जीएसटी लूट सिंडीकेट: केंद्रीय मंत्री के खुलासे पर मिट्टी डालने में लगे जीएसटी अधिकारी

सेल टैक्स ऑफिस में चाय पिलाने और ठप्पा लगाने वाला कैसे बनाया अरबों की संपति

अशोक झा, सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के रास्ते संगठित रूप से फर्जी फार्म के सहारे कोयला, सुपारी, गुटका, स्करैप, लकड़ी, बड़ी इलाइची के माध्यम से करोड़ों के जीएसटी चोरी की खबर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने मुहर लगाया है। इस पूरे गिरोह से जुड़े सरगना धीराज घोष, विनय बर्मन, नीरज राय
और इससे जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों नेताओ की चल अचल संपत्ति की जांच ईडी और सीबीआई से कराने की बात की है। दार्जिलिंग के सांसद राजू विष्ट और अलीपुरद्वार के सांसद मनोज तिग्गा ने भी इस गिरोह के जड़ तक जाकर कारवाई की हुंकार भर चुके है। जीएसटी लूट कांड के सरगना धीराज घोष के संबंध में जॉच में पता चला है की वह पहले बागडोगरा गोसाईपुर सेलटेक्स चेकपोस्ट पर अधिकारियों को चाय पिलाने और आने जाने वाले ट्रकों के कागजात पर मुहर लगाने का काम करता था। विनय बर्मन बाद में घोष का कर्मचारी बना। वह घोष के लिए मात्र 8 से 10 हजार के महीने पर काम करता था। आज दोनों लाखों नहीं बल्कि करोड़ों में खेल रहे है। इस पूरे खुलासा के बाद सिंडीकेट से जुड़े अधिकारियों और नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। ईमानदार और कर्मठ अधिकारी चोरी से जुड़े फर्जी कंपनियों और बिना जीएसटी के आ रहे ट्रकों को पकड़ने की प्लानिंग करने में लगे थे। अचानक इसी बीच कोलकोता के सेन्ट्रल जीएसटी चीफ कमिश्नर श्रवण कुमार का एक ऐसा आदेश आया जिससे यह स्पष्ट हो गया की केंद्रीय मंत्रियों के निर्णायक इरादे पर केंद्रीय जीएसटी टीम और कस्टम विभाग पानी फेरना चाहते है। पहले उन्होंने सिलीगुड़ी में पांच सुपारी के ट्रक को पकड़ने वाले सब इंस्पेक्टर को आनन फानन में ट्रांसफर कर दिया। उसके बाद सिलीगुड़ी जीएसटी कमिश्नर
जीतेश नागोरी को आदेश संख्या जीसीसीओ/सीआईयू/एमआईएससी/367/2024-एसवाईएस-ओ/ओ पीआर सीसी-सीजीएसटी-जोन-कोलकाता ने अपने आदेश में कहा है की
किसी भी आयुक्तालय द्वारा अलग-अलग और अंधाधुंध सड़क जांच नहीं की जानी चाहिए। सभी आयुक्तालयों द्वारा समन्वित सामयिक सड़क जांच इस कार्यालय के परामर्श से पहले से तय की गई तिथि और समय पर की जा सकती है। इसका स्पष्ट मतलब हुआ उत्तर बंगाल के रास्ते करोड़ों की टेक्स चोरी होती रहे आप हाथ पर हाथ धरे ऑफिस में बैठे रहे। ऐसा है तो फिर
केंद्र सरकार के द्वारा फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी चोरी को पकड़ने के अभियान का क्या?। इसके पहले भी कस्टम अधिकारियों के तबादले में बड़े पैमाने पर मनमानी का मामला सामने आया था। जिसकी शिकायत पीएमओ और वित्त मंत्री से की गई थी।
आखिर क्या है इसके पीछे का कारण : जानकार बताते है की इस आदेश के पीछे सोची समझी चाल है। जीएसटी लूट करने वाले गिरोह असम, उत्तर बंगाल से देश के कोने कोने में पान मसाला, सुपारी, कोयला आदि फर्जी बिल से पहुंचाता है। इसके लिए प्रति ट्रक 3 लाख 40 हजार की वसूली की जाती है। इस सिंडीकेट के माध्यम से जाने वाले ट्रकों का नंबर जीएसटी और कस्टम के उच्चाधिकारियों तक पहुंच जाता है। उसके बाद इन ट्रकों को कोई नहीं पकड़ता है। इसके लिए मुख्यालय को मोटी रकम मासिक पहुंचती है। इसकी जांच होने पर खुलासा हो जाएगा।

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