गहराता जा रहा है आरजी कर की डॉक्टर के रेप-हत्या का रहस्य

अशोक झा, कोलकाता: आरजी कर की डॉक्टर की रेप-हत्या का रहस्य गहराता जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन पर साक्ष्य छिपाने के आरोप लगाये जा रहे हैं। ये आरोप मृत डॉक्टर के माता-पिता से लेकर आंदोलनरत डॉक्टरों ने लगाये हैं। अब साक्ष्य से छेड़छाड़ का एक नया मामला सामने आया है। पीड़िता का शव सेमिनार कक्ष में नीले गद्दे पर पड़ा था, लेकिन उसके शरीर पर किस रंग की चादर थी? चादर का रंग बार-बार बदला है। कम से कम पीड़िता के माता-पिता और जूनियर डॉक्टरों के बयान में डेड बॉडी को ढकी गई चादर के रंग में अंतर है। आरजी कर के जूनियर डॉक्टरों के मुताबिक, मृत डॉक्टर का शरीर नीले गद्दे पर नीली चादर से ढका हुआ था। यहां तक कि सेमिनार रूम यानी घटनास्थल की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर सामने आई। एक नीली चादर है। लेकिन जब माता-पिता ने अपनी बेटी का शव देखा तो चादर का रंग बदल चुका था। पीड़िता के माता-पिता द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक चादर का रंग हरा था। अस्पताल से फोन आने के बाद 12.10 मिनट में माता-पिता पहुंच गएथे लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को दोपहर 3:30 बजे देखा। सवाल यह है कि क्या किसी ने बीच में चादर बदल दी ? डेड बॉडी पर से बदल दी गई चादर: डेड बॉडी पर से बदली दी गई चादर। पीड़िता के पिता कहते हैं, ”मेरी बेटी तब बिस्तर पर लेटी हुई थी। पैर फैले हुए थे। लेकिन हरी चादर बिछी हुई थी, लेकिन मुझे आपकी तस्वीर में एक नीली चादर दिख रही है। (फोटो जूनियर डॉक्टरों ने सामने लाई थी)। जब हमने हरी चादर देखी। न केवल चादर का रंग, बल्कि शरीर की स्थिति भी दोनों मामलों में भिन्न है। पीड़िता के पिता ने कहा, ”पैर फैले हुए थे। दोनों पैर गद्दे पर थे. लेकिन आपकी तस्वीर में मैं देख रहा हूं कि एक पैर गद्दे के बाहर है। किसी ने मेरी बेटी का शव हटा दिया होगा।डेड बॉडी की स्थिति भी बदली गई: पीड़िता के पिता ने यह भी कहा, ”इंदिरा मुखर्जी (IPS इन्दिरा मुखर्जी) को कुछ पता नही है. वह वहां नहीं थी था ही नहीं, तो उन्हें कैसे इसकी जानकारी मिली। बिलकुल झूठ बोल रही है.कोई घेरा नहीं था। मैं साढ़े तीन बजे की बात कर रहा हूं। इंदिरा मुखर्जी ने जो कहा है वह झूठ है। इस संबंध में डीसी सेंट्रल इंदिरा मुखोपाध्याय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घटना स्थल का वर्णन कर कई सिद्धांत स्थापित किये थे। पुलिस अधिकारी ने सेमिनार रूम इलाके में बाहरी लोगों की भीड़ की तस्वीरें भी दिखाई थी। उनके बयान को लेकर पीड़िता की मां ने कहा, ”इंदिरा मुखोपाध्याय ने कहा कि सुबह 10:30 बजे वीडियो में जो लोग दिख रहे थे, वे घर के लोग थे। हम अभी तक नहीं पहुंचे हैं। हम 12.10 बजे पहुंचे। मैं पुलिस से काफी फरियाद की कि लड़की को देखने दो। मैंने कहा, मैं हाथ नहीं लगाऊंगी, मैं कुछ नहीं करूंगी। मेरी बेटी का चेहरा नहीं देखने दिया गया।पीड़िता के पिता ने कहा, फिर उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया और अंदर कुछ और कर रहे थे, सबूत नष्ट कर रहे थे।चादर के रंग कैसे बदले गये? क्या पुलिस और कॉलेज अधिकारी शुरू से ही पर्दा डालने की कोशिश कर रहे थे? चादर का रंग कैसे बदल गया? उठे सवाल: चादर का रंग नीले से हरा कैसे हो गया? डेटा साक्ष्य गायब? पूर्व सीबीआई चीफ उपेन बिस्वास ने कहा, ‘अगर इस जांच में एक भी बाल, सुई, अदृश्य चीज बदलती है तो यह माना जा सकता है कि सबूत छिपाने की कोशिश की गई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ”मेरे लिए जांच करना मुश्किल है।उन्होंने कहा कि अपराध स्थल को पूरी तरह से बदल दिया गया है. नीली चादर हरी हो गई है यानी बदलाव आ गया है. यह बहुत बड़ा अपराध है। जब किसी घर में कोई अपराध होता है तो घर की घेराबंदी करने के लिए एक कांस्टेबल को भी भेजा जा सकता है। कोलकाता पुलिस की एक महिला अधिकारी ने कहा, 11 फीट बिना घेरे के था, 11 फीट में बाहरी लोग कैसे घुस सकते हैं? शरीर की स्थिति भी बदल दी गई है। फोरेंसिक विशेषज्ञ अजय गुप्ता ने कहा, कुछ भी बदलने का मतलब है कि सबूत खो गए हैं। अपराध स्थल में बदलाव एक गंभीर अपराध है। शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं। प्रवेश करने वालों की पहचान होनी चाहिए। यह कैसे हुआ? प्रदर्शन कर रही डॉक्टर सुवर्णा गोस्वामी ने कहा कि आखिर किसको छिपाने के लिए किसके फायदे के लिए सबूत मिटाए जा रहे हैं? इसमें कौन शामिल है?

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