कांग्रेस से क्यों अधीर हो गए चौधरी, कांग्रेस हाई कमान के खिलाफ खोल दिया मोर्चा

अशोक झा, कोलकाता: बंगाल में कांग्रेस के भीतर फेरबदल की खबरों के बीच अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अधीर के निशाने पर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं। अधीर ने अध्यक्ष पद से हटाने और चुनाव के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे के दिए गए बयान को गलत बताया है। उन्होंने घोषणा की है आंदोलन की राह पर रहेंगे। लेकिन, अन्याय से समझौता नहीं करेंगे। ये वे नेता हैं जो कुछ ही समय पहले तक गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंदों में शामिल थे। इस नेता का नाम है अधीर रंजन चौधरी। 17 वीं लोकसभा में सदन में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी इस समय पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं। उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ अपना गुस्सा सार्वजनिक किया।
2024 में बहरामपुर सीट से जीत का छक्का लगाने से चूक गए। उन्हें पहली बार राजनीति में किस्मत आजमा रहे पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीएमसी उम्मीदवार युसूफ पठान ने 74 हजार वोटों के भारी अंतर से मात दी। चुनाव में मिली करारी हार के बाद अधीर रंजन ने पीसीसी पद से इस्तीफा दे दिया था। अधीर रंजन ने अब बंगाल कांग्रेस इकाई का टीएमसी के प्रति नरम रुख अपनाने पर कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि टीएमसी कांग्रेस पार्टी को तोड़ रही है। हमारे कार्यकर्ताओं को हर दिन पीटा जा रहा है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के कद्दावर नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अधीर रंजन चौधरी ने अपनी ही पार्टी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हमारे अलावा और कौन हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से बोलेगा? जिन्हें पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा हर दिन पीटा जा रहा है? राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी रोजाना कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश कर रही है। आधिकारिक तौर पर इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होने के बावजूद, उन्होंने हम पर अत्याचार करना बंद नहीं किया है। पार्टी कार्यकर्ताओं को भी टीएमसी नहीं पसंद: अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि सिर्फ मैं और गिने-चुने पार्टी के नेता ही नहीं जमीनी स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ता भी टीएमसी के साथ किसी भी तरह के गठजोड़ के खिलाफ हैं। अधीर ने कहा, “आलाकमान को पश्चिम बंगाल में उन पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए जो पार्टी के झंडे को बनाए रखने के लिए रोजाना संघर्ष कर रहे हैं और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी राय महत्वपूर्ण है और इसलिए उन्हें भी दिल्ली बुलाया जाना चाहिए। अधीर ने फेसबुक पर पोस्ट कर परोक्ष रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह किसी भी तरह से तृणमूल से समझौता करने को तैयार नहीं हैं। अधीर के इस फेसबुक पोस्ट के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं।अधीर ने फेसबुक पोस्ट में साफ लिखा कि जो कार्यकर्ता दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं।पार्टी का झंडा लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें दिल्ली में फोन नहीं आता! अगर ये राजनीति है, वो राजनीति मेरे लिए नहीं है तो मैं अपने साथियों के साथ सड़कों पर रहूंगा, आंदोलन पथ पर रहूंगा।
अपनी बात पर अड़े अधीर रंजन: इस बीच सूत्रों के कहना है कि अधीर रंजन अपनी बात पर अड़े हुए हैं। उनकी बात न तो राहुल गांधी सुन रहे हैं और न ही सोनिया गांधी। हालांकि एक बार सोनिया गांधी ने उनसे मुलाकात की। लेकिन, उसके बाद से अधीर रंजन के बार-बार के अनुरोध के बावजूद सोनिया भी उनसे नहीं मिल रही हैं। अधीर ने हमेशा से ही तृणमूल के साथ किसी भी तरह के गठबंधन या सीट समझौते का विरोध किया है आखिर में उन्हें बहरामपुर से तृणमूल के यूसुफ पठान से हार गए। दरअसल, बीते सोमवार को आलाकमान ने दिल्ली में प्रांतीय नेताओं की बैठक बुलाई थी। उस बैठक से यह साफ हो गया कि अधीर को प्रांतीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।। हालांकि अधीर ने आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत किसी भी नेता ने उन्हें पहले से कुछ नहीं बताया। फेसबुक पोस्ट में जाहिर किया गुस्सा: मंगलवार शाम को किए गए फेसबुक पोस्ट में अधीर ने लिखा, ‘जिन कार्यकर्ताओं को दिन-रात तृणमूल पीट रही है, उनके लिए हम नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा? सत्ताधारी तृणमूल हर दिन हमारी पार्टी को तोड़ रही है!’ उन्होंने इंडिया गठबंधन में शामिल होकर हम पर अत्याचार करना बंद नहीं किया! तृणमूल इस राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी है, क्या उन्होंने हमारे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बख्शा है? आज भी हमारे कार्यकर्ता जेल में हैं, झूठे मुकदमों के बोझ से दबे हुए हैं, हमारी पार्टी कार्यालय पर कब्ज़ा कर लिया है, कोई रोक नहीं रहा है! तो मैं जमीनी स्तर के लोगों के खिलाफ कैसे चुप रह सकता हूं, अगर मैं ऐसा करता हूं तो यह मेरे सहयोगियों के साथ अन्याय होगा! मैं नहीं कर सकता। अधीर ने सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व के लिए लिखा, ‘दिल्ली को उन कार्यकर्ताओं से बात करनी चाहिए जो दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं, पार्टी का झंडा लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी राय भी जाननी चाहिए। उन्हें भी दिल्ली बुलाने की जरूरत है। मैं अपने सभी साथियों के साथ सड़क पर रहूंगा, आंदोलन की राह पर रहूंगा, अन्याय से समझौता करना मैंने न सीखा है, न करूंगा।

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