नेपाल के प्रधानमंत्री चीन यात्रा पर हुए रवाना, चार दिवसीय यात्रा में कई होंगे समझौते
चीन की हर चाल पर भारत की पैनी नजर, बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) सहयोग का विस्तार के पीछे क्या?
भारत नेपाल सीमा से अशोक झा: नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी- एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) के अध्यक्ष ओली ने चीन रवाना होने से पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ “सहयोग के लिए बीआरआई ढांचे” के नए पाठ के बारे में चर्चा की है। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली दो से पांच दिसंबर तक चीन की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग उनसे मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा, ”ओली ने नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में दो बार चीन का दौरा किया और चीन-नेपाल संबंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा, ”दोनों देशों के नेता हमारी पारंपरिक मित्रता को मजबूत करने,बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) सहयोग का विस्तार करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के साथ-साथ आपसी हित के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का गहन आदान-प्रदान करेंगे।”अपनी यात्रा के दौरान वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी मिलेंगे। प्रधानमंत्री ओली पेकिंग विश्वविद्यालय में मुख्य भाषण भी देंगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने यात्रा के विवरण की पुष्टि करते हुए कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री ओली राज्य परिषद के प्रधानमंत्री ली केकियांग के निमंत्रण पर 2 से 5 दिसंबर तक चीन की आधिकारिक यात्रा करेंगे।” विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रधानमंत्री के दल में विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा, प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार बिष्णु प्रसाद रिमल, प्रधानमंत्री के आर्थिक और विकास सलाहकार युबा राज खातीवाड़ा, संसद के सदस्य, उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि और मीडियाकर्मी शामिल होंगे। इस समझौते को लेकर सत्तारूढ़ दल नेपाली कांग्रेस और यूएमएल के बीच चीन से ऋण लेने वाली किसी परियोजना पर हस्ताक्षर न किये जाने की सहमति बनी है। प्रधानमंत्री के चीन दौरे पर नेपाल सिर्फ उन्हीं परियोजनाओं की सूची सौंपने वाला है, जिनमें चीन से ऋण के बजाय अनुदान मिलने वाला है। नेपाल के सत्तारूढ़ दल ने चीन के साथ बीआरआई समझौते के कार्यान्वयन के लिए चीन के प्रस्तावित बीआरआई कार्यान्वयन समझौते के बदले बीआरआई फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव किया है। हाल ही में चीन के दो दिवसीय भ्रमण से लौटी विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा ने कहा कि चीन को ऋण नहीं, सिर्फ अनुदान लेने की बात स्पष्ट रूप से बता दी गई है। नेपाल की तरफ से चीन को सौंपी गईं परियोजनाओं की सूची में रेलवे से लेकर हाईवे तक और हाईवे से लेकर पॉड वे तक प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा हाइड्रोपावर से लेकर ट्रांसमिशन लाइन तक और हॉस्पिटल से लेकर यूनिवर्सिटी के निर्माण का प्रस्ताव भी नेपाल की तरफ से किया गया है। इतना ही नहीं, नेपाल ने अपने यहां साइंस म्यूजियम से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क तक के लिए चीन से सहयोग मांगा है। बीआरआई को लेकर दोनों सत्तारूढ़ दलों के बीच बने कार्यदल को ही चीन से अनुदान में परियोजनाओं के चयन की जिम्मेदारी थी। इस कार्यदल के तीन में से दो सदस्य प्रधानमंत्री के प्रमुख राजनीतिक सलाहकार विष्णु रिमाल और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. युवराज खतीवड़ा ओली के साथ बीजिंग भ्रमण पर गए हैं। नेपाली कांग्रेस की तरफ से पार्टी के महामंत्री गगन थापा ने नेपाल के तरफ से प्रस्तावित परियोजनाओं की सूची के बारे में जानकारी दी है। उनके मुताबिक प्रधानमंत्री के चीन दौरे से ठीक पहले समझौते के लिए जिन परियोजनाओं का चयन किया गया है, वो इस प्रकार है – टोखा-छहरे सुरंग मार्ग, हिल्सा-सिमकोट सड़क मार्ग किमाथांका-खाँदबारी सड़क मार्ग, जिलोङ-केरुङ-काठमांडू सीमापार रेलमार्ग,काठमांडू हेटौडा पोडवे, अमरगढी सिटी हल, डडेलधुरा, जिलोंग-केरूंग-रसुवागढी चिलिमे 220 केवी सीमापार प्रसारण लाइन,काठमांडू रिंग रोड एवं प्रसारण लाइन स्तरोन्नति
मदन भण्डारी तकनीकी विश्वविद्यालय, काठमांडू साइंटिफिक सेंटर एंड साइंस म्युजियम, दमक स्थित चीन-नेपाल मैत्री औद्योगिक पार्क, झापा स्पोर्ट्स एंड एथलेटिक्स काम्प्लेक्स का निर्माण प्रमुख है। ओली से पहले 2008 में पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ही एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले चीन की यात्रा की है। अन्य प्रधानमंत्रियों ने सबसे पहले भारत का दौरा किया था।