संदीप घोष को सुप्रीम कोर्ट से झटका, ईडी ने शुरू की कई ठिकानों पर छापामारी

अशोक झा, सिलीगुड़ी: कोलकाता प्रशिक्षु डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या मामले का दोषी आरजी कर मेडिकल कॉलेज का पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर सीबीआई के बाद ईडी ने शिकंजा कस दिया है। इससे पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।वही दूसरी ओर संदीप घोष की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट से धक्का लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज को कोलकाता और हावड़ा में आधा दर्जन स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष का आवास भी शामिल है। यह छापेमारी वहां कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित धन शोधन जांच के सिलसिले में की गई।एजेंसी ने अस्पताल चलाने के दौरान घोष और उनके सहयोगियों के वित्तीय लेन-देन का पता लगाने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई शुरू की है।एक अधिकारी ने बताया, “पीएमएलए के तहत घोष के आवास सहित कोलकाता और हावड़ा में 6-7 स्थानों पर छापेमारी चल रही है।”हावड़ा के संकरैल में दो ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। इनमें से एक घर आरजी कर अस्पताल के विक्रेता बिप्लब सिंहा का है, जबकि दूसरा कौशिक कोले का है, जो सिंहा का करीबी सहयोगी माना जाता है।

लगभग उसी समय, ईडी की एक और टीम दक्षिण 24 परगना के सुभाषग्राम में प्रसून चटर्जी के आवास पर छापेमारी करने पहुंची, जिसे घोष का करीबी माना जाता है। चटर्जी एक सरकारी अस्पताल में डेटा एंट्री का काम करते हैं। घोष और सिंघा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2021 से घोष के कार्यकाल के दौरान आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच के सिलसिले में सोमवार को गिरफ्तार किया था।संघीय वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने पिछले सप्ताह सीबीआई की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर जांच शुरू की थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर दर्ज अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने घोष और कोलकाता स्थित तीन निजी संस्थाओं – मध्य झोरेहाट, बानीपुर, हावड़ा के मा तारा ट्रेडर्स; 4/1, बेलगछिया और खामा लौहा के ईशान कैफे पर 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (लोक सेवक को रिश्वत देने से संबंधित अपराध) के तहत मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने इस सप्ताह के शुरू में घोष को गिरफ्तार कर लिया है और अनियमितताओं के संबंध में उनसे पूछताछ कर रही है। उम्मीद है कि ईडी भी जल्द ही उसे हिरासत में ले लेगी। घोष को 9 अगस्त को अस्पताल में एक जूनियर चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले पर उठे हंगामे के बाद उनके पद से हटा दिया गया था।पिछले रविवार को सीबीआई ने अपनी जांच के सिलसिले में घोष, पूर्व चिकित्सा अधीक्षक संजय वशिष्ठ और 13 अन्य लोगों से जुड़े कोलकाता और उसके आसपास के परिसरों पर छापे भी मारे थे।घोष का बलात्कार और हत्या मामले में पॉलीग्राफ परीक्षण भी किया गया है, जिसके संबंध में सीबीआई ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। इसपर आज कहा गया की दरअसल कलकत्ता उच्च न्यायालय ने घोष की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली एक अन्य याचिका में खुद को पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने 23 अगस्त को कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि एक आरोपी के तौर पर घोष इस याचिका में पक्षकार बनाए जाने के पात्र नहीं हैं। पीठ ने कहा, ” एक आरोपी के रूप में आपको जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां कलकत्ता उच्च न्यायालय जांच की निगरानी कर रहा है।”सरकारी आरजी कर अस्पताल में पिछले माह एक जूनियर डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना से पूरा देश स्तब्ध रह गया था और दोषियों को जल्द पकड़ने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन हुए। बंगाल में यह प्रदर्शन जारी हैं उच्च न्यायालय का 23 अगस्त का आदेश अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर आया था, जिन्होंने घोष के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने का अनुरोध किया था।उच्च न्यायालय ने याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने के घोष के अनुरोध को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह इस मामले में ”उचित पक्षकार” नहीं हैं।

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