भारत नेपाल सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने के लिए दो दिवसीय बैठक काठमांडू में

एसएसबी के डीजीपी होंगे अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल

अशोक झा, सिलीगुड़ी: नेपाल और भारत के सीमा सुरक्षा अधिकारियों की शीर्ष बैठक 16 और 17 नवंबर को नेपाल में होगी। इस बैठक में शामिल होने के लिए सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के डायरेक्टर जनरल नेपाल जा रहे हैं। दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बल के शीर्ष अधिकारियों के बीच हर वर्ष इस तरह की बैठक बारी-बारी से दिल्ली और काठमांडू में होती है। सशस्त्र प्रहरी बल के आईजीपी ने बताया कि इस बैठक का मुख्य एजेंडा सीमा पार अपराध का नियंत्रण करने के उपायों के बारे में है। भारत-नेपाल सीमान्त, भारत और नेपाल के बीच का खुला हुआ अन्तरराष्ट्रीय सीमान्त (बॉर्डर) है। यह 1,751 कि॰मी॰ (1,088.02 मील) लम्बा है जिसमें हिमालयी भूभाग एवं सिन्धु-गंगा मैदान सम्मिलित हैं। वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच जो सीमान्त है उसका निर्धारण भारत में ब्रितानी राज के समय 1816 ईसवी में सुगौली संधि के द्वारा किया गया था। 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद यही सीमान्त दोनों देशों के बीच का सीमान्त बना रहा। इस बैठक में साथ ही ड्रग्स तस्करी पर लगाम लगाने में दोनों देशों के सीमा सुरक्षा अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि खुली सीमा होने के कारण तीसरे देश के नागरिकों का नेपाल से भारत और भारत से नेपाल में प्रवेश करने से रोकने के लिए भी संयुक्त गश्त को बढ़ाने पर भी बैठक में चर्चा होगी।भारत-नेपाल संबंध: वर्तमान परिदृश्य
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत-नेपाल संबंध व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।हाल ही में भारत के लिये स्थिति उस समय असहज हो गई जब कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये भारत द्वारा लिपुलेख-धाराचूला मार्ग के उद्घाटन करने के बाद नेपाल ने इसे एकतरफा गतिविधि बताते हुए आपत्ति जताई। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने यह दावा किया कि महाकाली नदी के पूर्व का क्षेत्र नेपाल की सीमा में आता है। विदित है कि नेपाल ने आधिकारिक रूप से नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani) लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है। निश्चित रूप से नेपाल की इस प्रकार की प्रतिक्रिया ने भारत को अचंभित कर दिया है। इतना ही नहीं नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी शर्मा ओली (K.P. Sharma Oli) ने नेपाल में कोरोना वायरस के प्रसार में भारत को दोष देकर दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया है। वस्तुतः इसे ‘चीनी जादू’ कहा जाए या नेपाल की कूटनीतिक चाल कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार भारत को परेशान करने की कोशिश हो रही है। भारत इन सभी कोशिशों को नेपाल की चीन से बढ़ती नजदीकी के रूप में देख रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रिश्ते पर ‘चीनी चाल’ भारी पड़ रही है? या फिर यह मान लिया जाए कि हालिया दिनों में नेपाल ज़रूरत से ज्यादा महत्त्वाकांक्षी बन गया है और भारत उसकी आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा।इस आलेख में भारत-नेपाल के ऐतिहासिक संबंधों की पृष्ठभूमि, दोनों देशों के मध्य सहयोग के क्षेत्र, दोनों देशों के मध्य विवाद के बिंदु तथा इसमें चीन की भूमिका और भारत के लिये नेपाल के महत्त्व पर विमर्श किया जाएगा।भारत-नेपाल संबंधों की पृष्ठभूमि: नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण वह हमारी विदेश नीति में भी विशेष महत्त्व रखता है।
भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में समान संबंध साझा करते हैं, उल्लेखनीय है कि बुद्ध का जन्मस्थान लुम्बिनी नेपाल में है और उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर भारत में स्थित है। वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है।
भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि: यह भारत और नेपाल के मध्य द्विपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच घनिष्ठ रणनीतिक संबंध स्थापित करना है।
यह संधि दोनों देशों के बीच लोगों और वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और रक्षा एवं विदेशी मामलों के बीच घनिष्ठ संबंध तथा सहयोग की अनुमति देती है।साथ ही यह संधि नेपाल को भारत से हथियार खरीदने की सुविधा भी देती है। इस संधि के द्वारा नेपाल को एक भू-आबद्ध (Land-lock) देश होने के कारण कई विशेषाधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।
भारत-नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के संबंधों की विशिष्टता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को आवागमन में सुगमता रहती है।
दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य–सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जुड़े हैं। भारत और नेपाल के बीच सीमा को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं है। लगभग 98% प्रतिशत सीमा की पहचान व उसके नक्शे पर सहमति बन चुकी है, कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद है जिसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रक्रिया चल रही है।
सहयोग के विभिन्न क्षेत्र : सांस्कृतिक व धार्मिक क्षेत्र नेपाल और भारत दुनिया के दो प्रमुख धर्मों-हिंदू और बौद्ध धर्म के विकास के आसपास एक सांस्कृतिक इतिहास साझा करते हैं।
बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल में स्थित लुम्बिनी में हुआ था। बाद में बुद्ध ज्ञान की खोज में वर्तमान भारतीय क्षेत्र बोधगया आए, जहाँ उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। बोधगया से महात्मा बुद्ध और उनके अनुयायियों ने विश्व के कोने-कोने तक बौद्ध धर्म का प्रसार किया।
भारत व नेपाल दोनों ही देशों में हिंदू व बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं।
रामायण सर्किट की योजना दोनों देशों के मज़बूत सांस्कृतिक व धार्मिक संबंधों का प्रतीक है।
सामाजिक क्षेत्र : भारत-नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के संबंधों की विशिष्टता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को आवागमन में सुगमता रहती है।दोनों देशों के नागरिकों के बीच आजीविका के साथ-साथ विवाह और पारिवारिक संबंधों की मज़बूत नींव है। इस नींव को ही ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ नाम दिया गया है।
आर्थिक क्षेत्र भारत, नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार होने के साथ-साथ विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है।
भारत, नेपाल को अन्य देशों के साथ व्यापार करने के लिये पारगमन सुविधा भी प्रदान करता है। नेपाल अपने समुद्री व्यापार के लिये कोलकाता बंदरगाह का उपयोग करता है।
भारतीय कंपनियाँ नेपाल में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हैं। इन कंपनियों की नेपाल में विनिर्माण, बिजली, पर्यटन और सेवा क्षेत्र में उपस्थिति है।
अवसंरचना विकास क्षेत्र भारत सरकार नेपाल में ज़मीनी स्तर पर बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए समय-समय पर विकास सहायता प्रदान करती है।
इसमें बुनियादी ढाँचे में स्वास्थ्य, जल संसाधन, शिक्षा, ग्रामीण और सामुदायिक विकास जैसे मुद्दे शामिल हैं।
रक्षा सहयोग क्षेत्र द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के तहत उपकरण और प्रशिक्षण के माध्यम से नेपाल की सेना का आधुनिकीकरण शामिल है।भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट्स में नेपाल के पहाड़ी इलाकों से भी युवाओं की भर्ती की जाती है।
भारत वर्ष 2011 से नेपाल के साथ प्रति वर्ष ‘सूर्य किरण’ नाम से संयुक्त सैन्य अभ्यास करता आ रहा है।
आपदा प्रबंधननेपाल में अक्सर भूकंप, भू-स्खलन और हिमस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा रहता है। ऐसा मुख्य रूप से भौगोलिक कारकों के कारण होता है क्योंकि नेपाल एक प्राकृतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। भारत आपदा से संबंधित ऐसे किसी भी मामलें में कर्मियों की सहायता के साथ-साथ तकनीकी और मानवीय सहायता भी प्रदान करता रहा है।
संचार क्षेत्र नेपाल एक भू-आबद्ध देश है जो तीन तरफ से भारत से और एक तरफ तिब्बत से घिरा हुआ है।
भारत-नेपाल ने अपने नागरिकों के मध्य संपर्क बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न कनेक्टिविटी कार्यक्रम शुरू किये हैं।
हाल ही में भारत के रक्सौल को काठमांडू से जोड़ने के लिये इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक बिछाने हेतु दोनों सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।

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