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। जब लडकियाँ उनके दिखावे में फंस जाती हैं तो उनसे शादी कर ली जाती है। शादी के बाद लड़की की कागजों में पहचान आदिवासी के तौर पर ही रहने दी जाती है। इसके बाद उस लड़की के नाम पर जमीन ली जाती है या फिर उसकी ही जमीन कब्जा ली जाती है। रिपोर्ट में बताया गया था कि यह सब करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को फंडिंग मिलती है। लड़की की पहचान आदिवासी रखने के पीछे सरकारी फायदे लेने के मकसद रहता है। इसके अलावा कई जगह उन लड़कियों को चुनाव भी लड़वाया गया, जिन्होंने मुस्लिमों से शादी की। बांग्लादेशी घुसपैठियों की यह समस्या शादी करने और जमीन हथियाने तक सीमित नहीं रही है। इसका कनेक्शन लोकसभा चुनाव तक से जुड़ा है।