श्रीमद् भागवत कथा में मनाया नंदोत्सव: भजनों पर जमकर झूमे भक्त, सजाई गई मनमोहक झांकी

बड़ी संख्या में कथा सुनने पहुंचे श्रद्धालु


अशोक झा, सिलीगुड़ी: डालमिया परिवार की ओर से आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा अग्रसेन भवन में आयोजन किया जा रहा है। कथा के चौथे दिन रविवार को नंदोत्सव बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया गया। कथावाचक केशव कृष्ण जी ने जैसे हीं कृष्ण जन्म की कथा सुनाना आरंभ किया तो भक्त जमकर झूम उठे।
कथा के दौरान भगवान कृष्ण की मनमोहक झांकी सजाई गई।
कथावाचक केशव कृष्ण ने भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में नंद के आनंद भयों जय कन्हैया लाल की सहित अनेकों सुंदर भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। नंदोत्सव में भजनों पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान कथा प्रांगण को भव्य तरीके से सजाया गया। कथा के दौरान फूलों की होली खेली गई और भगवान श्री कृष्ण के जयकारों के साथ नंदोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया।कथावाचक केशव कृष्ण महाराज ने कहा की जब जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मनुष्य इस सांसारिक मोह में फस कर अपने जीवन को व्यर्थ गंवा देता है। मनुष्य अपने मन के कुविचारों को निकालकर परमेश्वर का ध्यान लगाता है तो वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे। महाराज केशव कृष्ण ने कहा कि मनुष्य को हमेशा सदकर्मों के साथ रहना चाहिए। जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ते हैं तो भगवान अवतार लेकर आते हैं। कंस के अत्याचारों के बोझ से दब रही पृथ्वी के बोझ को कम करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया।भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित नंदोत्सव में नन्हें कृष्ण स्वरूप बालक को डलिया में लेकर नंद बाबा भागवत श्रोताओं के बीच से निकले तो हर कोई ‘नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की’ धुन पर झूम उठा। नंदोत्सव में जमकर मिठाई व खिलौने लुटाए गए। व्यास केशव कृष्ण ने कहा कि जब-जब धरा पर पाप व अत्याचार बढ़ जाता है तब-तब भगवान रूप धारण कर यह जन्म लेते हैं। श्री कृष्ण ने कंस के बढ़ते अत्याचार को समाप्त करने के लिए जन्म लिया। उन्होंने कंस का वध तो किया ही साथ ही अनेक असुरों को भी मोक्ष प्रदान किया। उन्होंने आगे कहा कि भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शान्ति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद भागवत कथा के दौरान व्यास केशव कृष्ण महाराज ने श्रीकृष्ण भगवान के छप्पन भोग गोवर्धन पूजा के महत्व को बताया। इस दौरान भगवान गोवर्धन का पूजन भी किया गया। कथा व्यास ने बताया कि भगवान इन्द्र जब प्रकोप में थे तब उन्होंने वर्षा करके कहर बरपाया। चारों ओर हाहाकार मच गई। गांव जलमग्न होने लगे तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा लिया। इससे गांव के सभी लोग गोवर्धन पर्वत के नीचे गए और वहां शरण ली। कथा व्यास केशव कृष्ण महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का मान नष्ट करके गिर्राज पूजा कराई थी। तब सभी बृजवासियों ने गोवर्धन पहुंचकर गोवर्धन पर्वत का पूजन किया और 56 भोग लगाया। उन्होंने कहा कि आज भी वृदांवन में बांके बिहारी को दिन में आठ बार भोग लगाया जाता है। पूरे सात दिन भगवान श्रीकृष्ण ने भूखे प्यासे गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा था।
श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कृष्ण जन्म पर माखन-मिश्री की बौछार की गई। महिलाओं ने बधाई गीत गाकर अपना हर्ष प्रस्तुत किया। इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरित की गई। सोमवार को श्री कृष्ण की बाल लीला और रुक्मणि विवाह का आनंद भक्त ले पाएंगे।

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