बांग्लादेशी घुसपैठ वाले जिलों में लागू हो एनआरसी या बने केंद्र शासित प्रदेश

बीजेपी सांसद की मांग से सियासी गलियारे में भूचाल, क्या ऐसा होना संभव

अशोक झा, सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर राज्य में मिलाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को मांग की है कि बांग्लादेशी घुसपैठ प्रभावित बिहार, झारखंड और बंगाल के जिलों को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। वह इसलिए क्योंकि वहां एनआरसी लागू करने का विरोध ना हो सके। यह मुद्दा कोई छोटी बात नही है। यह उन ताकतों को चोट पहुंचाएगा जो साजिश के तहत मुस्लिम पट्टी बनाने में लगे है। लोकसभा में दुबे ने मांग की है की बांग्लादेश से अवैध रूप से आए प्रवासियों की चुनौतियों से निपटने के लिए झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए।उन्होंने असम की तरह एनआरसी लागू करने की भी मांग की।निशिकांत दुबे ने दावा किया कि यदि इस अवैध प्रवास को रोकने के लिए कुछ उपाय नहीं किए गए तो हिंदू इन स्थानों से गायब हो जाएंगे। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए दुबे ने दावा किया कि झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की आबादी बांग्लादेश से लोगों की कथित घुसपैठ के कारण घटी है। उन्होंने मांग की कि मालदा, मुर्शिदाबाद, अररिया, किशनगंज, कटिहार और संथाल परगना को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए। उन्होंने कहा, “मैं जिस राज्य से आता हूं, संथाल परगना क्षेत्र से आता हूं – जब संथाल परगना बिहार से अलग होकर झारखंड का हिस्सा बना, तो 2000 में संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 36% थी। आज उनकी आबादी 26% है। 10% आदिवासी कहां गायब हो गए? यह सदन कभी उनकी चिंता नहीं करता, यह वोट बैंक की राजनीति में लिप्त है।उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं। भाजपा सांसद ने कहा, “हमारे इलाके में 100 आदिवासी मुखिया हैं, लेकिन उनके पति मुसलमान हैं…पाकुड़ के तारानगर-इलामी और दागापारा में दंगे भड़के क्योंकि मालदा और मुर्शिदाबाद के लोग हमारे लोगों को निकाल रहे थे और हिंदुओं के गांव खाली हो रहे थे।उन्होंने इसे बेहद गंभीर मामला मामला बताया। साथ ही यह कहा,”मैं यह बात ऑन रिकॉर्ड कह रहा हूं, अगर मेरी बात गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। झारखंड पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है…किशनगंज, अररिया, कटिहार, मालदा और मुर्शिदाबाद को केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए, नहीं तो हिंदू गायब हो जाएंगे और एनआरसी लागू हो जाएगा।उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “अगर और कुछ नहीं तो वहां सदन की एक समिति भेजिए और 2010 के विधि आयोग की रिपोर्ट लागू कीजिए कि धर्म परिवर्तन और शादी के लिए अनुमति जरूरी है।उन्होंने कहा कि यह मुद्दा हिंदू बनाम मुस्लिम नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र में बाहरी लोगों के बसने का है। तृणमूल कांग्रेस ने निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर आपत्ति जताई। इसने कहा कि भाजपा सांसद ने विभाजनकारी मुद्दा उठाया है।टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, “हमारी सीएम ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है – हम एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे…आज, निशिकांत दुबे हिंदू-मुस्लिम का सवाल उठा रहे है…हमने भारी विरोध दर्ज कराया और हमने स्पीकर से कहा कि वे देखें कि इसे कार्यवाही से हटा दिया जाए।घुसपैठ का मुद्दा गर्माया: दुबे ने आगे कहा, ‘बंग्लादेश का घुसपैठ लगातार बढ़ रहा है. आदिवासी महिलाओं से ये घुसपैठिये शादी कर रहे हैं, हिंदू मुसलमान का सवाल नहीं है. ये महिलाएं जो आदिवासी कोटे से चुनाव लड़ती हैं उनके पति मुसलमान हैं. हमारे यहां लोकसभा की चुनाव लड़ने वाली आदिवासी महिला या जिला पार्षद हों उनके पति मुसलमान हैं. हमारे 100 मुखिया हैं जिनके पति मुसलमान हैं।मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर फोकस: दुबे ने कहा, ‘हमारे यहां लोकसभा चुनाव हुआ. हर 5 साल पर वोटरों की संख्या 15 से 17 प्रतिशत बढ़ती है, लोकिन हमारे यहां 123 प्रतिशत वोटर बढ़े हैं. लेकिन हमारे यहां एक विधान सभा क्षेत्र है, जिसके एक लगभग 267 बूथों पर मुसलमानों की आबादी लगभग 117 प्रतिशत बढ़ी है. झारखंड के कम से कम 25 विधानसभा सीट पर 110-123% वोटर की संख्या बढ़ गई है।’हिंदूओं के गांव के गांव खाली हो रहे हैं?दुबे ने संसद में कहा, ‘झारखंड के पाकुड़ तारा नगर इलामी और दागा पाड़ा में दंगा हुआ. यह दंगा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि बंग्लादेश से घुसपैठ कर बंगाल पहुंचे मुसलमान जबरदस्ती हिंदूओं के गांवों को खाली करवाया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि पूरा मालदा, मुर्शिदाबाद, अररिया, कटिहार, किसनगंज से आकर लोगों ने हिंदूओं पर जुल्म किया. उन्होंने भारत सरकार की हस्तक्षे की मांग की और इन इलाकों को यूनियन टेरिटरी बनाने की मांग की. साथ ही एनआरसी लागू करने की मांग की और संसद की कमिटी भेजने की मांग की और धर्मांतरण के जरिए शादी के लिए परमिशन जरूरी करने की मांग की।

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