बेटी मांगने वाला एकमात्र पर्व, जिसमें नहीं होता कोई पंडित

व्रत करने वाली पत्नी को भी पति करते है प्रणाम

अशोक झा, सिलीगुड़ी: लोकास्था का महापर्व छठ। जिसमें बेटी मांगने के लिए गीत गाया जाता है। इस पर्व में ना कोई पंडित होता है और ना ही पुरुष महिला में भेदभाव। इस व्रत को करने वाली पत्नी को पति भी प्रमाण करते हुए आशीष मांगते है। इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी. छठ पूजा संपन्न करने के लिए शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा. इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा। छठ महापर्व पर महिलाएं 36 घंटे निर्जला रहकर छठी मैया संतान प्राप्ति, बेटी की कामना करती हैं. इस दौरान उनकी उपासना के लिए कई लोकप्रिय गीत गाती हैं, जिनमें से ये वाला गीत बहुत चर्चित है. रुनकी-झुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मइया…। पांच पुतुर, अन्न-धन-लक्ष्मी, धियवा मंगबो जरूर…’। छोटी मुटी मालिन बिटिया के भुइयां लोटे हो केस, फुलवा ले अइह हो बिटिया अरघिया के बेर…।
नहाय खाय के साथ आज से चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। घर ही नहीं, आस पड़ोस, बस-टेंपो सब जगह छठ के गीत बजने लगे हैं।‘रुनकी-झुनकी बेटी मांगिला, पढ़ल पंडितवा दामाद…हो छठी मईया, तोहर महिमा अपरमपार’। सिलीगुड़ी की रहने वाली श्वेता बताती हैं कि यह बेटियों के सशक्तिकरण का पर्व है। भारत में जहां बेटों के जन्म पर सोहर गाया जाता है, जहां पितृसत्तात्मक समाज है वहां एकमात्र यह पर्व है जिसमें व्रती छठी मईया से बेटी मांगती हैं। गृहिणी रिंकू देवी बताती हैं कि छठ के एक गीत में व्रती कहती है कि हे छठी मईया मुझे बेटी देना ताकि वह मेरी सेवा कर सके। जहां समाज बेटों से अपेक्षा करता है कि वो माता-पिता की सेवा करें वहीं छठ पर्व में बेटी से सेवा कराने की बात होती है। यह अपने आप में बहुत प्रोग्रेसिव सोच है।कहती हैं कि जिन परिवारों में बेटियां जन्म नहीं ले रहीं, वहां लोग बेटी की चाहत के साथ मन्नत मांगते हैं। छठी मईया से मांगते हैं कि बेटी होगी तो छठ करेंगे। अब तो बेटियों की नौकरी के लिए माएं छठ करती हैं। बेटी की नौकरी हो जाए तो इतने साल छठ करेंगे या उसके लिए सूप चढ़ाएंगे। बेटी ही नहीं, व्रती छठी मईया से पढ़े-लिखे बुद्धिमान दामाद भी मांगती हैं।बेटियों के नाम पर दउरा में रखते सूप: छठ महापर्व में बेटियों की खुशियां, उनकी सलामती और दिन-दूनी रात चौगनी तरक्की की प्रार्थना होती है। इसलिए बेटियों के नाम पर सूप रखे जाते हैं। दउरा में बांस के बने कई सूप रखे जाते हैं। कोई एक सूप, दो सूप, पांच सूप तो कोई 7 या 9 सूप से अर्घ्य देता है। इन सूप में एक सूप लड़कियों के लिए भी होता है। इसे ‘सुपती’ कहा जाता है। लड़कियों के लिए जब छठी मईया से मन्नत मांगी जाती तो दउरे में सुपती रखा जाता। सुपती देखकर पहचान सकते हैं कि यह बेटी के लिए है।बेटियों के लिए सूप रखा जाता है। घर में बेटी के जन्म होने पर पांच या सात सालों तक छठ पर्व मनाते हैं।
कांपी-कांपी बोलथिन छठी मईया सुन हो सेवक लोग,
हो मोरे घाट दुभिया जन्म गइल मकड़ा बसेरा लेलेकर जोड़ बोलथिन।सुनी है छठी मईया। छठ के गीत गुनगुनाती परवैतिन। छठ पर्व करने वाली महिला को व्रती या परवैतिन कहते हैं।
90% से अधिक महिलाएं छठ करती हैं: छठ पर्व का व्रत स्त्री-पुरुष सभी करते हैं। लोक परंपरा में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक होती है। बिहार के वैशाली की ज्योति चौधरी कहती हैं कि छठ घाट पर व्रत करने वाली 90 से 95% महिलाएं ही मिलती हैं। तालाब या नदी में उतरने वाले व्रतियों में पुरुष की गिनती कम देखने को मिलती है।।छठ करनेवाले पुरुष को भी व्रती ही कहते हैं। नेहा कहती हैं कि महिलाएं अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों को रोग-कष्ट से बचाने के लिए छठ करती हैं। वो छठ मइया से आह्वान करती हैं कि उनके परिवार पर किसी तरह की विपत्ति न आए। यह आह्वान उनके कठिन संकल्पों से पूरा होता है।यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित चार दिवसीय उत्सव है. इस पर्व में महिलाएं संतान के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. इस पर्व में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी को छठी मइया को अर्घ्य दिया जाता है। 4 दिन के इस पर्व में नहाय खाय की परंपरा के साथ इस पर्व का आरंभ होता है और चौथे दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही इस व्रत का समापन हो जाता है। छठ पूजा का पावन पर्व बस आने ही वाला है, और इस त्योहार में बहुत सारी पूजन सामग्री की जरूरत पड़ती है।आपसे कोई पूजन सामग्री गलती से छूट न जाएं इसलिए आइए जानते हैं छठ पूजा के दौरान कौन कौन सी जरूरी पूजन सामग्रियों की जरूरत पड़ती है।छठ पूजा 2024 तिथि : लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर से होगी. भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस बार यह पूजा 5 नवंबर से शुरू होगी, जो 8 नवंबर की सुबह अर्घ्य देने के साथ पूरी होगी।पंचांग के अनुसार,
–आस्था का महापर्व छठ कब होगा शुरू, किस तारीख को है नहाय खाय और खरना?
छठ पर्व के पूजा के दिन:छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय।छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना। छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य।छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण।छठ पूजा में काम आने वाली जरूरी सामग्रियांनए वस्त्र: छठ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए नई साड़ी पहनने की परंपरा है, घर के पुरुषों को भी नए वस्त्र पहनने चाहिए।सूप और टोकरियां: छठ पूजा में एक बांस का बना हुआ सूप और बांस की दो टोकरियां की जरूरत पड़ती है. इनमें छठ पूजा का प्रसाद रखा जाता है।नए बर्तन: पूजा की सामग्री में एक ग्लास, एक लोटा और एक थाली भी होनी चाहिए।गन्ने: छठ पूजा के दौरान गन्ने की भी विशेष जरूरत पड़ती है. इसलिए छठ पूजा के लिए 5 गन्ने का इंतजाम भी कर के रखें. ध्यान रखें ऐसे गन्ने पूजा के लिए इस्तेमाल न करें जिनके पत्ते टूटे हुए हों।फल और सब्जियां: छठ पूजा में फलों की भी विशेष रूप से जरूरत पड़ती है. फल में आम, अनानास, सेब, संतरा, केला, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि. सब्जियां में सिंघाड़ा, शकरकंद, आलू, गाजर आदि चीजें पूजा में शामिल होती है। अन्न और मिठाई: गेहूं और चावल का आटा भी छठ पूजा में रखा जाता है. शहद, गुड़ और मिठाई की भी छठ पूजा में जरूरत पड़ती है।पूजा सामग्री: दूध और जल, धूप और अगरबत्ती, दीपक और सरसों का तेल, गन्ना (पत्तियों के साथ) पान के पत्ते, सुपारी सिंदूर और कुमकुम
हल्दी की गांठ, लौंग और इलायची। अन्य सामग्री: इसके अलावा पूजन सामग्री में ठेकुआ, हल्दी, मूली, अदरक, शरीफा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, चावल, पान और सुपारी भी रखने चाहिए।

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