इस वर्ष जन्माष्टमी पर वही दुर्लभ योग-संयोग जो 5251 वर्ष पहले बने थे श्री कृष्ण के जन्म के समय
अशोक झा
सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर वही दुर्लभ योग-संयोग बन रहे हैं जोकि 5251 वर्ष पहले श्री कृष्ण के जन्म के समय बने थे।कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में सोमवार के दिन मध्यरात्रि में हुआ था। इस बार भी यही योग बना है। इस योग में पूजा और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म इसी योग में हुआ था। जयंती योग में व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद भी मिलता है। इस बार वैष्णव और स्मार्त दोनों ही मतों से जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को ही मनाया जा रहा है।इस दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ सूर्य सिंह में , चंद्रमा वृषभ राशि में और जयंती योग बन रहा है। ऐसा दुर्लभ योग बनना काफी शुभ माना जा रहा है। इस योग में पूजा करने से कई गुना अधिक फल मिलेगा। माना जाता है कि जयंती योग में व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन इन दुर्लभ योगों के बनने से साथ-साथ शुक्रादित्य, शश राजयोग के साथ-साथ वृषभ राशि में गुरु और चंद्रमा की युति भी हो रही है, जिससे गजकेसरी (Gajkesari Yoga) नामक राजयोग का निर्माण हो रहा है। चंद्रमा के अपने उच्च अंश वृषभ राशि में होने से कई राशियों की किस्मत सातवें आसमान में हो सकती है। इसके साथ ही मंगल मिथुन में और बुध का कारक उदय होगा। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इन तीन राशियों को सबसे अधिक लाभ मिलने वाला है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी का दिन किन राशियों के ऊपर श्री कृष्ण की विशेष कृपा होगी…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा 25 अगस्त को रात 10 बजकर 29 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे जहां पहले से ही गुरु बृहस्पति विराजमान है। ऐसे में गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। ये योग जन्माष्टमी के दिन पूरे दिन रहने वाला है।श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर क्या है निशीथ पूजा का मुहूर्त?
निशिथ पूजा का समय- 12:01 am से 12:45 am के बीच रहेगा।कृष्ण जन्म के योग-संयोग: श्रीकृष्ण का जन्म 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को 8वें मुहूर्त में आधी रात को जयंती नामक योग और रोहिणी नक्षत्र में तब हुआ था जबकि चंद्र अपने उच्च अंश में वृषभ राशि में विराजमान था और उस दिन सोमवार था। उस समय 6 ग्रह उच्च के थे। चौथे भाव में सिंह राशि थी जिसमें सूर्य विराजमान थे। पांचवें भाव में कन्या राशि में बुध विराजमान थे। छठे भाव की तुला राशि में शनि और शुक्र ग्रह थे। नौवें अर्थात भाग्य स्थान पर मकर राशि थी जिसमें मंगल ग्रह उच्च के होकर विराजमान थे। 11वें भाव में मीन राशि के गुरु उच्च के होकर विराजमान थे।”उच्चास्था: शशिभौमचान्द्रिशनयो लग्नं वृषो लाभगो जीव: सिंहतुलालिषुक्रमवशात्पूषोशनोराहव:।’नैशीथ: समयोष्टमी बुधदिनं ब्रह्मर्क्षमत्र क्षणे श्रीकृष्णाभिधमम्बुजेक्षणमभूदावि: परं ब्रह्म तत्।।”- (ख्माणिक्य ज्योतिष ग्रंथ पंडित गंगासहाय)। वर्तमान में भी यही योग संयोग बने हैं:- इस बार 26 अगस्त 2024 सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन जयंती योग रहेगा। रोहिणी दोपहर 03:55 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 27 अगस्त को प्रात: दोपहर 03:38 पर समाप्त होगा। अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 26 अगस्त 2024 को तड़के 03:39 बजे प्रारंभ होगी जो अगले दिन यानी 27 अगस्त 2024 को 02:19 एएम बजे समाप्त होगी। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा आशीर्वाद अन्य ग्रह गोचर : इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा की गुरु के साथ युति बनने से गज-केसरी नामक शुभ योग भी बनेगा। मंगल का मिथुन में गोचर होगा और बुध का कर्क में उदय होगा। इस दिन शनि के अपनी राशि में केंद्र में होने के कारण शश राजयोग भी बन रहा है। सर्वार्थसिद्धि योग 26 अगस्त को दोपहर 03:55 से अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 05:57 तक रहेगा।उन्होंने बताया कि इस बार जन्माष्टमी पर्व से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुरातन वैभव व स्वरूप प्राप्ति के संकल्प के साथ किया जाएगा। बताया कि योगेश्वर श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भगवान का जन्मोत्सव शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तदनुसार दिनांक 26 अगस्त 2024 (सोमवार) को मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए सभी तैयारियॉं एवं व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। ऐसे में भगवान के श्रृंगार, पोषाक, मंदिर की साज-सज्जा एवं व्यवस्थाएं नयनाभिराम बनाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। बताया कि जनभावनाओं के अनुरुप इस बार जन्मोत्सव का संकल्प ‘ श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के पुरातन वैभव व स्वरूप प्राप्ति’ का होगा। पदाधिकारी ने कहा कि यह वह दौर है कि जब मथुरावासी एवं भगवान श्रीकृष्ण के दुनियाभर में फैले करोड़ों भक्तजनों के मन में एक ही कामना है कि जिस प्रकार अयोध्या में भगवान राम के भव्य एवं दिव्य मंदिर के संकल्प पूर्ण होकर उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई है। उसी प्रकार, मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर उनके मूल स्थान पर बनाकर वहां उनकी भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो।