रंगारंग नृत्य के साथ वनवासी कल्याण आश्रम का लोक कल उत्सव एवं सम्मान समारोह सम्पन्न

- जबतक वनवासी आगे नहीं बढ़ेंगे देश की गति को आगे नहीं बढ़ सकती : डा. प्रो. रेखा नागर

– 60 वर्षों तक वोटबैंक के लिए सिर्फ इस समाज का इस्तेमाल किया गया: सीताराम डालमिया

अशोक झा, सिलीगुड़ी: राभा, राई, टोटो जनजाति नृत्य और बुनियादपुर से आए वनवासी बच्चों का नृत्य ने वनवासी कल्याण आश्रम का लोक कल उत्सव एवं सम्मान समारोह को रंगारंग बना दिया। यह कार्यक्रम सिलीगुड़ी के अग्रसेन। भवन में आयोजित की जा रही थी। कार्यक्रम के संयोजक और वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष सीताराम डालमिया ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि आज वनवासी टेलेंट को देखकर गर्व हो रहा है। आजादी के 60 वर्षों तक जनजातियों को सिर्फ वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया। आज समाज में इस समाज को आगे बढ़ने। का मौका मिल रहा है इसके पीछे सरकार की मजबूत सोच और वनवासी कल्याण आश्रम का 72 सालों का अथक प्रयास है। इस मौके पर मुख्य वक्ता डा. प्रो. रेखा नागर, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य (अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम) ने कहा कि केंद्रीय कार्यकारिणी की सदस्य होने के कारण मुझे वनवासी को समझने का काफी मौका मिला है जिस प्रकार हमारी धार्मिक और संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है इसे समय रहते नहीं बताया जाए तो वह खत्म हो जाएगा। वनवासी कल्याण आश्रम 13 छात्रों के साथ शुरू हुआ। इस यज्ञ को ज्वाला बनाना होगा। वह इसलिए क्योंकि जनजाति समाज के माध्यम से जल, जमीन और जंगल बचाने की जरूरत है। वनवासी को धर्मांतरण कराकर उनकी संस्कृति को खत्म करने की लगातार कोशिश हो रही है। आपको आश्चर्य होगा अतिथि देवों भव का संस्कार आज भी वनवासी जीवन शैली में जीवंत है। हम किसी धर्म की बुराई नहीं करते है। हां हम उनके द्वारा किए जा रहे अनैतिक कार्य ओर धर्म परिवर्तन का विरोध करना है। वनवासी बचेगा तो पर्यावरण बचेगा। जीवन बचेगा तब हम विकास को आगे बढ़ा सकेंगे। मोदी है तो मुमकिन है यह इसलिए भी साबित हो रहा है क्योंकि उपेक्षा और तिरस्कृत जनजाति समाज से उन्होंने राष्ट्रपति बनाया। आध्यात्म, देश की आजादी जनजातियों को भटकाया जा रहा है। मध्य। प्रदेश के भगोरिया उत्सव को गलत तरीके से बताया गया। गलत इतिहास बनाया गया। सभ्यता है। भील जनजाति की परम्परा को भी इतिहासकारों ने गलत तरीके से देश को बताया। इतिहास के पन्ने में विलुप्त हो चुके 84 जनजाति हीरो है जिसे आज मोदी के शासन में आगे लगाया गया है। आजादी की लड़ाई की बात होती है तो परिवार से किसी एक नाम सामने आता है। जनजाति समाज ही ऐसा है जो आजादी की लड़ाई भी लड़ी तो पूरे परिवार के साथ। महिलाएं भी समाज में एकसाथ आए है। समूह में आगे बढ़ते है। बिरसा मुंडा मात्र 25 वर्षों में भगवान बन गए। वह इसलिए क्योंकि समाज के लिए काम करते हुए अग्रेजों से लड़ाई लड़ी। वह जंगली दवाओं की पहचान जान लोगो की सेवा करते हुए भगवान बन गए ? एक जनजाति अग्रेजों के खजाना लूटकर गरीब बहनों में बांट दिया जिससे वह जगत मामा बन गए। दुर्गावती ने देश की महिलाओं को आगे बढ़ाई। अकबर की सेना को परास्त किया। हिन्दू सभ्यता को बचाने में लगे है। शहर के हीरालाल बाजारी प्रमुख अतिथि विशिष्ट व्यवसायी एवं समाजसेवी ने कहा कि दुःख की बात है कि 75 वर्षों में वनवासी समाज को आगे नहीं बढ़ाया गया। जनजाति के 10 करोड़ की आबादी को आगे बढ़ाए जिससे देश आगे बढ़े। विशिष्ट अतिथि प्रेम कुमार मित्तल ने कहा कि सराहनीय कार्य को हम सभी समाज के लोगों को आगे बढ़ाना होगा। प्रसिद्ध चिकित्सक डा. जी. बी. दास ने कहा कि आज हम शहरी लोग को गांव ओर शहर के बीच की दूरी को खत्म करना होगा। सम्मान समारोह की कड़ी में
सुशील बरेलिया, सुभाष सिंह, बाबूलाल जैन संजय अग्रवाल, मदन मोहन गोयल, राम अवतार बलेरिया, नरेंद्र गर्ग, कन्हैया गर्ग, शैलेश गोयल, वीरेंद्र अग्रवाल, पृथ्वी अग्रवाल, राज कुमार अग्रवाल, अजय धनोतिवाला, नेहरू मारदा, डॉ टीएम तिवारी, मनीष अग्रवाल, ओम प्रकाश अग्रवाल, राजू गर्ग, चंद्र प्रकाश सराफ, रमेश अग्रवाल को सम्मानित किया गया।

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