कल सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, असर के बाबजूद लोगों में उत्साह
अशोक झा, सिलीगुड़ी: महालया अमावस्या, जिसे सर्वपितृ अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर में अपने पूर्वजों को सम्मान देने और उन्हें याद करने के लिए इस दिन को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। साथ ही, संयोग से 2 अक्टूबर, बुधवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा परंतु यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा। इसलिए, इस ग्रहण का असर अमावस्या पर भी नहीं पड़ेगा।सर्व पितृ अमावस्या की अवधि: इस साल सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को पड़ रही है, इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। सर्व पितृ अमावस्या का मुहूर्त 1 अक्टूबर को रात 9 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगा और तिथि का समापन 3 अक्टूबर की रात 12 बजकर 18 मिनट पर होगा. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जिसका मुहूर्त 2 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 23 से लेकर 3 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक होगा। सूर्य ग्रहण की अवधि: यह ग्रहण रात 9 बजकर 13 मिनट पर लगेगा और इसका समापन समापन 3 अक्टूबर की मध्यरात्रि को 3 बजकर 17 मिनट पर होगा। यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लगने जा रहा है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। लेकिन इस सूर्य ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ेगा।सर्व पितृ अमावस्या पर करें ये खास काम: अमावस्या के दिन पितृदोष और गृहदोष दूर करने के कार्य किए जाते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा इसलिए दान पुण्य किया जा सकता है। इस दिन घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए हनुमानजी का पूजन कर सकते हैं। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती में स्नान करने का विधान है।सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का ये रहेगा असर
इस बार सूर्य ग्रहण कन्या राशि में लगने जा रहा है। ग्रहण के समय सूर्य पर राहु की पूर्ण दृष्टि रहेगी। साथ ही शनि के साथ सूर्य का षडाष्टक योग भी बनेगा और केतु भी सूर्य में मौजूद रहेंगे। साथ ही, इस ग्रहण में सूर्य, चन्द्रमा, बुध और केतु का संयोग बनेगा। राहु और केतु का अक्ष मीन और कन्या राशि में प्रभावशाली हो जाएगा। इसमें सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव बन गया है. यह स्थिति दुनिया भर में राजनैतिक रूप से भयंकर उथल पुथल मचा सकता है। शेयर बाजार और दुनिया भर की आर्थिक स्थिति हिल सकती है।कन्या और मीन राशि का प्रभाव विश्व भर में युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत दे रहा है। कहां कहां दिखेगा ये सूर्य ग्रहण: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। लेकिन, यह अर्जेंटीना, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका, दक्षिण अमेरिका, पेरू और फिजी, आदि जगहों में दिखाई देगा। शास्त्रों के अनुसार कुथुपा, रोहिणी और अभिजित काल में श्राद्ध करना चाहिए. प्रातः काल में देव पूजा और दोपहर में पितरों की पूजा, इसे ‘कुतुप काल’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि मृत पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो इस दिन श्राद्ध किया जा सकता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। यदि कोई किसी कारणवश श्राद्ध तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाता है या श्राद्ध की तिथि ज्ञात नहीं है तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर होंगे। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, पिंडदान किया जाएगा। ऋषियों, देवताओं और पितरों की पूजा करने के बाद पंचबली अनुष्ठान किया जाता है और 16 ब्राह्मणों को उनकी क्षमता के अनुसार भोजन या दान दिया जाता है। यदि कोई उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र या परिवार का कोई भी सदस्य श्राद्ध कर सकता है।
पिंडदान: श्राद्ध पक्ष के दिनों में और विशेषकर अंतिम तिथि यानी अमावस्या के दिन घर में कोई वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़ा आदि मन को ठेस पहुंचाने वाले कार्य नहीं करने चाहिए. शराब, मांस, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, उड़द की दाल, सरसों, चना आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।