शिवनगरी काशी में श्रीराम ध्वजा और रामकलश यात्रा के साथ गूंज उठा जय सियाराम का नारा

 

• महिलाओं ने पवित्र राम कलश को अपने सर पर रखा।
• रामपंथियों ने रास्ते भर जय सियाराम का कीर्तन किया।
• नाजनीन अंसारी के साथ मुस्लिम महिलाओं ने राम कलश यात्रा में भाग लिया।
• महंत बालक दास जी महाराज के नेतृत्व में अखण्ड भारत में रामराज्य स्थापना हेतु श्रीराम ध्वजा यात्रा निकाली गई।

वाराणसी। भगवान श्रीराम के प्रकटोत्सव के अवसर पर रामपंथ द्वारा श्रीराम आश्रम लमही के रामपंथियों ने श्रीराम ध्वजा एवं पवित्र रामकलश यात्रा सुभाष भवन से रामलीला मैदान तक निकाली। अपने सर पर पवित्र रामकलश लेकर चलने वाली महिलाएं भगवान राम के नाम का कीर्तन करते हुए चल रही थीं, वहीं श्रीराम ध्वजा लेकर चलने वाले युवाओं ने जोश में नारा लगाया। सबका एक ही मकसद था कि भारत पुनः अखण्ड भारत बने और इसमें रामराज्य की स्थापना हो।

पातालपुरी मठ के महंत बालक दास जी महाराज ने अखण्ड भारत में रामराज्य स्थापना हेतु श्रीराम ध्वजा यात्रा का नेतृत्व किया। लमही के श्रीराम आश्रम में रामपंथियों ने गंगाजल लेकर संकल्प लिया कि रामराज्य अखण्ड भारत का मामला है। जब तक अखण्ड भारत की स्थापना नहीं होगी तब तक न शांति आएगी और न ही रामराज्य स्थापित होगा।

रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि अगर पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देश भगवान श्रीराम की ध्वजा फहराएं तो उनके देश में भी समृद्धि आ जायेगी। आज राम नाम की ही वजह से भारत शांति के मामले में दुनियां का नेतृत्व कर रहा है। रामपंथ के पवित्र नारे ‘सबके राम, सबमे राम’ ने रामभक्ति की क्रांति ला दी है। छुआछूत और भेदभाव को खत्म करने वाले इस नारे ने आदिवासी और मुसहर समाज को राम की भक्ति से जोड़ा है। आदिवासी समाज में राम काज की चेतना आ गयी है।

महंत बालक दास ने कहा कि सनातनी हो या गैर सनातनी सबको अपने घर में खुशहाली के लिए राम ध्वजा को अपने घर पर लगाना चाहिए। रामपंथ सभी धर्मों जातियों के बीच सेतु का काम करेंगे। दलित महिलाएं रामकलश को अपने सर पर लेकर चल रही थी। सबने एक ही संदेश दिया कि न राम का न रामचरित मानस का अपमान हम बर्दाश्त करेंगे।

रामपंथ के धर्म प्रवक्ता डॉ० कविन्द्र नारायण ने कहा कि राम सबके हैं, जगत के हैं, तो फिर धर्म के नाम पर भेद करने वाले कौन हैं ? रामभक्ति में भेद खत्म हो जाता है। जब सब भेद खत्म हो जाये तो समझना चाहिए कि रामराज्य की शुरुवात हो चुकी है।

यात्रा में डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, ज्ञान प्रकाश, सूरज चौधरी, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, पूनम श्रीवस्तव, सरोज देवी, सुनीता श्रीवास्तव, उर्मिला देवी, किसुना, प्रभावती, पार्वती, गीता देवी, रेखा देवी आदि लोगों ने भाग लिया।

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