अपने और अपनों के चक्रव्यू में फंसती जा रही बंगाल की ममता सरकार

आज की घटना में याद कराए जा रहे पुराने गलतियों के दिन

अशोक झा, कोलकोता : कोलकोता आर जी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले से देशभर में पैदा हुआ गुस्सा ममता बनर्जी के जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना जा रहा है। कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने और फिर वाम दलों की सत्ता को अकेले बेदखल करने तक के सफर में और इसके बाद बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को रोकने में कामयाब होने तक भी सीएम ममता बनर्जी ने कई चुनौतियों से पार पाई लेकिन यह चुनौती उनके जीवन के लिए सबसे बड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि लोग इस मामले को लेकर पुरानी कहानी को भी याद करने लगे है। इस आग को और हवा दे रहे है ममता सरकार के कुछ चाटुकार नेता। जरा याद करे अप्रैल 2012 में जब आईपीएस अधिकारी दमयंती सेन को ट्रांसफर ऑर्डर मिलिता है तो वह हैरान रह जाती हैं, क्योंकि वह नहीं जानती थीं कि हुआ क्या है। सेन उस समय कोलकाता मीडिया की सुर्खियों में छाईं हुईं थी। उन्होंने ही पार्क स्ट्रीट बलात्कार मामले को सुलझाया ही था। कोलकाता पुलिस की संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) दयमंती सेन को उस पद से हटाकर बैरकपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज में डीआईजी (प्रशिक्षण) के पद पर तैनात कर दिया गया। उनकी गलती क्या थी? दरअसल उन्होंने तत्कालीन नई मुख्यमंत्री के दावों की हवा निकालने की हिम्मत दिखाई थी। ममता बनर्जी को राइटर्स बिल्डिंग ( पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय) में आए एक साल भी नहीं हुआ और तब उन्होंने बलात्कार मामले को ‘शाजानो घोटोना’ यानी एक नकली घटना कहकर खारिज करते हुए दावा किया कि यह ‘अपनी नई सरकार को बदनाम करने की’ एक ‘मनगढ़ंत घटना’ थी।
ममता पहले भी रेप के कई मामले कर चुकी हैं खारिज
दयमंती सेन द्वारा पार्क स्ट्रीट गैंगरेप मामले की जांच करना, मामले को सुलझाना और पांचों दोषियों को पकड़ना शायद दीदी (ममता बनर्जी) अच्छा नहीं लगा। सेन यहां सीएम के खिलाफ हीं चली गईं थी क्योंकि कोई भी दीदी के खिलाफ नहीं जाता था। वह 2012 था और अब 2024 है। यानि 12 साल में भी कुछ खास बदलाव नहीं हुआ।इस दौरान बनर्जी सरकार के दौरान हंसखाली, कामदुनी, काकद्वीप, रानाघाट, सिउरी, संदेशखली जैसे मामले आए. हंसखाली में में हुई रेप की घटना को उन्होंने ‘अफेयर’ बताकर खारिज कर दिया था जबकि कामदुनी में प्रदर्शनकारियों को उन्होंने ‘माकपा समर्थक’ बता दिया क्योंकि इन प्रदर्शकारियों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों सवाल उठाए थे. मई-जून 2021 में पूरे पूरे बंगाल के पुलिस थानों में बलात्कार की शिकायतों को दबा दिया गया, तब उन्होंने चुप्पी साध ली।अब, जब कोलकाता एक और रेप तथा हत्या के मामले से सुर्खियों में बना हुआ है, जब प्रदर्शनकारी न्याय की गुहार लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं तब ममता बनर्जी विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. क्या आप नहीं सोच रहे हैं कि उनका विरोध किसके खिलाफ था? क्या आप भी सोच रहे हैं कि वह राज्य की सत्ता पर काबिज नहीं हैं? दोष सीबीआई पर : टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन, जिन्होंने हमेशा बनर्जी की ज्यादतियों और कमियों का बचाव किया है, वह कहते हैं: “न्याय तभी होगा जब सीबीआई सभी शामिल लोगों को पकड़ेगी और मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में भेजेगी। सीबीआई द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने से इसे चुपचाप दफन नहीं किया जाना चाहिए। समय की सबसे बड़ी मांग है कि त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस बर्बर कृत्य को करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए। यानि दोष सीबीआई पर मढ़ दिया गया है. राज्य सरकार ने सुविधाजनक तरीके से युवा डॉक्टर के खून से अपने हाथ धो लिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपनी सभी महिला सांसदों और विधायकों के साथ मामले को सुलझाने में विफल रहने पर अपनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। क्योंकि कोई भी दीदी की तरह ट्रोल नहीं कर सकता है।
जब ममता ने रेप को अफेयर से जोड़ दिया:उदाहरण के लिए, अप्रैल 2022 को ही ले लेते हैं. नादिया में 14 साल की लड़की के साथ कथित तौर पर रेप किया गया। लड़की की मौत हो गई। जानते हैं उसके बाद सीएम ममता बनर्जी ने क्या कहा? सीएम ने कहा, “कहा जा रहा है कि बलात्कार के कारण एक नाबालिग की मौत हो गई है, क्या आप इसे रेप कहेंगे? क्या वह प्रेग्नेंट थी या उसका प्रेम संबंध था? क्या उन्होंने पूछताछ की है? मैंने पुलिस से पूछा है। उन्होंने गिरफ्तारियां की हैं। मुझे बताया गया कि लड़की का लड़के के साथ अफेयर था।” गौर करने वाली बात ये है कि आरोपी कथित तौर पर एक स्थानीय टीएमसी के दिग्गज नेता का बेटा था। फिर 2013 में कामदुनी गैंगरेप हुआ। जब बनर्जी घटना के 10 दिन बाद कामदुनी गईं, तो उन्हें गुस्साई महिलाओं की भीड़ का सामना करना पड़ा। उनमें से एक महिला ने उन पर चिल्लाते हुए कहा था, “क्या आप यहां अपना मुंह दिखाने आई हैं?” ममता से यह सवाल पंचायत चुनाव अभियान से कुछ दिन पहले पूछा गया था और दीदी को एक बार फिर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश की बू नजर आने लगी थी।
तब ममता ने प्रदर्शनकारियों पर थूक दिया: तब ममता बनर्जी ने कहा, “यहां के लोग सीपीएम के समर्थक हैं। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि सीपीएम राजनीति कर रही है। बलात्कार-हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए सभी गुंडे सीपीएम के समर्थक थे। चोर-एर मा-एर बोरो गोला (चोर की मां सबसे ऊंची आवाज में चिल्लाती है)” बनर्जी ने अपनी कार में बैठने से पहले भीड़ पर थूक दिया. भीड़ माफ करने करने को तैयार नहीं थी। वे सभी जानते थे कि मुख्य आरोपी टीएमसी पंचायत प्रधान का रिश्तेदार था। ममता बनर्जी की गलतियों की डायरी में रेप सबसे ऊपर हैं। खासकर अगर उनकी पार्टी का कोई व्यक्ति दोषी हो। ममता बनर्जी ने अपनी वर्षों की सत्ता के दौरान साल-दर-साल बलात्कार के कई मामलों को झूठा बताया है। वह खुद पीड़ित हो जाती हैं जब एक महिला नेता के रूप में उनसे बलात्कार के मामलों पर जवाब मांगा जाता है। अगर विपक्ष द्वारा सवाल पूछे जाते हैं तो वह उल्टा आरोप लगा देती हैं। आरजी कर मामले में भी, जब साजिश की थ्योरी तेजी से फैल रही है और ताकतवर लोगों का नाम दबी जुबान में लिया जा रहा है, महिलाएं चिल्ला रही हैं, शंख बजा रही हैं, मोमबत्ती मार्च निकाल रही हैं और राज्य सरकार से न्याय की मांग कर रही हैं; तब ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया बिल्कुल टैक्स्टबुक बनर्जी की तरह है. कोई आपको दोषी ठहराए, उससे पहले खुद को पीड़ित बता दीजिए। यह एक सच्चाई ये है कि यह कोई शाजानो घोटोना यानी एक नकली घटना नहीं है।ये आरोप नए नहीं हैं, न ही ये खामियां. ममता बनर्जी आरोपों को धता बताकर खुद को साबित करने वाली राजनेता रही हैं लेकिन इस बार जंग बेहद मुश्किल है। उनके अपने भी उनकी कार्यशैली से बहुत खुश नहीं हैं।।ममता बनर्जी ने लेफ्ट और कांग्रेस के शासन का राज्य में अंत किया था लेकिन अब उनके खिलाफ सड़कों पर लोग उतरे हैं. डॉक्टर, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता हर कोई गलियों में ममता सरकार के खिलाफ उतर गया है।।अब उनकी परेशानियां और बढ़ने वाली हैं. कोलकाता रेप केस में पुलिस की कार्रवाई उन्हें और सवालों के घेरे में ला रहा है।
कलकत्ता हाई कोर्ट से भी पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार मिली। राज्यपाल ने भी ममता सरकार को घेरा है, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस रेप कांड पर संज्ञान लिया है। ममता बनर्जी के सामने कई चुनौती है, जिसकी वजह से वे बुरी तरह घिरी है। मुख्यमंत्री ने सधी हुई राजनीति के तहत खुद सड़कों पर उतर आईं।।प्रदर्शनकारी इस बात से भी खुश नहीं हुए, बल्कि ये चाल भी उल्टी पड़ गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद ही गृह और स्वास्थ्य विभाग की कमान संभालते हैं। ममता बनर्जी के कार्यकाल में कई ऐसे कांड हुए हैं, जिन पर वे आलोचना की शिकार हुई हैं। पार्क स्ट्रीट गैंगरेप को उन्होंने फर्जी बता दिया था. साल 2013 में एक गैंगरेप पर पुलिस ने ऐसी सुस्त कार्रवाई की, जिसकी वजह से बुरी तरह घिरी थीं. जब विरोध प्रदर्शन तेज हुई, तब जाकर उन्होंने थोड़ा एक्शन दिखाया। संदेशखाली के यौन उत्पीड़न प्रकरण को ममता बनर्जी स्पष्ट तौर पर साजिश कहती हैं।आरजी कर अस्पताल, कई मामलों में बेहद अलग है। इस केस में एक ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ है। कोलकाता के बीच शहर में हुए इस कांड ने प्रशासन पर ही कई सवाल खड़े किए हैं। ममता बनर्जी इस केस में ऐसे बुरी फंसी कि उन्होंने बिना एक पल गंवाए, इस केस को सीबीआई को सुपुर्द करने की पेशकश कर दी थी। ममता बनर्जी ने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन उनका गुस्सा जायज है। परिवार से बात की है और फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस केस की सुनवाई की वकालत भी की है. अगर जरूरी लगा तो आरोपी को फांसी भी होगी। जो लोग प्रोटेस्ट कर रहे हैं, अगर उनका भरोसा राज्य सरकार में नहीं हैं तो वे किसी दूसरी कानून प्रवर्तनीय एजेंसी का रुख कर सकते हैं।
ममता बनर्जी ने भाषाई तौर पर काफी कुछ संभालने की कोशिश की लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कई चूक उनसे हुई। उनकी राजधानी के अस्पताल में आरजी कर हॉस्पिटल के प्रिंसिपल संदीप घोष ने रेप और मर्डर के बाद परिवार को लाश तक देखने से रोका और देरी से लाश देखने की इजाजत दी। जैसे ही उन्होंने हादसे के बाद इस्तीफा दिया, उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रधानाचार्य की कमान मिल गई।
आइए जानते हैं कुछ अहम बातें, जिनकी वजह से घिरी हैं ममता बनर्जी हत्या और रेप को आत्महत्या बता चुकी है पुलिस।
कोलकता रेप केस में पुलिस ने शुरुआती घंटों में परिवार को संदेह के घेरे में रखा है। पुलिस की ओर से पहले कहा गया कि ये खुदकुशी है, बाद में पता चला कि रेप और मर्डर है। संदीप घोष सहित अस्पताल के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने पहले इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की, मामला बढ़ा तब जाकर इसे हत्या और रेप बताया गया।
हाई कोर्ट ने लगाई फटकार: कोलकाता हाई कोर्ट ने हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई और संदीप घोष की नई नियुक्ति पर स्टे लगा दिया। उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजा गया है. हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद प्रधानाचार्य से लंबी पूछताछ हुई है। हाई कोर्ट ने सरकार के ऐसे समर्थन पर सवाल खड़े किए थे। 14 अगस्त को भी ममता की ओर से हुई चूक। 14 अगस्त को प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग हुआ। वे डॉक्टर के लिए इंसाफ मांग रहे थे, आरजी कर ऑस्पताल में भीड़ ने हंगामा कर दिया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों और नर्सों की पिटाई हो गई लेकिन पुलिस मूक दर्शक बनकर खड़ी रही। TMC कार्यकर्ताओं ने किया है हंगामा: प्रदर्शन के दौरान हंगामा करने वाले लोगों में कुछ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी शामिल रहे हैं। ममता बनर्जी ने इससे इनकार करते हुए लेफ्ट और बीजेपी को लपेट लिया लेकिन उनकी योजना पर पानी फिर गया. लोगों ने माना कि ये टीएमसी का ही काम है।
ट्रांसफर पर भी गिरी ममता: ममता बनर्जी 42 डॉक्टरों के गलत वक्त पर ट्रांसफर पर भी गिरी हैं। इसे भले ही नियमित बताया जा रहा हो लेकिन इसकी टाइमिंग ठीक नहीं थी। आरजी कर हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर इसे कार्रवाई की तरह लिया गया, जिसे भारी विरोध के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा।
बीजेपी-लेफ्ट मांग रहे ममता का इस्तीफा: ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग बीजेपी और CPI (M) दोनों की ओर से की गई है। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि ममता बनर्जी के पास गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय है, दोनों में सीएम फेल रही हैं। टीएमसी के इंडिया ब्लॉक के सहयोगी भी उनके खिलाफ आक्रामक हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी सरकार की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं गया बल्कि केस को टालने की कोशिश हुई।
क्या है टीएमसी नेताओं की खीझ?: टीएमसी के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रे भी 14 अगस्त के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा था कि लाखों बंगाली परिवारों की तरह मेरी भी एक बेटी और एक पोती है। दबी जुबान में टीएमसी के कई नेता, ममता बनर्जी सरकार के रवैये से खुश नहीं है। यह मामला बेहद संवेदनशील है लेकिन असंवेदनशीलता बरती गई है।
सुखेंदु शेखर के सवालों ने बढ़ाई मुश्किलें: शुखेंदु शेखर ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर ने सवाल किया था कि यह पता लगाइए कि किसने आत्महत्या की कहानी फैलाई थी। यह कहानी क्यों बनाई गई थी। वारदात वाली जगह पर क्यों निर्माण कार्य नहीं रोका गया। खोजी कुत्तों को देरी से क्यों लाया गया। उन्होंने ये सवाल किए तो कोलकाता पुलिस खुद उन्हें पूछताछ के लिए तलब कर लिया। मुख्यमंत्री से खुश नहीं हैं उनके अपने। टीएमसी के पूर्व राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा है कि वे टीएमसी के वफादार सिपाही हैं लेकिन ममता बनर्जी को कुछ लोग गलत सलाह दे रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों और पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़ा किया था। टीएमसी के सीनियर नेता सोवनदेब चट्टोपध्याय ने कहा है कि ऐसी स्थिति पैदा की गई और सीएम तक जानकारी नहीं पहुंची। कुछ नेताओं का कहना है कि प्रशासन अगर इसे पहले दिन ही सीबीआई को सौंप देता तो शायद कम किरकिरी होती। प्रशासकों को डॉक्टरों को बचाने की कोशिश हुई है, जिससे मुख्यमंत्री की छवि खराब हुई है। ममता बनर्जी को क्या होगा नुकसान?: ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में लोग दीदी बुलाते हैं। वे महिलाओं की मुखर आवाज रही हैं लेकिन अब सिर्फ वे राजनेता मानी जा रही हैं। अगर ऐसा ही रहा तो महिला वोट बैंक को नुकसान पहुंच सकता है। एक स्थानीय नेता ने कहा है कि मुसलमानों के अलावा, ममता बनर्जी का मुख्य वोट बैंक उनके सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के कारण महिलाएं हैं।
गले की फांस बन गया है कोलकाता रेप केस: ममता बनर्जी सरकार, पहले ही कई मोर्चे पर बैकफुट पर है. करप्शन के गंभीर आरोप हैं. 2018 से 2023 के दौरान हुए पंचायत चुनाव भी सवालों के घेरे में है। केंद्रीय अधिकारियों के साथ वहां मारपीट हो जाती है, कोलकाता के राज्यपाल भी ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर हैं।ममता के समर्थक तोड़ेंगे उंगलियां:ममता बनर्जी के समर्थन में लोगों की उंगलियां तोड़ने का ऐलान कर चुके उदयन गुहा भी सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जो लोग सीएम ममता बनर्जी पर उंगली उठा रहे हैं, हम उनकी उंगलियां तोड़ देंगे।

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