आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के दुष्कर्म व हत्या का विरोध कर रहे लोगों की माथाभांगा में पिटाई
अशोक झा, सिलीगुड़ी: कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना के खिलाफ 14 अगस्त की तरह राजधानी कोलकाता सहित बंगाल के सभी जिलों में बुधवार रात को महिलाएं-लड़कियां और आम लोग फिर सड़कों पर उतरे और न्याय की मांग की।इस विरोध प्रदर्शन में सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। इस कार्यक्रम का नाम- ‘फिर रात पर कब्जा’ दिया गया था। इस दौरान उत्तर बंगाल के कूच बिहार के माथाभांगा में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की सड़क पर जमकर पिटाई की। सड़क पर विरोध प्रदर्शन में बनाई गई तस्वीरों को मिटा दिया गया। इसके साथ आंदोलनकारी जूनियर चिकित्सकों के आह्वान पर बुधवार रात में नौ से 10 बजे तक एक घंटे के लिए कोलकाता व जिलों में लोगों ने आरजी कर घटना के विरोध में घरों में लाइटें (बिजली) बंद करके भी विरोध जताया। इसके चलते कोलकाता व विभिन्न शहरों का अधिकतर इलाका अंधेरे में डूबा नजर आया। लोगों ने लाइटें बंद कर मोमबत्तियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।आरजी कर घटना को लेकर नारेबाजी: कोलकाता के ऐतिहासिक विक्टोरिया मेमोरियल की लाइटें भी इस दौरान बंद कर दी गईं। राज्यपाल सीवी आंनद बोस ने राजभवन की लाइटें भी बंद कर विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया। विक्टोरिया के सामने बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होकर मोमबत्तियां जलाई और आरजी कर घटना को लेकर नारेबाजी की।शाम से ही देर रात तक कोलकाता व जिलों में बड़ी संख्या में मोमबत्ती व मशाल रैलियां भी निकाली गईं। विभिन्न चौराहों और सडकों पर एकत्रित होकर लोग हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते देखे गए, जिसपर जस्टिस फार आरजी कर, जस्टिस फार अभया जैसे नारे लिखे थे। लोगों में भारी रोष देखा गया।बता दें कि इससे पहले 14 अगस्त की आधी रात को कोलकाता सहित देश के विभिन्न शहरों में महिलाएं सड़क पर उतरीं थीं और आरजी कर घटना को लेकर न्याय की मांग की थी। कोलकाता के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा रिमझिम सिन्हा के इंटरनेट मीडिया पर आह्वान पर उस दिन देशभर में लोग सड़कों पर उतरे थे। आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ दरिंदगी की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब विदेशी धरती पर भी देखने को मिलेगा। आठ सितंबर को अमेरिका, ब्रिटेन समेत नौ देशों में लोग सड़कों पर उतरकर मानव श्रृंखला बनाकर मृतका चिकित्सक के लिए न्याय की मांग करेंगे। इसमें विशेषकर विदेश में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार, अमेरिका में 34 जगहों पर लोग जुटेंगे। इनमें बोस्टन, शिकागो, न्यूयार्क सिटी, अटलांटा जैसे शहर शामिल हैं। ब्रिटेन में 14 जगहों पर लोग जुटेंगे। इनके अलावा कुछ अन्य देशों आयरलैंड, कनाडा, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, जापान, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सड़कों पर भी आम लोग उतरेंगे। विरोध कार्यक्रम स्थानीय समयानुसार शाम पांच बजे आयोजित होगा।
सीआईएसएफ की सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र
बंगाल में मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के कहने पर सीआईएसएफ लगाया गया है। लेकिन बंगाल सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है। हर कंपनी में 92 सुरक्षाकर्मी हैं. विभिन्न रैंक के 184 सुरक्षाकर्मियों में 54 महिलाएं भी हैं। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्र की बेंच ने 20 अगस्त को आदेश दिया था कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और छात्रावासों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ तैनात की जाएं।।कर्मियों के पास नही हैं उचित सुविधाएं: कोर्ट के आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने तैनाती तो कर दी लेकिन इनके परिवहन और कार्य सक्षमता के लिए अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए कोलकाता पुलिस आयुक्त से 6 बसें, 3 माउंटेड आर्म्ड व्हीकल MAV और 4 ट्रकों के अलावा महिला सुरक्षाकर्मियों के लिए अलग आवास उपलब्ध कराने की गुजारिश की गई है। ।इसके अलावा कोलकाता पुलिस से तलाशी के लिए हैण्ड मेटल डिटेक्टर और मेटल डिटेक्टर गेट फ्रेम और संचार उपकरण मुहैया कराने को भी कहा गया है। कर्मियों के पास उचित आवास और बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। अगर उनके अनुरोध और जरूरतों को पूरा नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। ममता सरकार पर बड़ा आरोप: केंद्र का आरोप है कि महिला सुरक्षाकर्मियों को उचित आवास नहीं मिल पा रहा है, सुरक्षा उपकरण रखने के लिए सही जगह नहीं मिल पा रही है. केंद्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीआईएसएफ को सुविधाएं न देना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है। ममता सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि वर्तमान जैसी तनावपूर्ण स्थिति में राज्य सरकार से इस तरह का असहयोग अपेक्षित नहीं है. डॉक्टरों और विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पश्चिम बंगाल राज्य के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार के मुताबिक, ‘बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य की निष्क्रियता एक प्रणालीगत अस्वस्थता का लक्षण है, जिसमें कोर्ट के आदेशों के तहत काम करने वाली केंद्रीय एजेंसियों के साथ इस तरह का असहयोग करना सामान्य बात नहीं है। यह माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन है।
जानबूझकर बाधा पैदा कर रही है ममता सरकार- केंद्र
सरकार ने कहा है कि माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन करना राज्य सरकार का यह कदम न केवल अवमाननापूर्ण है, बल्कि यह उन सभी संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के भी खिलाफ है, जिनका राज्य को पालन करना चाहिए. केंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर बाधाएं उत्पन्न कर रही है। केंद्र का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर समस्या का समाधान खोजने की दिशा में प्रयास नहीं कर रही है और इसके बजाय, अपने ही निवासियों के साथ अन्याय कर रही है।