श्रीमद भागवत कथा के समापन पर भाव विभोर होकर झूमे श्रद्धालु
अशोक झा, सिलीगुड़ी: डालमिया परिवार द्वारा आयोजित अग्रसेन भवन श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस बुधवार को कथा वाचक व्यास केशव कृष्ण महाराज ने श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता श्रीकृष्ण के पूरे परिवार एवं राजा परीक्षित मोक्ष की कथा श्रवण कराई। आपने धर्मसभा में कहा कि राजा परीक्षित ने सुखदेव के मुखारविंद से जब तक उन्होंने श्रीमद् भागवत ने नहीं सुनी थी। तब तक वे अपनी मृत्यु के भय से भयभीत थे। उन्होंने कहा की कलयुग में श्रीकृष्ण सिर्फ भागवत में ही रचते और बसते है। उन्होंने कहा की श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता श्रीकृष्ण के पूरे परिवार एवं राजा परीक्षित मोक्ष की कथा श्रवण कराई। आपने धर्मसभा में कहा कि राजा परीक्षित ने सुखदेव के मुखारविंद से जब तक उन्होंने श्रीमद् भागवत ने नहीं सुनी थी। तब तक वे अपनी मृत्यु के भय से भयभीत थे। हालांकि सात दिवस तक पूरे मनोभाव से भगवान विष्णु के सभी अवतारों व श्रीकृष्णजी की लीलाएं सुनकर वे अपनी मृत्यु के भय से भयमुक्त हो गए। श्रीमद् भागवत मनुष्य को भय से मुक्त करती है। मनुष्य जो कि सांसारिक मोह बंधनों से बंधा है। वह यदि श्रीमद् भागवत को मनोभाव से सुनता है तो उसको सभी मोह बंधनों से मुक्ति मिलती है तथा वह भगवान हरि के चरणों में स्थान पा लेता है। श्रीमद् भागवत के सभी अक्षर जीवन में नई प्रेरणा देते है। कथा के समापन पर डालमिया परिवार सहित उपस्थित श्रद्धालुओं ने जमकर झूमते और नाचते नजर आए। आत्म विभार होकर कथा व्यास केशव कृष्ण महाराज से आशीर्वाद लिया और उन्हें भी झूमने पर मजबूर कर दिया।