नाबालिक छात्रा से दुराचार के बाद हत्या मामले में दोषी अब्बास को सजाए मौत की सजा


अशोक झा, सिलीगुड़ी: कोलकोता आर्जीकर दुष्कर्म और हत्या मामले के गतिरोध के बीच सिलीगुड़ी एडीजे फास्ट कोर्ट में आज माटीगारा पीएस केस नंबर 683/2023, दिनांक 21.08.2023 में आरोपी व्यक्ति मोहम्मद अब्बास (22), लेनिन कॉलोनी मस्जिद के पास लेफिन कॉलोनी निवासी पीएस माटीगाड़ा, जिला-दार्जिलिंग को सिलीगुड़ी एडीजे फास्ट कोर्ट की न्यायाधीश अनिता मल्होत्रा ने नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में सजाए मौत की सजा सुनाई। माटीगाड़ा में स्कूली छात्रा से दुष्कर्म व हत्या के मामले में सिलीगुड़ी कोर्ट ने दोषी को मौत की सजा सुनाई है. इस दिन सिलीगुड़ी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट (POCSO) की जज अनिता मेहतरा माथुर ने अपराधी को मौत की सजा सुनाई। आज सिलीगुड़ी कोर्ट परिसर में काफी संख्या में आम लोग जुटे। मौत की सजा का ऐलान होने के बाद कोर्ट परिसर में लोग खुशी से झूम उठे। नाबालिग की मां फूट-फूट कर रोने लगी। सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने कहा, “मेरी बेटी को न्याय मिला। 21 अगस्त 2023 को माटीगारा (माटीगारा) में मोहम्मद अब्बास नाम के व्यक्ति ने 11वीं कक्षा की एक छात्रा का अपहरण कर जंगल में एक खाली पड़े मकान में उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के दौरान क्रूर शारीरिक यातना के कारण नाबालिग की मौत हो गई। इसके बाद पीड़ित की पहचान छुपाने के लिए उसके चेहरे को ईंट से कुचल दिया गया। घटना से हर तरफ हड़कंप मच गया। तमाम सबूतों की जांच के बाद कोर्ट ने मोहम्मद अब्बास को दोषी पाया. शनिवार को कोर्ट ने अब्बास को मौत की सजा सुनाई।सरकारी वकील विभाष चटर्जी ने बताया की यह फैसला बंगाल ही नहीं देश के लिए नजीर होगा। यह मामला इतना ही गंभीर था की दुष्कर्म के दौरान ही नाबालिग छात्रा की मौत हो गई थी। इस मामले में फैसला के इंतजार में बड़ी संख्या में लोग कोर्ट परिसर में उपस्थित है। लगातार दोषी को मौत की सजा की मांग कर रहे थे। इस घटना में कई नाटकीय मोड़ आए। पुलिस के दर्ज मामले में सिर्फ 302 की धारा में मामला दर्ज किया गया। सांसद राजू विष्ट की पहल पर अधिवक्ता अखिल विश्वास में राज्यपाल को पीड़िता के आवास पर मांगपत्र देकर इसमें धारा 376 IPC और POCSO एक्ट दर्ज करने की वकालत की थी। यह भी आरोप लगाया था की पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश क्यों करती है क्योंकि कबूलनामे के दौरान आरोपी सिर्फ अपना अपराध यानी 302 आईपीसी ही कबूल करता है? अन्य धारा नहीं, और मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की निगरानी के लिए वकील को निगरानी याचिका दायर करनी चाहिये। उसके बाद इसमें और धाराओं को जोड़ा गया। विश्व हिंदू परिषद में टीएमसी के विरोध के बाद भी बंद को सफल किया। इसको लेकर सिलीगुड़ी एयरव्यू के निकट पुलिस के साथ झड़प भी हुई। इसको लेकर भी वीएचपी ने राज्यपाल को मांगपत्र सौप दोषी को कड़ी सजा दिलाने की मांग की थी। इस घटना के बाद परिवार वालों के साथ विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के लगातार आंदोलन किया।
क्या था पूरा मामला : दार्जिलिंग के भक्त बहादुर प्रधान ने माटीगाड़ा पीएस में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई कि उनकी 16 साल की बेटी दीया प्रधान 9.30 बजे गैस गोदाम के पास स्कूल (नेपाली कल्याण हाई स्कूल) के लिए निकली थी। हमेशा की तरह। लगभग 17:35 बजे उन्हें पता चला कि उनकी बेटी का शव मोटाजोत रवीन्द्र नगर के पास एक सुनसान जगह पर मिला है। उन्हें यह भी पता चला कि उनकी बेटी की हत्या कर दी गयी है. इस शिकायत के आधार पर, संदर्भाधीन मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच के लिए मुझे सौंपा गया। जांच के दौरान, पीओ का दौरा किया गया और पीओ में अन्य वस्तुओं के साथ एक डिजिटल राशन कार्ड पाया गया, इसके बाद, उस व्यक्ति की पहचान करने के लिए स्रोत को लगाया गया, जिसका डिजिटल राशन कार्ड था। सीसीटीवी फुटेज का भी बारीकी से विश्लेषण किया गया. स्रोत की जानकारी के अनुसार, डिजिटल राशन कार्ड में व्यक्ति की पहचान तय की गई। अन्य विश्वसनीय जानकारी भी एकत्र की गई और एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर, उपरोक्त उल्लेखित आरोपी व्यक्ति अर्थात् मोहम्मद अब्बास (एम/22), एस/ओ-लेफ्टिनेंट। लेनिन कॉलोनी मस्जिद के पास लेनिन कॉलोनी, पीएस माटीगाड़ा, जिला दार्जिलिंग के मोहम्मद व्हाडु को सभी औपचारिकताओं का पालन करते हुए गिरफ्तार किया गया।आरोपी से गहन पूछताछ की गई और आखिरकार उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
शुरू हुआ था आंदोलन: इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद बजरंगदल ने आंदोलन किया। 12 घंटे का सिलीगुड़ी बंद का आह्वान किया। इसका विरोध टीएमसी की ओर से किया गया लेकिन बंद पूरी तरह सफल रहा। लोग दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग करते नजर आए थे। इस घटना के विरोध में गोरखा समाज से जुड़ी संगठन और कई महिला संगठन ने भी लगातार आंदोलन किया और राज्यपाल से इस घटना के दोषी को कड़ी सजा दिलाने की मांग की। सांसद राजू बिष्ट पीड़िता के परिवार के साथ पहले दिन से पास खड़े थे और अंत समय तक साथ ही है। आरोपी चुकी मुस्लिम समाज का था लेकिन इसे सांप्रदायिक रंग ना दिया जाय इसके लिए क्षेत्र के मुसलमानों में पीड़िता के पक्ष में रैली निकाल यह बताया की वह इस परकार के जुल्म के खिलाफ है।

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